दोस्ती में दरार! करीबी दोस्त चीन को ही नहीं पाकिस्तान पर भरोसा, चीनी फाइटर जेट J-35 की डील पर लगा ब्रेक
ऑपरेशन सिंदूर के वक्त जो पाकिस्तान चीनी हथियारों के दम पर भारत से सामना करने का दावा कर रहा था. पाक का वो ही दोस्त उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है. क्या पाकिस्तान के लिए F-35 फाइटर जेट मगृतृष्णा ही रह जाएगा? ये सवाल क्यों उठा, जानिए
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पहाड़ से ऊंचा, समंदर से गहरा, शहद से मीठा, चीन और पाकिस्तान के रिश्ते में अब लगता है कड़वाहट घुलने लगी है. दोस्ती में दरार आने लगी है. चीन की तारीफ करते नहीं थकने वाले पाकिस्तान को अपने दोस्त से लगातार झटके मिल रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान से दूरी बनाई थी और अब अपना शक्तिशाली फाइटर जेट देने में टालमटोल करना शुरू कर दिया.
ऑपरेशन सिंदूर के वक्त जो पाकिस्तान चीनी हथियारों के दम पर भारत से सामना करने का दावा कर रहा था. पाक का वो ही दोस्त उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है. पाकिस्तान ने चीन से कई अहम हथियार खरीदे हैं. चीन के साथ डिफेंस डील में चीन के शक्तिशाली फाइटर जेट भी शामिल हैं. हाल ही में पाकिस्तान की सेना ने दावा किया था कि, उसे जल्दी ही चीन से J-35 फाइटर जेट मिलेंगे, लेकिन अब पाकिस्तान को फाइटर जेट के लिए कई सालों का लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
पाकिस्तान को अभी क्यों नहीं मिल सकता J-35?
पाकिस्तान में चीन के फाइटर जेट J-35 की चर्चा साल 2024 से ही हो रही है. कहा गया कि चीन पाकिस्तान को 40 फाइटर जेट सौंपेगा. पाकिस्तान के मीडिया में J-35 मिलने की सुर्खियों ने पाकिस्तान की कोरी ताकत का प्रदर्शन भी किया, लेकिन संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को 2030 के बाद भी चीनी फाइटर जेट J-35 मिल जाए तो बड़ी बात है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन अपने 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट को पाकिस्तान को बेचने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रहा है. वहीं, चीन और पाकिस्तान के बीच J-35 की डील की कोई आधिकारिक घोषणा भी नहीं हुई.
क्या है चीन की निर्यात पॉलिसी?
द संडे गार्जियन के साथ बातचीत में डिफेंस एक्सपर्ट ने बताया कि, J-35 की डील किसी आम डिफेंस सौदे से बिल्कुल अलग है. चूंकी चीन का J-35 अत्याधुनिक तकनीक से लैस फाइटर जेट के रूप में पूरा पैकेज है. J-35 चीन की 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ विमान है जो एवियोनिक्स और तकनीकी क्षमताओं से लैस है, लेकिन चीन में ही ये फाइटर जेट अभी परिचालन में नहीं आया है. क्योंकि इसके इंजन पर अभी काम चल रहा है. इसके साथ-साथ चीन का इतिहास रहा है कि वह हथियार तभी निर्यात करता है. जब वह चीनी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हों. चीन में J-35 का निर्यात उसके प्रदर्शन भी निर्भर करता है. यानी चीन ने अगर पाकिस्तान के साथ औपचारिक रूप से J-35 की डील कर भी ली तो भी फाइटर जेट पाकिस्तान को देने में कई साल लग जाएंगे. शायद ये ही वजह है कि अभी तक औपचारिक रूप से डील नहीं हुई. वहीं, ये डील आने वाले सालों में दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे रहते हैं इस पर भी निर्भर करती है.
क्या चीन-पाकिस्तान की डील अमेरिका की वजह से रुकी?
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चीन के साथ-साथ पाकिस्तान अमेरिका के साथ भी डिफेंस डील करता है. अमेरिका का F-16 पाकिस्तान के डिफेंस बेड़े में शामिल है. अमेरिका-पाकिस्तान की डिफेंस डील और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान पर चीन की पैनी नजर रहती है. इसलिए चीन फूंक-फूंककर कदम रखता है. ऐसे में J-35 की डील से पहले चीन हर छोटी बड़ी बात का ध्यान रख रहा है.
वहीं, पाकिस्तान के साथ चीन की ये डील न होने की वजह भारत भी हो सकता है. क्योंकि पाकिस्तान अपनी पांचवी पीढ़ी का शक्तिशाली फाइटर जेट देने की डील करता है तो भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं. साथ-साथ चीन को ये भी डर है कि फिर भारत अन्य देशों से जरूरी डील के लिए अपने संबंध और अच्छे कर सकता है. जो चीन बिल्कुल नहीं चाहता. ये तो चीन को भी भलि-भांति मालूम है कि भारत दवाब में नहीं आता वह अपने लिए विकल्प तलाशने और कूटनीति से मसले सुलझाने में यकीन रखता है. ऐसे में चीन तमाम पहलुओं का गहनता से अध्ययन कर रहा है.
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