देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन, जानें कैसे मिली ऐतिहासिक जीत?
NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे. 9 सितंबर को हुए चुनाव में उन्होंने India अलायंस के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है.
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9 सितंबर को देश के 15वें उपराष्ट्रपति को लेकर हुए चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. इसमें NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट प्राप्त कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. वहीं India एलायंस के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें कुल 300 वोट मिले हैं. उपराष्ट्रपति के चुनाव में कई पार्टियों ने किनारा किया. इनमें BRS और ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने भाग नहीं लिया. वहीं पंजाब की शिरोमणि अकाली दल ने भी प्रदेश में बाढ़ के चलते उत्पन्न संकट की वजह से वोट नहीं किया. इसके अलावा आंध्र प्रदेश की पार्टी YSRCP ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उसके सभी 11 सांसद NDA पक्ष में अपना वोट करेंगे.
उपराष्ट्रपति पद के लिए कितने वोटों की जरूरत
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीत के लिए 391 वोट की आवश्यकता होती है, इस चुनाव में सत्ता पक्ष की तरफ से कुल 452 वोट पड़े और विपक्ष की तरफ से 300 वोट पड़े. बता दें कि राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के सभी सांसदों को मिलाकर कुल 781 वोट हैं, लेकिन 767 वोट ही पड़े. इनमें BJD, BRS, SAD पार्टी और निर्दलीय को मिलाकर 13 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
पीएम मोदी, अमित शाह सहित देश के सभी बड़े नेताओं ने वोट किया
उपराष्ट्रपति चुनाव में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत 767 सांसदों ने मतदान किया. इस चुनाव में कुल 98 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. शाम 5 बजे मतदान समाप्त होने के एक घंटे बाद छह बजे मतगणना प्रारंभ हुई. बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं तथा इसमें विप जारी नहीं होता है.
कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?
बता दें कि सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ. वह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक है. राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस और जनसंघ से की.
साल 1998 में पहली बार सांसद बने
राधाकृष्णन पहली बार साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने शानदार जीत हासिल की. उसके बाद 1999 में भी वह सांसद चुने गए. हालांकि, उसके बाद अगले 3 चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अपने राजनीतिक जीवन में वह 5 बार लोकसभा का चुनाव लड़े, जिनमें 2 में जीत और 3 में हार मिली. वह साल 2003 से 2006 तक तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे.
2024 में महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल बने
सीपी राधाकृष्णन को साल 2024 में महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया गया. इसके अलावा वह झारखंड के भी राज्यपाल रहे. यहां पर उन्होंने कई वर्षों तक कार्य किया.
93 दिन की रथ यात्रा में शामिल रहें
साल 2004 से 2007 के बीच तमिलनाडु के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए, उन्होंने 93 दिन की रथ यात्रा निकाली थी. उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य नदियों को जोड़ना, आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता फैलाना और अस्पृश्यता का उन्मूलन था. केंद्र सरकार में वस्त्र उद्योग के स्थाई समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कई वित्तीय एवं सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित समितियों में भी बड़ी भूमिका निभाई है.
21 अगस्त को दाखिल किया था नामांकन
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त थी. इनमें सत्ता पक्ष की तरफ से सीपी राधाकृष्णन और India अलायंस की तरफ से बी सुदर्शन रेड्डी ने नामांकन दाखिल किया था. उसके बाद मंगलवार 9 सितंबर को चुनाव हुआ और देर शाम तक नतीजे सामने आ गए. वर्तमान में NDA को लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को मिलाकर पूर्ण बहुमत प्राप्त है.
निर्वाचन मंडल की प्रभावी संख्या 781
वर्तमान में निर्वाचक मंडल की प्रभावी संख्या कुल 781 है. इनमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों शामिल हैं. एनडीए को 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. जानकारी के लिए बता दें कि उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान होता है, इसमें कोई भी पार्टी व्हिप लागू नहीं करती.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि पिछले महीने जुलाई में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अचानक से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर कहा था कि 'स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय परामर्श का पालन करते हुए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अंतर्गत भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा सौंप रहा हूं. मैं भारत की महामहिम राष्ट्रपति के रूप में आपको, आपके निरंतर समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे मधुर एवं सहयोगपूर्ण संबंधों के लिए अपनी गहन कृतज्ञता प्रकट करता हूँ.'
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