JNU छात्र संघ चुनाव के नतीजों का इंतज़ार, पहलगाम हमले के बीच लहराया गया फिलिस्तीनी झंडा, लोगों को रहेगा याद?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुआ JNUSU Election इतिहास में याद रखा जाएगा. पहलगाम के दोषियों पर कार्रवाई की मांग के बदले में लहराया गया फिलिस्तीनी झंडा.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनाव 2025 से पहले हुई प्रेजिडेंशियल डिबेट में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से लेकर कैंपस की आंतरिक समस्याओं तक, तमाम विषयों पर जोरदार बहस देखने को मिली. डिबेट के दौरान पहलगाम आतंकी हमले, गाज़ा में हिंसा, ट्रम्प की व्यापार नीति, हॉस्टल और लाइब्रेरी सुविधाएं, और फंड कटौती जैसे कई अहम मुद्दों पर उम्मीदवारों ने खुलकर अपनी बात रखी. इस बार का चुनाव अपने आप में काफी याद रखा जाएगा कि जब देश में पहलगाम हमले को लेकर शोक का माहौल था, चुनावी डिबेट में पहलगाम के पीड़ितों के लिए न्याय और बदले की मांग की गई थी तो जवाब में फिलिस्तीन का झंडा लहराया गया.
फिलिस्तीन का लहराया गया झंडा
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बीच हुआ जेएनयू छात्र संघ चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. गंठबंधन में लड़ने वाले वामपंथी संगठनों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से चुनाव दिलचस्प हो गया है. वामपंथी धड़ा, एनएसयू और एबीवीपी की मौजूदगी के कारण मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की नृशंस हत्या की गूंज राजधानी के एक प्रमुख विश्वविद्यालय तक पहुंच गई, जहां छात्रसंघ चुनाव से पहले आयोजित डिबेट से लेकर चुनाव तक में भारी हंगामा देखने को मिला. डिबेट शुरू होने से पहले ही माहौल तनावपूर्ण हो गया था वहीं मतदान केे दिन भी कुछ ऐसा ही माहौल रहा. जब एबीवीपी की ओर से ‘बदला लो’ जैसे संदेश वाले पोस्टर लहराए गए. इसके जवाब में आइसा के छात्रों ने फिलिस्तीन का झंडा दिखाया, जिससे स्थिति और भी गर्मा गई.
डिबेट की शुरुआत से पहले चुनाव समिति ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा. वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने हमले के विरोध में पोस्टर्स दिखाकर सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया.
चुनावी बहस के दौरान क्या हुआ था?
घटना के दौरान दोनों संगठनों के समर्थकों के बीच तीखी बहस हुई. माहौल इतना बिगड़ गया कि आयोजकों को डिबेट को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा. सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को कई बार हस्तक्षेप कर छात्रों को अलग किया था.
इस घटनाक्रम ने न सिर्फ कैंपस की चुनावी राजनीति को गर्मा दिया है, बल्कि आतंकी हमले पर लेफ्ट विचारधारा की सोच को भी उजागर कर दिया है. 25 अप्रैल को हुए चुनाव की मतगणना देर रात होगी वहीं नतीजे 28 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे. चुनाव के नतीजों का छात्रों को बेसब्री से इंतज़ार है, अब देखना होगा कि नतीजे किसके पक्ष में आते हैं. क्या अलग-अलग चुनाव लड़ने का नुकसान लेफ्ट को होता है या एबीवीपी को पहलगाम हमले के कारण बदले माहौल का फायदा मिलता है.