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वो 7 हिंदूवादी फायरब्रांड नेता जो कभी BJP की हुआ करते थे शान, अब पार्टी ने कर लिया किनारा

तेलंगाना के गोशामहल विधानसभा सीट से बीजेपी के फायरब्रांड विधायक टी राजा सिंह ने 30 जून 2025 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया, उनके इस ऐलान ने तेलंगाना की राजनीति में हलचल मचा दी है. यानि बीजेपी के फायरब्रांड चेहरे जब मुश्किल में पड़े तो उनसे किनारा कर लिया गया.

02 Jul, 2025
( Updated: 03 Jul, 2025
10:08 AM )
वो 7 हिंदूवादी फायरब्रांड नेता जो कभी BJP की हुआ करते थे शान, अब पार्टी ने कर लिया किनारा

तेलंगाना के गोशामहल विधानसभा सीट से बीजेपी के फायरब्रांड विधायक टी राजा सिंह ने 30 जून 2025 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया, उनके इस ऐलान ने तेलंगाना की राजनीति में हलचल मचा दी है, अपने कट्टर बयानों और हिंदुत्व के प्रखर समर्थन के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे टाइगर राजा सिंह के इस्तीफे के बाद एक बार फिर से वही चर्चा होने लगी है, जो इससे पहले भी होती रही, यानि बीजेपी के फायरब्रांड चेहरे जब मुश्किल में पड़े तो उनसे किनारा कर लिया गया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर अब लोग तमाम सवाल उठा रहें हैं, सोशल मीडिया पर क्या कुछ चल रहा है वो आगे बताएंगे, पहले जान लीजिए वो कुछ नाम जो नई बीजेपी में फिट नहीं बैठे और उनका फायरब्रांड होना उनके लिए मुसीबत बन गया.

नूपुर शर्मा

बीजेपी की युवा नेता थी और दिल्ली में पार्टी की प्रवक्ता के रूप में फायरब्रांड अंदाज में बात रखती थी, उनके एक टीवी डिबेट में दिए गए बयान ने 2022 में विवाद खड़ा किया, जिसकी एक क्लिप बहुत शातिर तरीक़े से काट कर अरब देश तक बवाल मचवा दिया गया, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया, निलंबन के बाद से उनकी सार्वजनिक सक्रियता कम हो गई है, हाल ये हो गया कि, उनके सिर को कलम करने के लिए कट्टरपंथी तैयार है.

प्रवीण तोगड़िया

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता और हिंदुत्व के प्रखर वक्ता, जिनका अटल-आडवाणी के दौर में रुतबा हुआ करता था, लेकिन आज वो नेपथ्य में चले गए हैं, अपना अलग संगठन बना लिया है, उनके प्रभाव को कम करके उन्हें दरकिनार कर दिया गया.

लालकृष्ण आडवाणी

बीजेपी के दिग्गज नेता और राम मंदिर आंदोलन के पोस्टर-बॉय, 1990 में उनकी रथ यात्रा ने हिंदुत्व को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया, यही कारण रहा कि 2 सीट का सफ़र 303 तक पहुंचा, दावा किया गया कि आडवाणी को उनकी हिंदुत्ववादी छवि के कारण बाद में पार्टी में हाशिए पर डाल दिया गया, 2014 के बाद तो उनकी सक्रियता एकदम ही कम हो गई 

मुरली मनोहर जोशी

हिंदुत्ववादी विचारधारा, बीजेपी के दिग्गज नेता, अटल-आडवाणी दौर के प्रमुख चेहरे, जिन्हें नए दौरे में दरकिनार किया गया, आडवाणी की तरह ही 2014 के बाद उनकी सक्रियता कम हुई, और उन्हें प्रमुख भूमिकाओं से दूर कर दिया गया.

विनय कटियार

बजरंग दल के संस्थापक, राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले बीजेपी के फायरब्रांड नेता विनय कटियार को भी हिंदुत्ववादी छवि का नुक़सान सहना पड़ा उन्हें भी मुख्यधारा से हटा दिया, उनकी सक्रियता हाल ख़त्म कर दी गई.

साध्वी प्रज्ञा

पूर्व सांसद और हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्रज्ञा अपने कठिन दौर को याद करते हुए आज रो पड़ती है, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया, दावा किया गया कि उनके बयानों के कारण बीजेपी ने उन्हें मुख्यधारा से दूर कर दिया और नेपथ्य में डाल दिया.

टाइगर राजा सिंह 

उपर की लिस्ट में ये नया नाम जुड़ता हुआ दिख रहा है, टी राजा अपने कट्टर बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं, ओवैसी के गढ़ में भी वो डंके की चोट पर अपनी बात रखते हैं, लेकिन अब पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है तो दावा किया जा रहा है कि यही कट्टर छवि उनके लिए परेशान लेकर आ गई और उनको भी दरकिनार कर दिया गया, टी राजा सिंह ने अपने इस्तीफे में पार्टी नेतृत्व के प्रति असंतोष को प्रमुख कारण बताया, हालाँकि इससे पहले टी राजा बीजेपी से निष्कासित किए गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी वापसी करा ली गई थी और गोशामहल से टिकट दिया गया तो उन्होंने पार्टी को जीत दिलाई.

अब जब एक के बाद एक बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है तो सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स में यह सवाल उठाया जा रहा कि बीजेपी उन नेताओं को दरकिनार कर रही है जो हिंदुत्व के प्रखर चेहरे हैं, कुछ यूजर्स तो दावा कर रहें हैं कि बीजेपी एक सेक्युलर छवि अपनाने की कोशिश कर रही है, जिसके कारण फायरब्रांड नेताओं को हाशिए पर डाला जा रहा है.

अब सवाल उठता है कि, आख़िर बीजेपी क्या सबका विश्वास जीतने के लिए ये कदम उठा रही है, दरअसल अगर हिंदुत्ववादी छवि के नेताओं के दरकिनार किए जाने के बाद गौर करेंगे तो समझ आएगा कि, बीजेपी ने पिछले कुछ सालों ने मतदाता आधार को आकर्षित करने के लिए अपनी छवि को बदलने की कोशिश की है, जिसके कारण कुछ कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं को कम महत्व दिया गया, कुछ नेताओं को उनकी लोकप्रियता या स्वतंत्र छवि के कारण पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा नियंत्रित किया गया, नूपुर शर्मा,  और साध्वी प्रज्ञा जैसे नेताओं के बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा तो उनको किनारे किया गया और उन्हें हाशिए पर डाला दिया गया, वहीं कुछ विश्लेषकों की माने तो बीजेपी ने हिंदुत्व को मुख्यधारा में लाने के लिए रणनीतिक रूप से कुछ नेताओं को आगे बढ़ाया, लेकिन गठबंधन राजनीति और वैश्विक छवि के दबाव में कट्टर छवि वाले नेताओं को सीमित किया गया. 

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