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'माधुरी' की कस्टडी को लेकर विवादों में फंसा था वंतारा...सभी आरोप निकले झूठे, अब सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत

जुलाई 2025 में ‘माधुरी’ को वंतारा शिफ्ट किया गया था. इस फैसले के विरोध में कोल्हापुर में जैन मठ और स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए थे. इसे अवैध मानते हुए कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने जो कहा वो नजीर बन गया.

16 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
08:04 PM )
'माधुरी' की कस्टडी को लेकर विवादों में फंसा था वंतारा...सभी आरोप निकले झूठे, अब सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत

जो वंतारा बेजुबानों का आसरा बना, जिस वंतारा ने लुप्त होते जानवरों को नया जीवन दिया, जो छोटे-छोटे जीव जंतुओं से लेकर विशालकाय जानवरों का घर कहलाया है वो वंतारा उस वक्त विवादों में आ गया जब यहां एक हथिनी को शिफ्ट किया गया. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. जो न केवल वंतारा की साख को बचाने वाला है बल्कि ये भी बता दिया कि वंतारा जैसे संस्थान देश के लिए कितने जरूरी हैं. चलिए जानते हैं वंतारा पर सुप्रीम फैसले की टाइमलाइन और इससे जुड़े विवाद की पूरी कहानी. 

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन की वाइल्‍ड लाइफ इनिशिएटिव 'वंतारा' को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि, वन विभाग से मंदिर के हाथियों का वंतारा में ट्रांसफर गलत नहीं है, बशर्ते इसमें सभी नियमों का पालन किया गया हो. सुप्रीम कोर्ट को इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा को क्लीन चिट दे दी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जांच दल का गठन किया था. 

वंतारा पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 

कोर्ट ने कहा कि इस ‘ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ यानी वंतारा में जानवरों को लिया जाना कानून के दायरे में है. जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी.बी. वराले की बेंच ने कहा कि, रिपोर्ट में साफ है कि सभी जानवरों की खरीद जिसमें हाथी भी शामिल हैं नियमों और कानून के हिसाब से की गई है. SIT को कहीं भी गड़बड़ी नहीं मिली चाहे जानवर भारत से लिए गए हों या विदेश से लाए गए हों. हम इस रिपोर्ट को अपने आदेश का हिस्सा भी बनाएंगे. हालांकि SIT की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. 

वंतारा पर जांच टीम की रिपोर्ट क्यों नहीं होगी सार्वजनिक? 

इस मामले में गुजरात सरकार भी एक पार्टी थी. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वंतारा की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए. इस दौरान उन्होंने SIT की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने की मांग की. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने विरोध जताया. हालांकि इसके पीछे तुषार मेहता और हरीश साल्वे ने दलील दी कि, रिपोर्ट में जानवरों की देखभाल से जुड़ी कुछ गोपनीय बातें होती हैं. 

साल्वे ने कहा, जब कमेटी आई तो वंतारा का पूरा स्टाफ मौजूद था सब कुछ दिखाया गया, लेकिन कुछ देखभाल से जुड़ी बातें होती हैं कि जानवरों को कैसे रखा जाता है, इस पर काफी पैसा और विशेषज्ञ लगाए गए हैं, यह सुविधा विश्व स्तर की है, लेकिन एक नकारात्मक कहानी बनाने की कोशिश चल रही है, अगर पूरा रिकॉर्ड बाहर आ गया तो न्यूयॉर्क टाइम्स या टाइम्स मैगजीन जैसी जगहों पर और लेख छपेंगे. 

वंतारा की ओर से इस दलील को स्वीकार करते हुए जस्टिस मित्तल ने इसके लिए हामी भरी. उन्होंने कहा, अब जबकि एक्सपर्ट ने निष्पक्ष रूप से पूरी जांच की है तो बेवजह शक नहीं उठने दिया जाएगा. हम कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं उन्होंने विशेषज्ञों की मदद से जांच की है और जो रिपोर्ट दी है हम उसी पर चलेंगे. सभी विभाग रिपोर्ट की सिफारिशों पर कार्रवाई करने को स्वतंत्र हैं और अब कोई बार बार सवाल नहीं उठा सकेगा. 

वंतारा देश के लिए गर्व- सुप्रीम कोर्ट 

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि, सिर्फ विवाद खड़ा करने के लिए आरोप नहीं लगाने चाहिए. जस्टिस मित्तल ने कहा, “कुछ चीजें देश का गर्व होती हैं उन पर बेवजह हल्ला नहीं मचाना चाहिए. देश के लिए अच्छी चीजें हो रही हैं तो हमें खुश होना चाहिए. अगर हाथियों की खरीद कानून के हिसाब से है तो इसमें दिक्कत क्या है. 

कोर्ट ने दोहरे रवैये पर उठाया सवाल 

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि, जब हाथी दशहरा, जुलूस या दशहरा में इस्तेमाल किए जाते हैं और पंरपरा के नाम पर हम इसे स्वीकार करते हैं तो जब वही हाथी कानूनन किसी रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर में लाए जाते हैं तो इस पर आपत्ति क्यों जताई नहीं जाती. इस मामले में जिस तरह SIT ने जांच की है कोर्ट ने उस प्रक्रिया को सराहना के योग्य माना है. यहां तक कि टीम मेंबर को सम्मान राशि दिए जाने की भी पैरवी की. 

क्यों विवादों में आया अनंत अंबानी का वंतारा? 

वंतारा में जानवरों को लाए जाने खास तौर पर हाथियों को शरण देने पर कई NGO और पशु प्रेमियों ने सवाल उठाए थे. विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब यहां कोल्हापुर के जैन मठ से एक बूढ़ी हथिनी माधुरी को लाया गया. साल 2024 में माधुरी के स्वास्थ्य को देखते हुए उसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने वंतारा शिफ्ट करने का आदेश दिया था. 

