अश्विनी वैष्णव का बड़ा ऐलान, 56 सेकंड में ट्रेन टॉयलेट क्लीन, सेंसर से मिलेगी बदबू की जानकारी
Ashwini Vaishnav: नई प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चलती ट्रेन में ही टॉयलेट की स्थिति पता चल जाएगी. सेंसर का डेटा सीधे कंट्रोल रूम तक पहुंचेगा. इससे अगले स्टेशन पर पहले से तैनात सफाईकर्मी को जानकारी मिल जाएगी कि किस कोच का टॉयलेट गंदा है
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Indian Railway Facility: भारतीय रेलवे में यात्रियों की सबसे बड़ी शिकायतों में से एक ट्रेन के गंदे टॉयलेट हैं. लंबी दूरी की ट्रेनों में सफाई की समस्या आम है. कई बार यात्रियों को ट्रेन में सफाई न होने की वजह से बहुत परेशानी होती है. रेलवे ने समय-समय पर सफाई अभियान चलाए, लेकिन समस्या पूरी तरह से दूर नहीं हो पाई. अब रेलवे ने नई तकनीक विकसित की है, जो इस समस्या का स्थायी समाधान साबित हो सकती है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, रेलवे ने स्मार्ट टॉयलेट तकनीक तैयार की है. इस तकनीक की मदद से ट्रेन का टॉयलेट सिर्फ 56 सेकंड में पूरी तरह साफ हो जाएगा. पहले एक टॉयलेट की सफाई में लगभग 7 मिनट लगते थे, अब यह काम एक मिनट से भी कम समय में पूरा होगा.
पुरानी तकनीक में बड़ी दिक्कत
पहले रेलवे की मौजूदा तकनीक से एक टॉयलेट की सफाई में लगभग 7 मिनट लगते थे. लेकिन देश के कई स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव केवल दो मिनट का होता है. ऐसे में टॉयलेट की सफाई करना लगभग असंभव था. यही वजह थी कि यात्रियों को अक्सर गंदे टॉयलेट का सामना करना पड़ता था. नई तकनीक के आने के बाद, अब यह काम बहुत तेजी से और आसानी से किया जा सकेगा. इससे यात्रियों को सफाई की चिंता नहीं होगी और वे सफर के दौरान साफ-सुथरे टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकेंगे.
IOT सेंसर और ऑटोमेटेड सिस्टम
नई तकनीक में IOT (Internet of Things) सेंसर और ऑटोमेटेड क्लीनिंग मशीनें शामिल हैं. ये सेंसर लगातार टॉयलेट की स्थिति पर नजर रखते हैं. जैसे ही टॉयलेट गंदा होता है, सिस्टम तुरंत सफाई प्रक्रिया शुरू कर देता है. सिर्फ सफाई ही नहीं, यह सिस्टम टॉयलेट के रखरखाव की जानकारी भी देता है. जैसे पानी की कमी, पाइप में रुकावट या गंध की समस्या होने पर तुरंत अलर्ट भेजा जाता है.
प्रीमियम ट्रेनों जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस में तो गंध सेंसर भी लगाए जा रहे हैं. जैसे ही टॉयलेट से बदबू आती है, सेंसर कर्मचारियों और अधिकारियों को तुरंत जानकारी भेज देते हैं.
पूरे देश में लागू की जाएगी नई तकनीक
रेलवे ने योजना बनाई है कि यह तकनीक देश की सभी प्रमुख ट्रेनों में लागू की जाएगी. मंत्रालय के अनुसार, साल 2026 के मध्य तक यह सुविधा पूरे देश में उपलब्ध हो जाएगी. इससे यात्रियों को गंदे टॉयलेट की समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिलेगा.
चलती ट्रेन में भी मिलेगी सफाई की जानकारी
नई प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चलती ट्रेन में ही टॉयलेट की स्थिति पता चल जाएगी. सेंसर का डेटा सीधे कंट्रोल रूम तक पहुंचेगा. इससे अगले स्टेशन पर पहले से तैनात सफाईकर्मी को जानकारी मिल जाएगी कि किस कोच का टॉयलेट गंदा है.
जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकेगी, सफाईकर्मी तुरंत उस कोच में पहुंचकर टॉयलेट साफ कर देगा. इससे छोटे ठहराव में भी टॉयलेट को साफ रखना संभव और आसान हो जाएगा.
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