'जाओ, खुद भगवान से कहो कि कुछ करें...', सुप्रीम कोर्ट ने भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में जावरी मंदिर की सात फुट लंबी भगवान विष्णु की टूटी मूर्ति को ठीक करने या नई लगाने की याचिका को खारिज कर दिया. CJI ने इसे ‘पब्लिसिटी का हथकंडा’ बताया.
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सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर 2025 को मध्य प्रदेश के खजुराहो में जावरी मंदिर की सात फुट लंबी भगवान विष्णु की टूटी मूर्ति को ठीक करने या नई लगाने की याचिका को खारिज कर दिया. राकेश दालाल ने ये याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि मुगल हमलों में मूर्ति का सिर टूट गया था और भक्तों को पूजा करने का हक मिलना चाहिए. लेकिन CJI बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका सुनने से मना कर दिया.
CJI ने क्या कहा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, CJI ने कहा, “ये बस पब्लिसिटी के लिए है… जाओ, भगवान विष्णु से खुद कहो कि कुछ करें. अगर तुम उनके इतने बड़े भक्त हो, तो प्रार्थना करो, ध्यान लगाओ.”
याचिकाकर्ता के वकील ने मूर्ति की तस्वीर दिखाई और कहा कि सिर पूरी तरह बर्बाद है, इसे ठीक करना जरूरी है. लेकिन CJI ने जवाब दिया कि खजुराहो मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया के जिम्मे है. उन्होंने कहा, “ये पुरातत्व की चीज है. ASI को तय करना है कि मूर्ति ठीक होगी या नहीं. कई सारी दिक्कतें हैं. तब तक, अगर तुम्हें शिवजी से दिक्कत नहीं, तो वहां जाकर पूजा कर लो. खजुराहो में शिव का बहुत बड़ा लिंगम है, सबसे बड़े में से एक.” बेंच ने याचिका फौरन खारिज कर दी.
याचिका में क्या लिखा गया है?
याचिका में लिखा था कि केंद्र के गृह मंत्री और ASI को कई बार चिट्ठी लिखी गई, लेकिन जवाब मिला कि मूर्ति बदलना संरक्षण नियमों के खिलाफ है. ASI के सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट ने कहा कि खजुराहो मंदिरों की देखभाल उनकी जिम्मेदारी है और टूटी मूर्ति को नई से बदलना नियमों में नहीं है.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इससे भक्तों के पूजा के हक का हनन हो रहा है. उन्होंने विरोध, ज्ञापन और अभियानों का जिक्र किया, जो बेकार गए. लेकिन कोर्ट ने इसे हक का मसला नहीं माना.
सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा मामला
CJI का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. सुप्रीम कोर्ट की बातों को सुन लोग गुस्से में हैं कि कोर्ट ने हिंदू भक्तों की भावनाओं का मजाक बनाया. कई लोगों का कहना है कि देवता से पूछने वाला तंज अपमानजनक है.
शशांक शेखर झा ने ट्वीट किया, “हिंदुस्तान में एक हिंदू भगवान विष्णु की टूटी मूर्ति ठीक करने की गुहार लगाता है. सुप्रीम कोर्ट में मामला जाता है. CJI, जो खुद को नियो-बौद्ध कहते हैं, न सिर्फ मदद करने से मना करते हैं, बल्कि भक्त की आस्था का मजाक उड़ाते हैं. मैं मध्य प्रदेश के सीएम @DrMohanYadav51 से मूर्ति ठीक करने की अपील करता हूं.”
A Hindu prays for the restoration of a beheaded idol of Lord Vishnu in Hindustan.
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) September 16, 2025
The matter is listed before Supreme Court.
Chief Justice of India, who identifies as a Neo-Buddha, not only declines to grant relief but even mocks the petitioner’s belief.
I would request the… pic.twitter.com/Sz37N4tXwg
एडवोकेट विनीत जिंदल ने लिखा, “इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि देश के माननीय CJI भगवान के संदर्भ में इस प्रकार की टिप्पणी करें. जो व्यक्ति सभी धर्मों को सम्मान देने की बात करते हैं, क्या वे किसी अन्य धर्म विशेष के संदर्भ में इस तरह के शब्द कह सकते हैं? निश्चित ही नहीं. आदेश देना उनका अधिकार है, लेकिन भगवान का अपमान सहन नहीं किया जाएगा, चाहे वह देश का मुख्य न्यायाधीश ही क्यों न हो. माननीय CJI को देश के करोड़ों हिंदुओं से क्षमा मांगनी चाहिए और अपने इन मौखिक शब्दों को तत्काल वापस लेना चाहिए.”
इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि देश के माननीय CJI भगवान के संदर्भ में इस प्रकार की टिप्पणी करें। जो व्यक्ति सभी धर्मों को सम्मान देने की बात करते हैं, क्या वे किसी अन्य धर्म विशेष के संदर्भ में इस तरह के शब्द कह सकते हैं? निश्चित ही नहीं। आदेश देना उनका अधिकार है, लेकिन… pic.twitter.com/SwlaNWZ7mu
— Adv.Vineet Jindal (@vineetJindal19) September 16, 2025
इन ट्वीट्स को देखकर ये कहना गलता नहीं होगा की लोगों में गुस्सा है. यूजर्स का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट को धार्मिक मामलों में संवेदनशीलता बरतने की जरुरत है. इधर मध्य प्रदेश के सीएम से मामले में हस्तक्षेप की मांग भी तेज हो गई है. जानकार मानते हैं कि ASI के नियम सख्त हैं, लेकिन भक्तों की आस्था को भी देखने की जरुरत है.
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