भिखारी बने, नाई की दुकान से बाल उठाए और पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबे सामने आ गए, अजीत डोभाल का 'मौत' से टकराने वाला किस्सा !
भारत की कूटनीति सेट करने से लेकर सीक्रेट मिशन को अंजाम देने वाले अजीत डोभाल को यूं ही इंडियन जेम्स बॉन्ड नहीं कहा जाता. अजीत डोभाल की कहानी फिल्मी ज़रूर है लेकिन उनके ख़तरनाक सीक्रेट मिशन रियल थे. अब डी देवदत्त की किताब ‘अजीत डोभाल ऑन ए मिशन’ में डोभाल के इन्हीं सीक्रेट मिशन का खुलासा किया गया है.
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एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत तो लगातार टैरिफ़ की धमकियां दे रहे थे तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक ख़ास दूत ने चुपचाप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर से मुलाक़ात कर मौसम बदल दिया. ये ट्रंप को एक मैसेज था कि तमाम धमकियों के बावजूद भारत अपने दोस्त देशों के साथ रिश्ते नहीं तोड़ेगा और मैसेज देने वाले कोई औैर नहीं बल्कि PM मोदी के ख़ास और भारतीय जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल थे. 7 अगस्त 2025 को जब अमेरिका ने भारत पर 25 % टैरिफ़ का बम फोड़ा. तब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का पुतिन से मुलाक़ात का एक वीडियो आया. भारत की कूटनीति सेट करने से लेकर सीक्रेट मिशन को अंजाम देने वाले अजीत डोभाल को यूं ही इंडियन जेम्स बॉन्ड नहीं कहा जाता. अजीत डोभाल की कहानी फ़िल्मी ज़रूर है लेकिन उनके ख़तरनाक सीक्रेट मिशन रियल थे. अब डी देवदत्त की किताब ‘अजीत डोभाल ऑन ए मिशन’ में डोभाल के इन्हीं सीक्रेट मिशन का खुलासा किया गया है.
डी देवदत्त ने अपनी किताब ‘अजीत डोभाल ऑन ए मिशन’ में बताया कि, साल 1980 में पाकिस्तान में अजीत डोभाल ने सबसे मुश्किल मिशन को अंजाम दिया. पाकिस्तान के ख़ुफ़िया मिशन के बारे में पता लगाने के लिए अजीत डोभाल पाकिस्तान में भिखारी बनकर रहे और पाकिस्तान के ख़तरनाक परमाणु कार्यक्रम की जासूसी की. ये प्लान भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान चीन और उत्तर कोरिया के साथ मिलकर बना रहा था.
तरीका देख दुश्मन मुल्क भी हैरान
‘अजीत डोभाल ऑन ए मिशन’ के मुताबिक भारत ने साल 1974 में जब पहला परमाणु परीक्षण किया तो दुनिया के साथ साथ पाकिस्तान भी असहज हो गया. इसके बाद उसने चीन और उत्तर कोरिया के साथ मिलकर परमाणु शक्तियों की खोज शुरू कर दी. उस वक़्त पाकिस्तान किसी भी क़ीमत पर न्यूक्लियर पावर हासिल करना चाहता था. भारत को पाकिस्तान के इसी मिशन के बारे में जानना था. ज़रूरत थी एक ऐसे ख़ुफ़िया दिमाग की जो दुश्मनों को उन्हीं की चाल में फंसा सके. इस जोखिम भरे काम का ज़िम्मा सुपरक़ॉप कहे जाने वाले अजीत डोभाल को मिला.
अजीत डोभाल का टारगेट था इस्लामाबाद के कहूटा गांव में स्थित खान रिसर्च सेंटर. जहां चल रही गतिविधियों की जानकारी भारत भेजनी थी. यूं तो खान रिसर्च सेंटर गांव की एक सामान्य सी बस्ती में स्थित था, लेकिन इस बस्ती के अंदर हाई सिक्योरिटी वाला न्यूक्लियर सेंटर था. जिसमें सेंध लगाना लगभग नामुमकिन था. इस अभेद क़िले को भेदने के लिए अजीत डोभाल दुश्मनों के बीच उन्हीं के जैसा बन गया.
अजीत डोभाल ने कहूटा की गलियों में भिखारी बनकर घूमने लगे. उनका ठिकाना कभी मस्जिद के बाहर का गलियारा होता तो कभी लोकल मार्केट. आते जाते लोग कभी सिक्के डाल जाते तो कभी धिक्कार कर आगे बढ़ जाते. इस दौरान भिखारी के भेष में अजीत डोभाल हर छोटी बड़ी हरकत पर नज़र रखते थे. एक दिन उनकी नज़र एक नाई की दुकान पर पड़ी. इस दुकान में खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक कटिंग करवाने आते थे. फिर अजीत डोभाल ने अपना अगला ठिकाना इसी नाई की दुकान को बनाया और उसके बाहर बैठकर भीख मांगने लगे, लेकिन नजर नाई की दुकान पर बिखरे बालों पर थी. ये बाल खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों के थे. अजीत डोभाल ने मौक़ा पाकर वैज्ञानिकों के बालों को इकट्ठा किया और भारत भेज दिया.
बालों के सैंपल टेस्ट से खुला ख़ुफ़िया सीक्रेट
भारत में पाकिस्तानी वैज्ञानिकों के बालों का टेस्ट किया गया. जिसमें रेडिएशन और यूरेनियम के कुछ अंश पाए गए. जिससे पाकिस्तान के ख़ुफ़िया प्लान की पुष्टि हो गई.
6 साल तक पाकिस्तान में रहे
अजीत डोभाल 1981 से 1987 तक क़रीब 6 साल तक पाकिस्तान में रहकर वहां के ख़ुफ़िया इनपुट भारत भेजते रहे. उनके इनपुट ने पाकिस्तान के परमाणु मिशन को कई सालों तक प्रभावित किया. वह मुस्लिम बनकर पाकिस्तान में रहे. इस दौरान एक दिन एक मुस्लिम शख़्स ने उन्हें रोककर पूछा, क्या तुम हिंदू हो. इस पर डोभाल ने नहीं में जवाब दिया.
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शख़्स फिर अजीत डोभाल को अपने साथ घर गया. यहां शख़्स ने डोभाल से कहा, मैं जानता हूं तुम हिंदू हो तुम्हारे कान छिदे हुए हैं. शख़्स ने आगे कहा कि, मैं भी एक हिंदू हूं और यहां मुस्लिम बनकर रह रहा हूं और वह ऐसा अपनी जान बचाने के लिए कर रहा है. शख़्स ने अजीत डोभाल को कान की प्लास्टिक सर्जरी करवाने की भी सलाह दी. अजीत डोभाल जहां भी जाते वही की भाषा, भेषभूषा अपना लेते थे. वही के कल्चर और रिति-रिवाज में रच बस जाते थे और दुश्मन उनकी इसी ट्रिक में फंस जाते थे.
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