फैसले का विरोध, सड़कों पर उतरे लोग 

माधुरी हथिनी 30 साल से जैन मठ में रह रही थी. यहां 3 साल की उम्र में उसे लाया गया था. कोल्हापुर के लोग उसे पूजा पाठ में शामिल करते थे. माधुरी को महादेवी भी कहा जाता है. जब महादेवी को वंतारा शिफ्ट किया गया तो लोग इमोशनल हो गए. विरोध में सड़कों पर उतर आए और माधुरी को वंतारा शिफ्ट करने पर सवाल उठाए. 

माधुरी हथिनी को वंतारा शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ी? 

कई रिपोर्ट्स में ऐसे दावे किए गए हैं कि, कोल्हापुर में माधुरी कई धार्मिक जुलूसों का हिस्सा रहती थी. उसके शरीर पर कई गंभीर चोट और रस्सियों के निशान थे. समय पर माधुरी हथिनी को इलाज न मिल पाने के कारण उसके पैरों में गठिया भी हो गया था. कहा जाता है कि यहां माधुरी को बंधक की तरह रखा जाता था. एक बार उसने मठ के मुख्य पुजारी पर भी जानलेवा हमला कर दिया था. इसके बाद स्थानीय नेताओं ने कोर्ट का रुख किया. फिर माधुरी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच की गई जिसमें कोर्ट ने माना कि उसे देखभाल और इलाज की जरूरत है. बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद जुलाई 2025 में माधुरी हथिनी को वंतारा भेज दिया गया. 

जैन मठ ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती 

जैन मठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जैन मठ की याचिका खारिज कर हाईकोर्ट के आदेश को जस का तस रखा. 

मामले पर वंतारा ने क्या कहा? 
वहीं, माधुरी हथिनी पर उठे विवाद के बाद वंतारा की भी सफाई आई. वंतारा की ओर से कहा गया कि, वंतारा एक प्राकृतिक संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है, जिसे जानवरों की देखभाल के लिए आदर्श माना जाता है. कोर्ट के आदेश पर हथिनी माधुरी पर उनके यहां रखा गया है. यह पूरी प्रक्रिया कोर्ट के आदेश और सभी सरकारी प्राधिकरणों की सहमति से हुई है. वंतारा सिर्फ रिसीविंग सेंटर है और उसका काम माधुरी की उपयुक्त देखभाल करना है. 

हालांकि विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ आरोप लगे कि वंतारा में हाथियों को अवैध रूप से कैद किया जाता है, अवैध रूप से खरीद-फरोख्त होती है. इसे लेकर कई सुप्रीम कोर्ट में कई PIL दायर की गई थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की स्पष्टता के लिए 25 अगस्त को SIT गठित कर जांच के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता में बनी इस टीम में उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी अनीश गुप्ता शामिल है.

टीम ने जांच के दौरान पाया कि, जानवरों की खरीद फरोख्त में कानूनी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया गया था. इस दौरान टीम ने ये भी देखा कि, जानवरों की देखभाल के मानक क्या हैं? पानी और कार्बन क्रेडिट जैसे संसाधनों का दुरुपयोग तो नहीं हुआ? टीम ने आर्थिक गड़बड़ी और तस्करी तक के आरोपों की भी जांच की. 

‘सुप्रीम’ फैसले पर वंतारा ने क्या कहा? 

अब जब SIT ने कोई गड़बड़ी नहीं मिली तो कोर्ट ने इस विवाद को यहीं विराम दे दिया. ये वंतारा के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है. कोर्ट के फैसले के बाद वंतारा ने कहा कि, SIT की रिपोर्ट और SC का आदेश यह स्पष्ट करता है कि वंतारा के पशु कल्याण मिशन पर उठाए गए संदेह और आरोप निराधार थे. सच्चाई की पुष्टि न केवल वंतारा के सभी सदस्यों के लिए राहत है बल्कि एक आशीर्वाद भी है. हम जीवन भर पशु और पक्षियों की रक्षा और देखभाल करुणा के साथ करते रहेंगे. जब हम जानवरों की देखभाल करते हैं, तो हम मानवता की आत्मा की भी देखभाल करते हैं. 

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अनंत अंबानी का वंतारा प्रोजेक्ट क्यों है खास?

  • वंतारा दुनिया के सबसे बड़े एनिमल रेस्क्यू और पुनर्वास केंद्रों में गिना जाता है
  • यह गुजरात के जामनगर में करीब 3000 एकड़ में फैला है
  • वंतारा रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी के बेटे अनंत का ड्रीम प्रोजेक्ट है
  • वंतारा को केंद्र सरकार ने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ‘प्राणी मित्र’ से सम्मानित किया है 
  • वंतारा का मकसद घायल और लुप्तप्राय जानवरों को बचाना है
  • यहां जानवरों की देखभाल के लिए हजारों कर्मचारी और डॉक्टर मौजूद हैं
  • वनतारा में एशिया का पहला वन्यजीव अस्पताल भी है
  • वंतारा की हॉस्पिटल में CT स्कैन और MRI यूनिट्स भी हैं. 
  • यहां दुनिया का सबसे बड़ा और भारत का इकलौता पशु वन्यजीव क्वारंटाइन सेंटर भी है 
  • वंतारा 48 से ज्यादा प्रजातियों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा संरक्षण और प्रजनन केंद्र है
  • यहां 2 हजार से ज्यादा और 1.5 लाख से ज्यादा बचाए गए संकटग्रस्त जानवर रहते हैं

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