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भारतीय सेना की मारक क्षमता होगी अचूक, जल्द मिलेगी मेड इन इंडिया 'शेर' AK-203 राइफल, कई देशों से आई डिमांड, अद्भुत है खासियत

भारतीय सेना की मारक क्षमता अचूक होने जा रही है. जल्द मिलने जा रही है सबसे अब तक की श्रेष्ठ राइफल AK 203, नाम रखा गया 'शेर', दुनिया के कई देशों से भी आई भारी डिमांड. जानें क्या है इस मेड इन इंडिया राइफल की खासियत और सटीकता.

Created By: केशव झा
17 Jul, 2025
( Updated: 18 Jul, 2025
01:52 PM )
भारतीय सेना की मारक क्षमता होगी अचूक, जल्द मिलेगी मेड इन इंडिया 'शेर' AK-203 राइफल, कई देशों से आई डिमांड, अद्भुत है खासियत
AK 203/ X

दशकों तक मेड इन रूस बने AK-47 और अन्य देशों से मिलने वाली बंदूकों पर निर्भर रहने वाली भारतीय सेना मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा होने जा रहा है. दरअसल सेना को आने वाले 2–3 हफ्तों में कलाश्निकोव AK-203 असॉल्ट राइफलों की अगली खेप मिलने जा रही है. इसकी खासियत है कि इन राइफलों का निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी में भारत और रूस के एक संयुक्त उद्यम के जरिए किया जा रहा है. इस लिहाज से इसे मेड इन इंडिया राइफल भी कहा जा रहा है. वर्ष 2024 में सेना को 35,000 राइफलें पहले ही दी जा चुकी हैं, जबकि 2026 तक एक लाख और यूनिट सेना के बेड़े में शामिल की जाएंगी. इस आधार पर चरणवार इसका पूरी तरह इस्तेमाल शुरू हो जाएगा. 

INSAS राइफलों की जगह लेंगी AK-203 राइफल
भारतीय सेना अब दशकों पुरानी INSAS राइफलों को हटाकर AK-203 को अपनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. ये राइफलें रूसी मूल की अत्याधुनिक असॉल्ट वेपन श्रेणी में आती हैं, जिन्हें नजदीकी और मध्यम दूरी की लड़ाई में बेहतरीन माना जाता है. भारत ने रूस के साथ जुलाई 2021 में करीब 5,000 करोड़ रुपये का एक समझौता किया था, जिसके अंतर्गत 6 लाख से अधिक AK-203 राइफलें भारत में ही रूसी तकनीक के हस्तांतरण के साथ बनाई जा रही हैं. यह पहल न केवल सेना की ताकत बढ़ा रही है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' और रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक ठोस कदम है.

AK-203 को दिया गया नया नाम-'शेर'
देश में बन रही स्वदेशी AK-203 असॉल्ट राइफल को अब एक नया नाम मिलने जा रहा है 'शेर' जो दिसंबर 2025 से इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) द्वारा सेना को सौंपी जाएगी. हिंदी में शेर शब्द साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसकी छवि न केवल ताकतवर शिकारी के रूप में, बल्कि अपने समूह की रक्षा करने वाले रक्षक के रूप में भी देखी जाती है. भारत में "शेर" वीरता, आत्मबल और नेतृत्व का प्रतीक है — और यही भावना अब देश की आधुनिक राइफल से जुड़ने जा रही है.

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