NHAI को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, कहा- 12 घंटे जाम, गड्ढों-ट्रैफिक वाली सड़क पर टोल वसूली क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने NHAI की याचिका खारिज करते हुए कहा कि गड्ढों से पटी और जामग्रस्त सड़कों पर यात्रियों से टोल वसूलना अनुचित है.
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केरल के पलियेक्कारा स्थित NH-544 टोल वसूली मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है. अदालत ने कहा कि यात्रियों को ऐसी सड़कों पर टोल चुकाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, जो गड्ढों से भरी हों, जहां ट्रैफिक जाम आम हो या जिन पर चलना ही मुश्किल हो. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा “अगर किसी सड़क को पार करने में 12 घंटे लगते हैं, तो आखिर कोई 150 रुपये टोल क्यों देगा?”
सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और टोल संचालक कंपनी गुरुवायूर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की अपील खारिज करते हुए सुनाया. इससे पहले इस मामले पर कोर्ट ने कल फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने एडापल्ली-मन्नुथी मार्ग पर खराब रखरखाव और निर्माण कार्यों में देरी के कारण लग रहे भारी ट्रैफिक जाम को देखते हुए चार हफ्तों के लिए टोल वसूली स्थगित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने साफ कहा था कि जब सड़कें गड्ढों और जाम से पटी हों और आम जनता की आवाजाही बाधित हो, तो उनसे टोल शुल्क नहीं लिया जा सकता. इसी आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
सुनवाई के दौरान हल्की नोकझोंक
सुनवाई के दौरान एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि “गेट E पर तो हमेशा ट्रैफिक रहता है, वकील भागते-भागते कोर्ट पहुंचते हैं.” इस पर CJI बीआर गवई ने चुटकी लेते हुए कहा कि “दिल्ली में अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर ठप हो जाता है.”
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
NHAI ने दलील दी कि ट्रैफिक जाम केवल उस हिस्से तक सीमित है, जहां अंडरपास का काम चल रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “65 किलोमीटर की सड़क पर अगर सिर्फ 5 किलोमीटर भी जाम हो जाए, तो उसका असर पूरी यात्रा पर पड़ता है और लोग घंटों तक फंसे रहते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि जनता को गड्ढों और नालियों से भरी सड़क पर चलने के लिए अतिरिक्त भुगतान करने की बाध्यता नहीं हो सकती.
कंपनी और NHAI की दलील
कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और NHAI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि टोल रेवेन्यू सड़क नेटवर्क के रखरखाव के लिए बेहद अहम है. टोल निलंबन से रोज़ाना करीब 49 लाख रुपये का नुकसान होगा. लेकिन कोर्ट ने NHAI और कंसेसियनर कंपनी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि वे बार-बार दिए गए हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी कर रहे थे.
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