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Sreelakshmi ने रच दिया इतिहास, बन गईं Assam Riffles की पहली Dog Handler !

कुत्तों को आर्मी में शामिल होने लायक बनाते हैं डॉग हैंडलर और सबसे बड़ी बात ये है कि अब तक डॉग हैंडलर की ये बड़ी जिम्मेदारी कोई पुरुष जवान ही संभालता था, लेकिन अब वक्त बदल गया है, पहली बार ऐसा होगा जब असम राइफल्स में डॉग हैंडलर की जिम्मेदारी एक महिला संभालेगी !

29 Apr, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
12:05 AM )
Sreelakshmi ने रच दिया इतिहास, बन गईं Assam Riffles की पहली Dog Handler !
बम का पता लगाना हो. या खाने का पता लगाना हो. ड्रग्स जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना हो या फिर आतंकवादियों को बिल से खोज निकालना. इंडियन आर्मी को जब भी जरूरत पड़ती है.आर्मी डॉग्स हर वक्त मुस्तैद रहते हैं. क्योंकि सेना की ऐसी ही जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी नस्लों के कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाती है. तब जाकर ये कुत्ते इंडियन आर्मी का हिस्सा बनते हैं. और सबसे बड़ी बात ये है कि इन कुत्तों को आर्मी में शामिल होने लायक बनाते हैं डॉग हैंडलर. और सबसे बड़ी बात ये है कि अब तक डॉग हैंडलर की ये बड़ी जिम्मेदारी कोई पुरुष जवान ही संभालता था. लेकिन अब वक्त बदल गया है. पहली बार ऐसा होगा जब असम राइफल्स में डॉग हैंडलर की जिम्मेदारी एक महिला संभालेगी. जिसका नाम है श्रीलक्ष्मी पीवी.

तस्वीरों में नजर आ रहीं महिला जवान श्रीलक्ष्मी पीवी भी अब विदेशी नस्ल के कुत्तों को आर्मी में शामिल करने के लिए ट्रेनिंग देते हुए नजर आएंगी. और सबसे बड़ी बात ये है कि वो पहली ऐसी महिला बन गईं हैं जो बतौर डॉग हैंडलर असम राइफल्स से जुड़ी हैं. जिनके बारे में जानकारी देते हुए असम राइफल्स की ओर से बताया गया."असम राइफल्स ने पहली महिला डॉग हैंडलर को प्रशिक्षित किया, राइफलवुमन श्रीलक्ष्मी पीवी ने एक नई राह दिखाई, असम राइफल्स को अपनी पहली महिला डॉग हैंडलर, राइफलवुमन श्रीलक्ष्मी पीवी के प्रशिक्षण के साथ अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर घोषित करते हुए गर्व हो रहा है, साहस, दृढ़ संकल्प और जुनून का परिचय देते हुए, श्रीलक्ष्मी ने पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में एक अग्रणी यात्रा शुरू की है, असम राइफल्स को उम्मीद है कि और भी महिलाएं उनके प्रेरक पदचिन्हों पर चलेंगी"

असम राइफल्स में जिस डॉग हैंडलर का काम अब तक सिर्फ पुरुष जवान ही संभालते थे. वो काम अब पहली बार एक महिला डॉग हैंडलर के तौर पर श्रीलक्ष्मी पीवी संभालेंगी. जो किसी मील के पत्थर से कम नहीं है. क्योंकि डॉग हैंडलर बनकर श्रीलक्ष्मी पीवी ने महिलाओं के लिए एक और रास्ता खोल दिया है.कि अगर वो चाहें तो डॉग हैंडलर भी बन सकती हैं. यही वजह है कि असम राइफल्स ने भी ये उम्मीद है कि श्रीलक्ष्मी पीवी के बाद और भी महिलाएं इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगीं.


इंडियन आर्मी की डॉग यूनिट में ज्यादातर लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस और माउंटेन स्विस डॉग जैसे ब्रीड के कुत्तों को शामिल किया जाता है. जिन्हें मेरठ में स्थित मुख्य प्रशिक्षण केंद्र रिमाउंट एंड वेटेरिनरी कॉर्प्स सेंटर एंड कॉलेज में कम से कम दस महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है. और ये ट्रेनिंग देने का काम करते हैं डॉग हैंडलर. जो इन कुत्तों को इस तरह से तैयार करते हैं कि वो बचाव और खोज अभियानों के साथ ही विस्फोटक और बारूदी सुरंगों का पता लगाने में सेना की मदद कर सकें. इसके अलावा सेना के प्रत्येक कुत्ते की देखरेख के साथ ही कुत्ते के खाने-पीने, साफ-सफाई का ध्‍यान रखना और ड्यूटी के समय इन वेल ट्रेंड आर्मी डॉग से काम लेने की जिम्मेदारी भी डॉग हैंडलर की होती है.

आर्मी डॉग की कैसे होती है ट्रेनिंग ? कुत्तों को युद्ध के हालात में भौंकने पर काबू रखना सिखाते हैं. कठोर सामरिक और शारीरिक प्रशिक्षण से गुजरना होता है. कुत्तों को युद्ध के मैदान और दृश्यों से परिचित कराया जाता है. गोलियां चलने वाली स्थिति में भी शांत रहना सिखाया जाता है. विस्फोटकों का पता लगाने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद ये डॉग करीब 8 साल तक सेना में सेवा देते हैं. अपनी विशिष्ट सेवा के लिए आर्मी डॉग्स सम्मानित भी होते हैं.

ट्रेनिंग के बाद जब इन कुत्तों को आर्मी में शामिल किया जाता है. तो उनसे काम लेने की जिम्मेदारी भी डॉग हैंडलर की ही होती है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि ड्यूटी के दौरान कुत्तों की जान चली जाती है. साल 2022 में जम्मू कश्मीर में सर्च ऑपरेशन के दौरान दो साल के एक्सल की जान चली गई थी. जिसे दफन करने से पहले गॉर्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया गया था. इतना ही नहीं देश के लिए सेवा देने वाली चार साल की मानसी और उसके हैंडलर को भी उत्तरी कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करने के दौरान जान गंवानी पड़ी थी.

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