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ब्रिटिश नागरिक बनने के बाद भी भारत से वेतन लेता रहा आजमगढ़ का मौलाना, ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग केस

ईडी ने आजमगढ़ से जुड़े मामले में ब्रिटेन में रह रहे मौलाना शम्सुल हुदा खान पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.मौलाना पर आरोप है कि ब्रिटिश नागरिकता लेने के बाद भी उन्होंने 2013 से 2017 तक भारत में अवैध रूप से वेतन लिया और उनका संबंध कट्टरपंथी फंडिंग से हो सकता है.

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से जुड़े एक चर्चित मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए इस्लामिक उपदेशक मौलाना शम्सुल हुदा खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. शम्सुल हुदा खान इस समय ब्रिटेन में रह रहे हैं. यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा पहले से दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई है. ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच शुरू कर दी है. एजेंसियों का कहना है कि यह मामला केवल आर्थिक गड़बड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार कट्टरपंथी विचारधारा और अवैध फंडिंग से भी जुड़े हो सकते हैं.

सरकारी मदरसे से शुरू हुआ सफर

रिकॉर्ड के अनुसार शम्सुल हुदा खान की नियुक्ति वर्ष 1984 में आजमगढ़ के एक सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे में सहायक शिक्षक के रूप में हुई थी. शुरुआती वर्षों में वे धार्मिक शिक्षा से जुड़ा रहा. लेकिन वर्ष 2013 में उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली. इसके बावजूद आरोप है कि 2013 से 2017 तक उन्हें भारत में शिक्षक के रूप में वेतन मिलता रहा. इस दौरान वे न तो भारतीय नागरिक थे और न ही शिक्षण कार्य कर रहे थे. हैरानी की बात यह है कि उनकी गैरमौजूदगी पर सरकारी सिस्टम ने लगभग दस साल तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया.

विदेश में रहते हुए भारत से मिलता रहा पैसा

जांच एजेंसियों के मुताबिक शम्सुल हुदा खान ब्रिटेन में रहकर धार्मिक प्रवचन देते रहे. इसी दौरान भारत में उनके नाम पर वेतन, मेडिकल लीव और बाद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लाभ भी जारी रहे. ईडी को शक है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया. इस मामले में कई विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी अब जांच के घेरे में है.

करोड़ों की फंडिंग का मामला 

ईडी की जांच में सामने आया है कि बीते करीब दो दशकों में शम्सुल हुदा खान ने कई देशों की यात्राएं कीं. भारत में उनके नाम पर 7 से 8 बैंक खाते संचालित किए जा रहे थे. इन खातों के जरिए करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ. एजेंसियों का दावा है कि उन्होंने 30 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की एक दर्जन से ज्यादा अचल संपत्तियां खरीदीं. इसके अलावा राजा फाउंडेशन नामक एनजीओ और निजी खातों के माध्यम से कई मदरसों को धन मुहैया कराया गया.

मदरसे के नेटवर्क की हो रही जांच

शम्सुल हुदा खान द्वारा आजमगढ़ और संत कबीर नगर में दो मदरसे स्थापित किए गए थे. बाद में अधिकारियों ने इनकी मान्यता रद्द कर दी. जांच एजेंसियों को आशंका है कि इन संस्थानों के जरिए विदेशी फंड का इस्तेमाल किया गया. सूत्रों के अनुसार उनके ब्रिटेन स्थित कट्टरपंथी संगठनों से संबंधों की भी पड़ताल की जा रही है. इसके साथ ही उनके पाकिस्तान दौरे और वहां के चरमपंथी संगठनों से कथित संपर्क भी जांच के दायरे में हैं. एजेंसियों को शक है कि वह पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी से जुड़ा हो सकता है.

अवैध वेतन दिलाने वाले अधिकारी निलंबित

25 दिसंबर को इस मामले में बड़ा प्रशासनिक एक्शन भी देखने को मिला. जांच में सामने आया कि शम्सुल हुदा खान को अवैध रूप से वेतन और अन्य लाभ दिलाने में कई अधिकारी शामिल थे. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने चार वरिष्ठ अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निलंबित कर दिया. इनमें संयुक्त निदेशक एसएन पांडेय, गाजियाबाद के डीएमओ साहित्य निकाश सिंह, बरेली के लालमन और अमेठी के प्रभात कुमार शामिल हैं.

बताते चलें कि शम्सुल हुदा खान के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत धोखाधड़ी और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है. ईडी अब उनके फंडिंग नेटवर्क, विदेशी संपर्कों और संपत्तियों की गहराई से जांच कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं, जो सिस्टम की खामियों को भी उजागर कर सकते हैं.

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