'गौ राष्ट्र यात्रा' ने राजकोट में खोले अनुभव के द्वार: हज़ारों किलोमीटर के सफर और भविष्य के विराट संकल्पों का हुआ अनावरण
भारत सिंह राजपुरोहित के दूरदर्शी नेतृत्व में चल रही राष्ट्रव्यापी 'गौ राष्ट्र यात्रा' गुजरात के राजकोट पहुँच गई है. भारत सिंह राजपुरोहित ने यात्रा के दौरान हुए चिंतन और मंथन से उपजे कुछ दूरगामी निर्णयों और भविष्य के लिए निर्धारित संकल्पों को साझा किया.
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जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित के दूरदर्शी नेतृत्व में चल रही राष्ट्रव्यापी 'गौ राष्ट्र यात्रा' गुजरात के राजकोट पहुँच गई है. इस ऐतिहासिक पड़ाव पर एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जहाँ श्री राजपुरोहित ने देश भर से आए मीडिया और प्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए इस यात्रा के अब तक के सफ़र, इसके मर्म और भविष्य के लिए निर्धारित विराट संकल्पों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
'गौ राष्ट्र यात्रा' का आध्यात्मिक और सामाजिक महाभियान
श्री भारत सिंह राजपुरोहित ने अपने संबोधन में बताया कि 'गौ राष्ट्र यात्रा' मात्र एक शारीरिक भ्रमण नहीं, बल्कि गौमाता के प्रति राष्ट्रव्यापी चेतना जगाने का एक आध्यात्मिक और सामाजिक महाभियान है. इस यात्रा का भव्य श्रीगणेश उत्तराखंड के पावन ऋषिकेश से हुआ, जहाँ पूज्य संतों का आशीर्वाद लेकर इस पवित्र यात्रा का शुभारंभ किया गया. वहाँ से यह यात्रा धर्मनगरी हरिद्वार पहुँची, जहाँ माँ गंगा की पवित्र आरती कर, उनके आशीर्वाद से आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया.
यात्रा ने इसके उपरांत उत्तर भारत के महत्वपूर्ण शहरों जैसे रुड़की, शामली, मुरादनगर और नोएडा में प्रवेश किया. इन स्थानों पर, स्थानीय गौभक्तों और समाजसेवियों के साथ 'गाय पर चर्चा' के विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसने गौमाता के महत्व और उनके संरक्षण पर गहन विचार-विमर्श को जन्म दिया. दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित 'योगा विद काऊ' जैसा अभिनव कार्यक्रम एक बड़ी सफलता साबित हुआ. इस अनूठे आयोजन को मीडिया और आम समाज दोनों से व्यापक सराहना और अपार प्रेम मिला, जिसने गौमाता को स्वास्थ्य और सद्भाव से जोड़ने का एक नया आयाम प्रस्तुत किया.
दिल्ली से आगे बढ़ते हुए, 'गौ राष्ट्र यात्रा' ने हरियाणा के विभिन्न जिलों का दौरा किया, जहाँ गौपालकों और किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित किया गया. इसके बाद, यह यात्रा पंजाब के ऐतिहासिक ढींगवाली गाँव पहुँची, जो अपनी साहीवाल नस्ल की देसी गायों के लिए विश्वविख्यात है. यहाँ गौवंश की इस विशिष्ट नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों को बारीकी से समझा गया. पंजाब से निकलकर, यात्रा ने राजस्थान के विभिन्न गाँवों और जिलों में कदम रखा, जहाँ गौपालकों से व्यक्तिगत रूप से भेंट कर उनकी समस्याओं, नवाचारों और गौपालन के अनमोल अनुभवों को एकत्रित करने का प्रयास किया गया. वर्तमान में, 'गौ राष्ट्र यात्रा' गुजरात के विविध जिलों और गाँवों में किसान गौपालकों से संवाद स्थापित कर रही है, उनकी वास्तविकताओं को समझ रही है और उनके अनुभवों को भविष्य की नीति निर्माण में शामिल करने का प्रयास कर रही है.
नंदी बैंक से किसान स्वाभिमान तक के संकल्प
भारत सिंह राजपुरोहित ने यात्रा के दौरान हुए चिंतन और मंथन से उपजे कुछ दूरगामी निर्णयों और भविष्य के लिए निर्धारित संकल्पों को साझा किया:
- नंदी बैंक की स्थापना: देश भर में उत्तम देसी नस्ल की गायों के प्रजनन और उनके वंश को शुद्ध रखने के लिए विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर 'नंदी बैंक' स्थापित किए जाएँगे. यह पहल स्वस्थ और मजबूत गौवंश के प्रसार में एक आधारभूत भूमिका निभाएगी.
- राष्ट्रीय गौ-मेले और पुरस्कार: देसी गायों और नंदियों को प्रोत्साहित करने तथा उनके व्यापार को बढ़ावा देने के लिए देश के विभिन्न शहरों और जिलों में भव्य गाय-बैल मेले आयोजित किए जाएँगे. इन मेलों में सर्वश्रेष्ठ देसी गायों और नंदियों को उनकी नस्लीय शुद्धता और गुणवत्ता के आधार पर विशेष पुरस्कार प्रदान किए जाएँगे, ताकि गौपालकों को उत्कृष्ट पशुधन के लिए प्रोत्साहन मिल सके.
- किसानों और गौपालकों का स्वाभिमान पुनर्स्थापन: यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य गौपालकों और किसानों के खोए हुए स्वाभिमान को पुनः स्थापित करना है. इस दिशा में ऐसे कार्यक्रम चलाए जाएँगे जो गौपालन को एक सम्मानजनक, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और गर्व का व्यवसाय बना सकें.
श्री राजपुरोहित ने यह भी बताया कि यह यात्रा 10,000 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तय करेगी. गुजरात में अपने पड़ावों के बाद, यह यात्रा अब महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी और अंततः अगस्त माह में भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित रामेश्वरम में अपने गंतव्य तक पहुँचेगी. यह एक ऐसा महाभियान है जो भौगोलिक सीमाओं को पार कर पूरे राष्ट्र को गौमाता के एक सूत्र में बांधने का लक्ष्य रखता है.
जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) - एक दूरदर्शी पहल
जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) एक अग्रणी संगठन है जो जीव-जंतु कल्याण, देसी नस्लों के संरक्षण और कृषि शोध के क्षेत्र में अथक कार्य कर रहा है. यह संस्था जैविक खेती के प्रचार-प्रसार और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. 'गौ राष्ट्र यात्रा' इसी व्यापक दृष्टिकोण और राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य की दिशा में AWARI द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम है, जिसका उद्देश्य गौमाता के महत्व को पुनः स्थापित कर एक समृद्ध, स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है.
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