Rana Sanga मामले में Akhilesh Yadav को अब Mayawati ने दिया करारा जवाब !
राजपूत राजा राणा सांगा को गद्दार बोलने वाले सपाई सांसद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तो अखिलेश यादव दलित कार्ड खेलने लगे जिस पर दलितों की सबसे बड़ी नेता और बीएसपी अध्यक्ष मायावती इस कदर भड़क गईं कि अखिलेश यादव पर दलितों के नाम पर घिनौनी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए दिया करारा जवाब
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राणा सांगा के अपमान पर भड़के लोगों ने जब विरोध प्रदर्शन करते हुए सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर तोड़फोड़ की, तो सपा मुखिया अखिलेश यादव तुरंत बचाव में उतर आए और दलित कार्ड खेलते हुए कहने लगे कि रामजी लाल सुमन एक दलित सांसद हैं, इसलिये उनके घर पर हमला किया गया।
राजपूत राजा राणा सांगा को गद्दार बोलने वाले सपा सांसद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू होने पर अखिलेश यादव दलित कार्ड खेलने लगे, जिस पर दलितों की सबसे बड़ी नेता और बीएसपी अध्यक्ष मायावती इस कदर भड़क गईं कि उन्होंने अखिलेश यादव पर दलितों के नाम पर घिनौनी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, “सपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए अपने दलित नेताओं को आगे करके जो घिनौनी राजनीति कर रही है, यह उचित नहीं। दलितों को इनके सभी हथकंडों से सावधान रहना चाहिए। सपा को अपने स्वार्थ में किसी भी समुदाय का अपमान करना ठीक नहीं।”
मायावती ने जहां अखिलेश यादव पर दलित नेताओं को आगे करके राजनीति करने का बड़ा आरोप लगाया, वहीं यूपी के लोगों ने भी सवाल पूछना शुरू कर दिया है कि आपके पास यादव सांसद भी हैं, तो फिर दलित सांसद से ही राणा सांगा के खिलाफ क्यों बयान दिलवाया?
पहले सपा सांसद ने देश के वीर राजा राणा सांगा को गद्दार कहा, और फिर जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तो अखिलेश यादव दलित कार्ड खेलने लगे और आरोप लगाने लगे कि दलित होने की वजह से उनके सांसद रामजी लाल सुमन का विरोध हो रहा है। लेकिन उनका यह हथकंडा अब काम नहीं आ रहा है, क्योंकि दलित समाज भी लगता है उनकी यह राजनीति समझ गया है। इसीलिए अब अखिलेश यादव से ही सवाल किया जाने लगा है कि उनके परिवार में कई यादव सांसद हैं, उनसे राणा सांगा के खिलाफ बयान क्यों नहीं दिलवाया गया? एक दलित नेता को ही क्यों मोहरा बनाया गया?
यानी सपा सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान की वजह से अब दलित और राजपूत दोनों समाज का गुस्सा झेलना पड़ रहा है। वैसे, अखिलेश यादव अगर चाहते तो अपने सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ कार्रवाई करके मामले को शांत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। जिसके बाद से ही सड़क से लेकर संसद तक समाजवादी पार्टी का विरोध हो रहा है।
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