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Pahalgam पर ज्ञान दे रहे European Union को S. Jaishankar ने दिया करारा जवाब !

Pahalgam हमले के बाद यूरोपीय यूनियन की टॉप राजनयिक काजा कलास ने आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले पाकिस्तान की क्लास लगाने की बजाए भारत को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया… जिस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी करारा जवाब देकर यूरोपीय यूनियन का मुंह बंद कर दिया !
Pahalgam पर ज्ञान दे रहे European Union को S. Jaishankar ने दिया करारा जवाब !
पाकिस्तान और आतंकवाद के बीच रिश्ता कोई नई बात नहीं है. इसी पाकिस्तान में खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने मार गिराया.और इसी पाकिस्तान में हाफिज सईद. मसूद अजहर जैसे आतंकवादी आज भी आराम की जिंदगी काट रहे हैं. क्योंकि पाकिस्तान सरकार उन्हें भारत में आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए पाल रही है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है पगलगाम हमला. जहां पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन इसके बावजूद हर मामले में दादा बनने वाले यूरोपीय देशों को लगता है ये बात समझ में नहीं आ रही है. इसीलिये पहलगाम हमले के बाद यूरोपीय यूनियन की टॉप राजनयिक काजा कलास ने आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले पाकिस्तान की क्लास लगाने की बजाए भारत को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया. जिस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी करारा जवाब देकर यूरोपीय यूनियन का मुंह बंद कर दिया.

दरअसल यूरोपीय यूनियन में फ्रांस, इटली, जर्मनी जैसे 27 देश आते हैं. जो दुनिया के हर मामले में नाक घुसाने की आदत से मजबूर हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जब जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली. और जैसे ही ये खबर यूरोपीय यूनियन को मिली. उसकी टॉप की राजनयिक काजा कलास ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ ही पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार से भी फोन पर बात की. और दोनों देशों से फोन पर बात करने के बाद ज्ञान देने लगीं कि…"भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव चिंताजनक हैं, मैं दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बातचीत करने का आग्रह करती हूं, तनाव बढ़ने से किसी को कोई फायदा नहीं होता, मैंने आज एस जयशंकर और इशाक डार दोनों से बात करके ये संदेश दिए हैं"

इस बयान में यूरोपीय यूनियन की राजनयिक काजा कलास ने एक शब्द भी पाकिस्तान के खिलाफ नहीं कहा. जबकि पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद को पालने पोसने का काम पाकिस्तान ही करता है.भारत में आतंकियों की घुसपैठ भी वही कराता है.और पहलगाम में आतंकी हमले के पीछे भी उसी का हाथ है. लेकिन इसके बावजूद जब वक्त था पाकिस्तान की क्लास लगाते हुए भारत के साथ खड़े होने की. तब यूरोपीय यूनियन ज्ञान दे रहा था कि तनाव बढ़ने से किसी को फायदा नहीं होता... इसलिये दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए. ऐसे ज्ञान की जल्द ही भारत ने बखिया उधेड़ दी.जब मोदी के हनुमान कहे जाने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीधे सपाट शब्दों में जवाब दे दिया कि"जब हम दुनिया को देखते हैं तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं, हम उपदेशकों की तलाश नहीं करते, खासतौर से ऐसे उपदेशकों की जो विदेश में उपदेश देते हैं, उसका पालन अपने देश में नहीं करते और मुझे लगता है कि यूरोप का कुछ हिस्सा अभी भी उस समस्या से जूझ रहा है, कुछ में बदलाव आया है, अब वे इस दिशा में आगे बढ़ पाते हैं या नहीं, यह हमें देखना होगा, लेकिन हमारे दृष्टिकोण से अगर हमें साझेदारी विकसित करनी है तो कुछ समझ होनी चाहिए, कुछ संवेदनशीलता होनी चाहिए, हितों में पारस्परिकता होनी चाहिए, यह अहसास होना चाहिए कि दुनिया कैसे काम करती है, ये सभी काम यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग स्तर पर प्रगति पर हैं, कुछ आगे बढ़े हैं, कुछ थोड़े कम"


विदेश मंत्री का ये बयान बता रहा है कि उन्होंने यूरोपीय देशों को मुंहतोड़ जवाब दे दिया है कि भारत को तुम्हारे ज्ञान की जरूरत नहीं है. साथ खड़े होने की जरूरत है. और अगर इस मुश्किल वक्त में भारत के साथ नहीं खड़े हो सकते तो अपना ज्ञान अपने पास रखो. क्योंकि भारत इतना सक्षम है कि वो पाकिस्तान जैसे चूजे को सबक सिखा सके. ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय देशों का पिछलग्गू बनने की बजाए उसकी आंख में आंख डाल कर जवाब दिया है. इससे पहले भी साल 2022 में एस जयशंकर ने यूरोपीय यूनियन को नसीहत दी थी कि.यूरोप को अपनी उस मानसिकता से बाहर निकलना होगा, जिसमें उसे लगता है कि यूरोप की समस्या पूरी दुनिया की समस्या है, लेकिन पूरी दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्या नहीं है.वैसे एक बात और आपको बता दें. ये वही यूरोपीय यूनियन है जो लाख कोशिश करने के बावजूद आज तक रूस और यूक्रेन के बीच जंग नहीं रोक पाया. साल 2022 से ही दोनों देश जंग के मैदान में आमने सामने हैं. और यूरोप चला था भारत पर दबाव बनाने कि बाकी देशों की तरह वो भी रूस से तेल ना खरीदे. उस वक्त भी भारत ने यूरोपीय यूनियन की ये अपील ठुकरा दी. और अपने सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस से तेल खरीदना जारी रखा. इसी बात से समझ सकते हैं कि भारत अब वो भारत नहीं है जो पश्चिमी देशों के साथ ही यूरोपीय देशों का भी ज्ञान सुनेगा. ये वो भारत है जो वक्त आने पर लताड़ लगाना जानता है. और पहलगाम हमले पर भारत को पाकिस्तान के खिलाफ संयम बरतने का ज्ञान देने वाले यूरोपीय यूनियन को लताड़ लगाकर भारत ने यही किया है. 

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