Advertisement

सास-ससुर से नहीं है लगाव! तो ये बन सकता है तलाक का आधार, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, जानिए पूरा मामला

पति-पत्नी के बीच तल्‍ख रिश्‍ते से जुड़े एक मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि पत्‍नी की ओर से पति पर परिवार से रिश्‍ते तोड़ने का दबाव बनाना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है और यह तलाक का वैलिड आधार है.

19 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:23 PM )
सास-ससुर से नहीं है लगाव! तो ये बन सकता है तलाक का आधार, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, जानिए पूरा मामला
Delhi High Court

पति-पत्‍नी के बीच तलाक के कई आधार होते हैं. कोर्ट की ओर से भी नई वजहें जोड़ी जाती हैं. दंपति के बीच खराब रिश्‍ते से जुड़े एक मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ तौर पर कह दिया है कि पत्‍नी की ओर से पति पर परिवार से रिश्‍ते तोड़ने का दबाव बनाना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है और यह तलाक का वैलिड आधार है. यानी कि सास-ससुर, देवर या ननद से रिश्‍ता तोड़ने का दबाव डालना पति को तलाक लेने का आधार दे सकता है. हाईकोर्ट ने इस आदेश के साथ महिला की याचिका को खारिज कर दिया. 

दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि पति या पत्नी पर अपने परिवार से रिश्‍ते तोड़ने का दबाव डालना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है और इसे तलाक का वैध आधार माना जा सकता है. जस्टिस अनिल खसेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट का यह आदेश उस समय दिया, जब एक महिला ने पारिवारिक अदालत के जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी. पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका स्वीकार करते हुए दांपत्य संबंध (Marriage Relation) समाप्त कर दिए थे.

क्या है पूरा मामला? 

मार्च 2007 में शादी के बाद कपल का एक बेटा हुआ, लेकिन 2011 से दोनों अलग रह रहे थे. पति ने 2016 में तलाक की अर्जी लगाई और आरोप लगाया कि पत्नी संयुक्त परिवार में रहने को तैयार नहीं थी, लगातार परिवार की संपत्ति के बंटवारे और अलग रहने का दबाव बनाती रही. पति का दावा था कि पत्नी घर के कामकाज से बचती थी, परिवारजनों के साथ असम्मानजनक व्यवहार करती थी, सार्वजनिक जगहों पर विवाद खड़े करती थी और परिवार को झूठे केस में फंसाने की धमकी देती थी. पारिवारिक अदालत ने जनवरी 2023 में पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया था, जिसे चुनौती देने के लिए पत्नी हाईकोर्ट पहुंची.

पत्नी ने याचिका में क्या कहा?

यह भी पढ़ें

महिला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि सास और ननद ने उसे लगातार परेशान किया. गर्भावस्था के दौरान उसका अपमान किया गया, घर के संसाधन सीमित किए गए और अनुचित अपेक्षाएँ रखी गईं. उसने कहा कि इससे उसे मानसिक और शारीरिक नुकसान हुआ, बेटा भी प्रभावित हुआ और कई बार पुलिस को दखल देना पड़ा. हालांकि, जस्टिस शंकर की बेंच ने पारिवारिक अदालत के फैसले को सही ठहराया. अदालत ने कहा कि पत्नी का आचरण सामान्य वैवाहिक मतभेदों से कहीं आगे था. पति पर परिवार से नाता तोड़ने का लगातार दबाव, अपमान, धमकी और भावनात्मक दूरी ने विवाह को असहनीय बना दिया.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें