किराए की गोद का कारोबार, जानें भारत और यूक्रेन में क्यों है इतनी डिमांड?
सरोगेसी, जिसे 'किराए की गोद' के नाम से भी जाना जाता है, आज के समय का एक उभरता हुआ व्यवसाय है। इसमें महिलाएं अपनी कोख को उन दंपत्तियों के लिए किराए पर देती हैं जो प्राकृतिक रूप से बच्चा नहीं कर सकते। भारत, यूक्रेन, और गुयाना जैसे देश सरोगेसी के प्रमुख केंद्र बन गए हैं।
आज के समय में जब आधुनिक चिकित्सा तकनीकें तेजी से उभर रही हैं,ऐसे में सरोगेसी यानी 'किराये की गोद' का कारोबार वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो न केवल विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन उपयोग करता है, बल्कि उन दंपत्तियों के लिए उम्मीद की किरण भी है, जो स्वाभाविक रूप से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं।
सरोगेसी केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि अब एक ऐसा बिजनेस मॉडल बन गया है, जो लाखों लोगों की जिंदगी को बदल रहा है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह व्यवसाय किन देशों में सबसे ज्यादा फल-फूल रहा है, यह कैसे काम करता है, और इसके क्या फायदे और चुनौतियां हैं।
क्या है ‘किराए की गोद’?
सरोगेसी का सीधा मतलब है कि एक महिला अपनी कोख को किसी अन्य दंपत्ति के लिए किराए पर देती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित है। इसमें इच्छुक माता-पिता के अंडाणु और शुक्राणु से भ्रूण तैयार किया जाता है, जिसे एक सरोगेट मां की कोख में प्रत्यारोपित किया जाता है। सरोगेट मां पूरे गर्भावस्था के दौरान बच्चे को अपने गर्भ में रखती है और जन्म के बाद उसे इच्छुक दंपत्ति को सौंप देती है। यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए वरदान साबित होती है जो शारीरिक, चिकित्सा, या अन्य कारणों से स्वाभाविक रूप से माता-पिता बनने में असमर्थ होते हैं।
कहां फल-फूल रहा है यह बिजनेस?
भारत- भारत सरोगेसी का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां इस प्रक्रिया का खर्च अन्य देशों की तुलना में कम है, और कानूनी ढांचा भी इसे सुगम बनाता है। दिल्ली, मुंबई, और अहमदाबाद जैसे शहरों में सरोगेसी क्लीनिक तेजी से बढ़ रहे हैं। भारतीय महिलाओं के लिए यह आय का एक बड़ा साधन बन गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक सरोगेट मां को 5 से 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया जाता है। भारत की मजबूत चिकित्सा सुविधा और किफायती कीमत इसे विदेशी दंपत्तियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है। हालांकि, 2018 में भारतीय सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) बिल के तहत व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगा दी और इसे केवल परोपकारी उद्देश्यों के लिए सीमित कर दिया।
यूक्रेन- यूक्रेन में सरोगेसी का कारोबार कानूनी और व्यवस्थित है। यहां सरोगेसी के लिए स्पष्ट नियम हैं, जो इसे एक सुरक्षित विकल्प बनाते हैं। हालांकि, खर्चा भारत की तुलना में अधिक होता है, लेकिन यह पश्चिमी देशों से कम है। यही कारण है कि यूरोप और अमेरिका के कई दंपत्ति सरोगेसी के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं।
गुयाना- गुयाना जैसे देशों में सरोगेसी का व्यवसाय तेजी से उभर रहा है। यहां के किफायती चिकित्सा खर्च और सरल कानूनी प्रक्रियाओं ने इसे एक आकर्षक विकल्प बनाया है। हालांकि, इन देशों में अभी जागरूकता और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की जरूरत है।
कैसे बन रहा है यह एक लाभदायक व्यवसाय?
सरोगेसी न केवल उन दंपत्तियों के लिए मददगार है जो बच्चा चाहते हैं, बल्कि यह महिलाओं के लिए आय का एक बड़ा स्रोत भी है। सरोगेट मांओं को एक निश्चित रकम दी जाती है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाती है। इसके अलावा, क्लीनिक और अस्पताल भी इससे बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। भारत में ही सरोगेसी का वार्षिक कारोबार करोड़ों रुपये में है। विदेशी दंपत्तियों के बढ़ते रुझान ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा व्यवसाय बना दिया है। लेकिन सरोगेसी का व्यवसाय जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही विवादित और चुनौतियों से भरा हुआ भी है।
क्या हैं चुनौतियां और विवाद?
कानूनी विवाद: कई देशों में सरोगेसी के कानूनी नियम स्पष्ट नहीं हैं। भारत जैसे देशों ने हाल ही में व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाई है, जिससे इसमें गिरावट आई है।
महिलाओं का शोषण: सरोगेसी के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के शोषण का खतरा भी बढ़ जाता है।
मूल्य और नैतिकता का सवाल: सरोगेसी को कई बार नैतिकता के खिलाफ माना जाता है। इसे "कोख का व्यापार" कहकर आलोचना की जाती है।
सरोगेसी का भविष्य काफी हद तक कानूनी और नैतिक दिशा-निर्देशों पर निर्भर करता है। यह तकनीक विज्ञान और समाज की एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे जिम्मेदारी से उपयोग करना होगा। भारत और अन्य देशों में सरोगेसी को लेकर नीतियों में सुधार की जरूरत है ताकि यह तकनीक उन सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी साबित हो जो इसका लाभ उठाना चाहते हैं।
‘किराए की गोद’ यानी सरोगेसी, विज्ञान और मानवीय संवेदनाओं का एक अनूठा संगम है। यह उन लोगों के लिए एक वरदान है, जो माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं। हालांकि, इस व्यवसाय से जुड़े सामाजिक, कानूनी और नैतिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है। भारत, यूक्रेन, और गुयाना जैसे देशों में यह तकनीक तेजी से फल-फूल रही है, लेकिन इसके विकास के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि सरोगेसी से जुड़े मानवाधिकारों और नैतिकता का पालन सुनिश्चित किया जाए।