जनगणना 2027 की अधिसूचना जारी, जानिए इस बार क्या होगा नया, पूछे जाएंगे कौन से सवाल
केंद्र सरकार ने सोमवार को जनगणना 2026-27 को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी राजपत्र में बताया गया है कि जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी. दो चरणों में होने वाली जनगणना पहला चरण 1 अक्टूबर, 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में जनगणना का कार्य किया जाएगा. वहीं, दूसरा चरण 1 मार्च, 2027 से देश के बाकी हिस्सों में शुरू होगा.

केंद्र सरकार ने सोमवार को जनगणना 2026-27 को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी राजपत्र में बताया गया है कि जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहला चरण 1 अक्टूबर, 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में जनगणना का कार्य किया जाएगा. वहीं, दूसरा चरण 1 मार्च, 2027 से देश के बाकी हिस्सों में शुरू होगा.
अधिसूचना की मुख्य बातें
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया, "केंद्रीय सरकार, जनगणना अधिनियम, 1948 (1948 का 37) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और भारत के राजपत्र असाधारण, भाग 2, खंड 3 उपखंड (ii) तारीख 28 मार्च, 2019 में प्रकाशित भारत सरकार के गृह मंत्रालय (भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय) की अधिसूचना संख्यांक का. आ. 1455(अ) तारीख 26 मार्च, 2019 के अधिक्रमण में, उन बातों के सिवाय, जिन्हें ऐसे अधिक्रमण से पहले किया गया है या करने का लोप किया गया है, यह घोषणा करती है कि भारत की जनसंख्या की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी."
किस दिन शुरू होगी जनगणना
इसमें आगे कहा गया है, "उक्त जनगणना के लिए संदर्भ तारीख, संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख के और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित असमकालिक क्षेत्रों के सिवाय, मार्च, 2027 के पहले दिन के 00:00 बजे होगी. संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख के लिए और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित असमकालिक क्षेत्रों के लिए संदर्भ तारीख अक्तूबर, 2026 के पहले दिन के 00:00 बजे होगी." यह पहली बार है, जब जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जा रहा है. हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में केंद्र ने जाति आधारित गणना को मंजूरी दी थी, ताकि सरकार बेहतर नीतियां बना सके और इन्हें लक्ष्य-आधारित कर सके.
हालांकि, जाति आधारित गणना की मंजूरी ने राजनीतिक विवाद भी पैदा किया. कांग्रेस ने दावा किया कि मोदी सरकार को सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के उनके विचार को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा. वहीं, भाजपा ने विपक्ष का मजाक उड़ाया और कहा कि विपक्ष पिछड़े वर्गों का चैंपियन होने का दावा करता है, लेकिन असल में एनडीए सरकार ही जमीनी स्तर पर बदलाव ला रही है.
कैसे सवाल पूछे जाते हैं?
जनगणना में पूछे जाने वाले सवाल बेहद व्यापक होते हैं, जिन्हें दो मुख्य चरणों में बांटा जाता है - हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस. हाउसिंग सेंसस में घरों और उनकी सुविधाओं से संबंधित जानकारी जुटाई जाती है, जबकि जनगणना चरण में व्यक्तियों से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है.
पहले चरण में पूछे जाने वाले सवालों में घर की दीवारें मिट्टी से बनी हैं या ईंट-पत्थर से, फर्श कच्चा है या टाइल्स वाला और छत किस तरह की है, इस तरह के सवाल शामिल है. इस दौरान यह भी रिकॉर्ड किया जाता है कि वॉशरूम की व्यवस्था कैसी है, क्या वह निजी है या सामुदायिक और शौचालय का वेस्ट कहां जाता है - सैप्टिक टैंक में, सीवर से जुड़ा है या कोई व्यवस्था नहीं है. इसमें आपसे घर में इस्तेमाल होने वाले चीज़ों के बारे में भी पूछा जाता है जैसे आपके घर में महंगी चीज़ों का इस्तेमाल होता है या सस्ती चीज़ों का.