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'शांति को अवसर, कायरता का पराक्रम से जवाब...', PAK-China को आर्मी चीफ ने दी चेतावनी, कहा- भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वालों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना की वर्तमान तैयारियों और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने पाकिस्तान की उकसावे वाली हरकतों पर भारतीय सेना द्वारा दिए गए सटीक और सख्त कार्रवाई पर भी बात की. जनरल द्विवेदी ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी ढांचे को मुंहतोड़ जवाब दिया गया और आगे भी दिया जाएगा.

Image: General Upendra Dwivedi / X

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना की तैयारियों, बदलावों और पाकिस्तान को दिए गए मुंहतोड़ जवाब के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि 7 से 9 मई के बीच पाकिस्तान की ओर से की गई गतिविधियों का भारतीय सेना ने संयमित लेकिन प्रभावी और कैलकुलेटेर (नपा-तुला) तरीके से जवाब दिया. हमारी आर्मी एयर डिफेंस एक ऐसी अभेद्य दीवार की तरह सामने खड़ी रही, जिसे कोई भी ड्रोन या मिसाइल भेद नहीं सका.

भारत विरोधी शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना और देश को मिली अभूतपूर्व सफलता और गौरव पर बात करते हुए जनरल द्विवेदी ने यह साफ कहा कियह सफलता ‘Whole-of-Nation Approach’ का प्रतिफल है, जिसमें सेना, वायुसेना, नौसेना और अन्य सरकारी एजेंसियों ने तालमेल के साथ कार्य किया. उन्होंने सख्त लहजे में पाकिस्तान और अन्य भारत विरोधी शक्तियों को चेतावनी देते हुए कहा कि हिंदुस्तान की संप्रभुता, अखंडता या नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी ताकत को अब सशक्त और मुंहतोड़ जवाब मिलेगा. भारतीय सेना आज तेजी से एक आधुनिक, परिवर्तनशील, लचीली और भविष्योन्मुख शक्ति में बदल रही है.

All Arms Brigades- रूद्र का गठन
भारतीय सेना में इंटीग्रेटे़ कमान की सफलता को देखते जनरल द्विवेदी ने एक और ऐलान किया और कहा कि सेना में रणनीतिक बदलाव के तहत ‘रुद्र’ नाम की ऑल-आर्म्स ब्रिगेड्स (All Arms Brigades) का गठन किया जा रहा है, जिसमें इन्फैंट्री, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री, आर्मर्ड यूनिट्स, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेस और अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स जैसे प्रमुख युद्धक घटकों को एकीकृत किया गया है. इन ब्रिगेड्स को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए लॉजिस्टिक्स और कॉम्बैट सपोर्ट की सहायता भी प्राप्त होगी.

ड्रोन और एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी पर सेना का जोर 

पाकिस्तान द्वारा भारत पर किए गए हमले में बड़े पैमाने पर हुए ड्रोन के इस्तेमाल ने पूरे रक्षा तंत्र की आंखें खोल दी कि अब आने वाले समय में युद्ध किस ओर जा रहा है. वहीं मिसाइल और ड्रोन हमलों से देश को बचाने में सामने आई एयर डिफेंस की भूमिका ने एक नई बहस छेड़ दी है कि कैसे इसे और मजबूत और अभेद्द किया जाए. इसी को ध्यान रखते हुए भारतीय सेना में ड्रोन युद्धक तकनीक और एयर डिफेंस सिस्टम को अत्याधुनिक रूप दिया जा रहा है. जनरल द्विवेदी ने जानकारी दी कि ‘भैरव’ नाम से हल्की कमांडो बटालियन तैयार की जा रही हैं, जो तीव्र, घातक और विशेष अभियानों में सक्षम होंगी. हर इन्फैंट्री बटालियन में अब ड्रोन प्लाटून्स की तैनाती की जा रही है. आर्टिलरी को 'दिव्यास्त्र बैटरियां' और लोइटर म्युनिशन बैटरियों से सुसज्जित कर उसकी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाया गया है. साथ ही, एयर डिफेंस को अब स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों से लैस किया जा रहा है.

'शांति को दिया अवसर, कायरता का जवाब पराक्रम से दिया'
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान सेना ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी ढांचे को पूरी ताकत से निशाना बनाया. उन्होंने दो टूक कहा, “हमने शांति को अवसर दिया, लेकिन कायरता का जवाब पराक्रम से दिया. ऑपरेशन सिंदूर हमारा संकल्प, संदेश और उत्तर है.”

लद्दाख सहित सीमावर्ती, पहाड़ी इलाकों में ड्यूल-यूज़ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान
लद्दाख में हो रहे विकास कार्यों पर उन्होंने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ड्यूल-यूज़ इन्फ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत सड़कें, पुल और संचार नेटवर्क बनाए जा रहे हैं, जिससे सेना के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों को भी सुविधाएं मिल रही हैं. ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत चयनित गांवों में सेना प्राथमिकता से बुनियादी ढांचा मजबूत कर रही है.

सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए युद्धस्थल, आध्यात्मिक, पारिस्थितिकीय, विरासत और साहसिक पर्यटन जैसे क्षेत्रों में प्रयास किए जा रहे हैं. स्थानीय युवाओं को टूर गाइड, माउंटेनियरिंग और एडवेंचर स्पोर्ट्स में प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. ‘स्मार्ट बॉर्डर्स’ पहल के अंतर्गत दूरस्थ इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सेना के संचार टावरों का उपयोग किया जा रहा है.

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