खड़गे परिवार पर दलीतों जमीन लूटने का आरोप ! जानिए पूरा मामला
कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा मुडा घोटाला में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी गई। अब एक नया मामला सामने आ रहा है, कांग्रेस अध्यक्ष और कर्नाटक के मंत्रियों ने एक भूमि भूखंड के आवंटन को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। पूरा मामला देखिए
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अब पूरा माजरा समझाते हैं। बेंगलुरु एयरपोर्ट से कुछ दूरी पर एयरोस्पेस पार्क में 46 एकड़ ज़मीन है। यह ज़मीन नागरिक सुविधाओं के लिए रखी गई थी। और इसी 46 एकड़ ज़मीन में से कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड ने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के नाम कर दी। अब इस ट्रस्ट के ट्रस्टीज़ के नाम बताते हैं:
सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टीज़
- मल्लिकार्जुन खड़गे
- राधाबाई (खड़गे की पत्नी)
- प्रियांक खड़गे (खड़गे के बड़े बेटे)
- राहुल खड़गे (खड़गे के छोटे बेटे)
- राधाकृष्ण (खड़गे के दामाद)
मतलब, यह ट्रस्ट खड़गे परिवार ही चलाता है। अब सबसे मजेदार बात समझिए, यह वही कांग्रेस है जो अंबानी को एयरक्राफ्ट कॉन्ट्रैक्ट मिलने पर झट से पूछ रही थी कि अंबानी को एयरक्राफ्ट बनाने का अनुभव है क्या। लेकिन इन्होंने खुद एयरोस्पेस पार्क की ज़मीन हड़प ली। तो अब सवाल सबके मन में आता है कि कब खड़गे परिवार एयरोस्पेस एंटरप्रेन्योर बन गया। वैसे तो नियम यह है कि सरकारी ज़मीन की नीलामी होती है, लेकिन यहां जब सरकार ही अपनी है तो क्या नियम और क्या रेगुलेशन। सीधे दलितों की पार्टी ने एक दलित परिवार को ज़मीन दे दी। लेकिन इस दलित परिवार के बारे में थोड़ी जानकारी दे देते हैं। यह वही दलित परिवार है जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं, बड़े बेटे प्रियांक खड़गे कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं और दामाद राधाकृष्णा कलबुर्गी से सांसद हैं। यानी देखा जाए तो पूरा परिवार ही अच्छे स्तर पर है। लेकिन जाति से दलित है तो कोटा चाहिए।
कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) ने तमाम नियमों को ताक पर रख दिया, सिर्फ और सिर्फ एक दलित परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए। कई अलग-अलग दलित संगठनों से लेकर लाखों रुपये इकट्ठे किए और इसे दे दिया अपने खास को। अब विडंबना देखिए कि जिस काम को करने में काफी वक्त लग जाता है, वह काम खड़गे परिवार के लिए 24 घंटे में हो गया। मामले को लेकर बड़ी आसानी से प्रियांक खड़गे कहते हैं कि यह समिति का फैसला है। यह सही है कि आप समिति खुद बनाओ और फिर अपने फैसले को उनका फैसला बता दो। खैर, ज़मीन से प्यार तो कांग्रेसियों के खून में है तभी तो सिद्धारमैया और उनकी पत्नी ने पद का फायदा उठाते हुए मैसूर में 14 प्रीमियम साइट्स अपने नाम करवा लिया।
मामले को लेकर बीजेपी सांसद लहर सिंह सिरोया ने कई ट्वीट कर स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच की मांग की। इस पूरे मामले में बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता ने भी कांग्रेस को लपेटे में लिया।खैर, कांग्रेस के इस मामले को देखकर क्या आपको लगता है कि यह भाई-भतीजावाद वाली पार्टी है जहां सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचा जाता है?
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