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Kanshiram पर क्या बोले Akhilesh कि भड़के Keshav Maurya ने छठी का दूध वाला पलटवार कर दिया ?

मंच पर खड़े अखिलेश यादव मुस्कुराते हुए बीएसपी नेता कांशीराम पर किये गये सपाई अहसान की याद दिला रहे थे लेकिन उन्होंने शायद पूरा सच नहीं बताया इसीलिये पूरा सच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बताया और जबरदस्त पलटवार करते हुए 30 साल पुरानी बात याद दिला दी !

15 Apr, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:58 AM )
Kanshiram पर क्या बोले Akhilesh कि भड़के Keshav Maurya ने छठी का दूध वाला पलटवार कर दिया ?
परम प्रतापी वीर राणा सांगा के अपमान का मुद्दा अभी थमा भी नहीं था कि समाजवादी पार्टी पर एक और बड़ा आरोप लग गया. और इस बार तो सीधे सपाई मुखिया अखिलेश यादव पर दलितों के बड़े नेता कांशीराम के अपमान का आरोप लग गया. जब उन्होंने इटावा में दिये एक बयान में दलितों के नेता कांशीराम पर सपाई अहसान गिनाते हुए कह दिया कि. कांशीराम कहीं से जीत नहीं पा रहे थे उन्हें जिताने का काम किसी ने किया था तो वो नेताजी और समाजवादी लोगों ने ही किया था.

मंच पर खड़े अखिलेश यादव मुस्कुराते हुए बीएसपी नेता कांशीराम पर किये गये सपाई अहसान की याद दिला रहे थे. लेकिन उन्होंने शायद पूरा सच नहीं बताया. इसीलिये पूरा सच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें बताया .जब एक ट्वीट में अखिलेश पर पलटवार करते हुए कहा कि "आधा सच बताने की बीमारी से ग्रस्त हैं सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव, सच यह है कि 1991 के लोकसभा चुनाव में नेताजी ने अगर इटावा में मान्यवर कांशीराम की मदद की तो मान्यवर कांशीराम ने भी जसवंतनगर से बसपा का उम्मीदवार न देकर नेताजी को जिताने में मदद की थी। लेकिन इससे बड़ा सपा का काला सच यह है कि 2 जून, 1995 को सपा के गुंडों ने लखनऊ के स्टेट गेस्टहाउस में दलितों की सबसे बड़ी नेता बहन मायावती की आबरू लूटने और उनकी हत्या की कोशिश की थी। लेकिन दलितों के सम्मान में सदा समर्पित भाजपा ने सपाई गुंडों को छठी का दूध याद दिलाकर उसके मंसूबों को विफल कर बहन जी की लाज और जीवन दोनों को बचाया था। ऐसे ही अपने पालतू गुंडों की फौज पर श्री अखिलेश जी आज भी इतराते हैं।सपा पिछड़ों दलितों वंचितों की असल दुश्मन है"

डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ ही बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी अखिलेश यादव पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि "अखिलेश यादव ने पहले राणा सांगा को गद्दार कहने वाले सपा सांसद के बयान का समर्थन कर क्षत्रिय समाज का अपमान किया, अब वे दलित समाज के पथ-प्रदर्शक कांशीराम जी का उपहास कर रहे हैं, केवल उन्हें मुलायम सिंह जी से छोटा दिखाने के लिए। यह कहना कि कांशीराम जी चुनाव नहीं जीत पा रहे थे और सपा ने उन्हें जिताया, पूरे दलित समाज का अपमान है। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदू समाज के हर वर्ग से आपको दुर्गंध आने लगी है। ‘सेक्युलरिज़्म’ नाम की इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है"


बीएसपी के संस्थापक कांशीराम को चुनाव जिताने के जिस मुद्दे पर सपा और बीजेपी के बीच जबरदस्त वार पलटवार छिड़ गया है. ये मामला दरअसल 1991 का है. जब कांशीराम इटावा लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. कहते हैं इस जीत में मुलायम सिंह यादव ने भी उनका बहुत साथ दिया. क्योंकि उस वक्त इटावा सीट पर सपा ने कांशीराम के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. जिसकी वजह से कांशीराम ने जीत हासिल की थी. तो वहीं दूसरी तरफ बदले में 1991 में ही इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट पर कांशीराम ने भी मुलायम के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. जिससे मुलायम सिंह चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. यही वजह है कि केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर आधा सच बताने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम और कांशीराम ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. तब जाकर दोनों नेताओं ने जीत हासिल की थी. जबकि अखिलेश यादव अहसान जताने की कोशिश करते नजर आए कि मुलायम और सपाइयों की वजह से कांशीराम इटावा में जीत कर सांसद बने थे. 

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