कोई मध्यस्थता नहीं, कोई फोन कॉल नहीं...जयशंकर ने संसद में खोली PAK की पोल, ट्रंप को भी दिखाया आईना, बताई ऑपरेशन सिंदूर की टाइमलाइन
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है, खासकर जब यह पाकिस्तान से शुरू होता है. उन्होंने यह भी साफ किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई.
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लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर जारी चर्चा के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधा. उन्होंने लोकसभा में कहा कि हमने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था. हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दौरान लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है, खासकर जब यह पाकिस्तान से शुरू होता है. उन्होंने यह भी साफ किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई. जयशंकर ने कहा, "22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई."
पहलगाम हमले के बाद कौन से कदम उठाए गए- विदेश मंत्री ने बता दिया
पहला कदम यह उठाया गया कि 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक हुई. उस बैठक में निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता. इसके अलावा, अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल बंद किया जाएगा. SAARC वीजा छूट योजना के तहत यात्रा करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को अब यह सुविधा नहीं मिलेगी. पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित (अवांछित व्यक्ति) किया जाएगा. उच्चायोग की कुल कर्मचारी संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी."
'कोई मध्यस्थता नहीं हुई, कोई बातचीत ट्रंप से नहीं हुई'
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में साफ किया कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई.
'पाकिस्तान ने घुटने टेके'
जयशंकर ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान पर भारत के जवाबी हमलों के बाद भारत को ऐसे फोन कॉल आने लगे, जिनसे संकेत मिलने लगे थे कि पाकिस्तान अब हार मान चुका है. हालांकि भारत ने यह साफ कर दिया कि अगर पाकिस्तान झुक रहा है तो उसे औपचारिक तौर पर अपने सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) के जरिए यह बात कहनी चाहिए. इसलिए भारत ने अपनी कार्रवाई पर ब्रेक तब ही लगाया जब पाकिस्तान की ओर से गुहार लगाई गई.
विदेश मंत्री ने यह भी कहा, "यह बिल्कुल स्पष्ट था कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा स्वीकृत प्रारंभिक कदमों के बाद भारत की प्रतिक्रिया केवल यहीं रुकने वाली नहीं थी. पहलगाम हमले के बाद, कूटनीतिक और विदेश नीति के स्तर पर हमारा लक्ष्य इस हमले को लेकर वैश्विक समझ बनाना था. हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान द्वारा लंबे समय से किए जा रहे सीमा पार आतंकवाद को उजागर करने की कोशिश की. हमने न केवल पाकिस्तान में आतंकवाद के इतिहास को सामने रखा, बल्कि यह भी बताया कि इस हमले का असली मकसद जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और भारत के लोगों के बीच सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था."
जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई यहीं नहीं रुकेगी. कूटनीतिक दृष्टिकोण से हमारा लक्ष्य था कि दुनिया को इस हमले का सही अर्थ समझाया जाए. हमने पाकिस्तान के लंबे समय से चल रहे सीमा पार आतंकवाद के इतिहास को उजागर किया और बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया गया था."
UN के 193 में से तीन सदस्यों ने ही किया ऑपरेशन सिंदूर का विरोध
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "हमने दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है. हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया और कहा कि हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े. हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया है. सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ही 'ऑपरेशन सिंदूर' का विरोध किया. यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस ऑपरेशन का विरोध किया."
मिशन पाक बेनकाब के फोकस थे UNSC के सदस्य देश
विदेश मंत्री जयशंकर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में बोलते हुए कहा, "हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर था. चुनौती यह थी कि इस समय पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जबकि भारत नहीं है. हमारा लक्ष्य दो चीजें हासिल करना था. पहला सुरक्षा परिषद से इस बात की पुष्टि करवाना कि इस हमले के लिए जवाबदेही जरूरी है. साथ ही हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना है."
'हमने पाकिस्तान को सिखाया सबक'
एस जयशंकर नेकहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की. पाकिस्तान ने TRF का बचाव किया था. 7 मई की सुबह मैसेज दिया गया और पाकिस्तान को सबक सिखाया गया. हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और हमने पाकिस्तान कड़ा संदेश दिया.
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान में परिषद के सदस्यों ने इस आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की. उन्होंने पुष्टि की है कि आतंकवाद, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिषद ने इस निंदनीय आतंकी कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि पाकिस्तानी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध भारत की व्यापक आतंकवाद-रोधी रणनीति के हिस्से के रूप में जारी रहेंगे. जयशंकर ने कहा, "ये उपाय आतंकवाद के खतरे से निपटने की हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं."
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