अपने खिलाफ झूठी खबरें छापे जाने पर रिटायर्ड IAS नवनीत सहगल ने भेजा लीगल नोटिस, कहा- क्लीन चिट के बावजूद जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश
नवनीत कुमार सहगल ने अपने खिलाफ एजेंडे के तहत भ्रामक और झूठी खबर चलाने को लेकर एक वेबसाइट और उसके संपादकों को लीगल नोटिस भेजा है.
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रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और प्रसार भारती के पूर्व चेयरमैन नवनीत कुमार सहगल ने अपने खिलाफ एजेंडा के तहत भ्रामक और झूठी खबर चलाने को लेकर वेबसाइट 'Newslaundry' को लीगल नोटिस भेजा है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से नवनीत सहगल को निशाना बनाते हुए रोजाना कोई न कोई खबर सामने आती रहती है. कुछ लोग एक खास एजेंडे के तहत उनके खिलाफ भ्रामक और छवि खराब करने वाली खबरें प्लांट कर रहे हैं.
नवनीत सहगल के खिलाफ चलाया जा रहा हिडन एजेंडा
नवनीत सहगल द्वारा भेजे गए नोटिस के मुताबिक, वेबसाइट 'न्यूजलॉन्ड्री' ने हिडन एजेंडे के तहत बिना समुचित पक्ष लिए और पूरी कार्यवाही की जानकारी देने के बावजूद केवल अधूरी सूचनाओं के आधार पर लंबे चौड़े आरोप सहगल पर लगाए हैं. इससे नाराज नवनीत सहगल ने इस वेबसाइट को लीगल नोटिस भेजा है.
नोटिस में वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट्स को पूरी तरह आधारहीन और मानहानिकारक बताया गया है. नोटिस में कहा गया है कि जिन आरोपों को उछाला गया, उन पर सक्षम जांच एजेंसियां पहले ही विस्तार से जांच कर चुकी हैं और सहगल को पूरी तरह क्लीन चिट मिल चुकी है. इसके बावजूद तथ्यों की जानकारी देने के बाद इरादतन जानबूझ कर तथ्यों को छिपाकर सनसनीखेज तरीके से खबरें प्रकाशित की गईं.
भ्रामक दावों के आधार पर प्रकाशित की गईं खबरें
लीगल नोटिस में कहा गया है कि संबंधित वेबसाइट ने 23 दिसंबर 2025 को नवनीत सहगल के खिलाफ आयकर विभाग की कथित गोपनीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई गंभीर आरोप प्रकाशित किए. नोटिस के अनुसार यह दावा पूरी तरह भ्रामक है, क्योंकि जिस सामग्री के आधार पर खबरें लिखी गईं, उस पर वर्ष 2022 में ही सक्षम प्राधिकारियों ने गहन जांच की थी. जांच के दौरान संबंधित सभी व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए, दस्तावेजों की पड़ताल हुई और कानून की पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया. जांच पूरी होने के बाद आरोप निराधार पाए गए और नवनीत सहगल को सभी काल्पनिक और अटकलों पर आधारित आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
क्लीन चिट के बावजूद जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश
नोटिस में यह भी कहा गया है कि खबर प्रकाशित करने से पहले वेबसाइट को यह जानकारी थी कि मामला कानूनी रूप से समाप्त हो चुका है और जांच अपने तार्किक निष्कर्ष तक पहुंच चुकी है. इसके बावजूद वेबसाइट ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और जानबूझ खबर को इस तरह प्रकाशित किया कि पढ़ने वालों को लगे कि सहगल के खिलाफ कोई कार्रवाई लंबित है, जो पूरी तरह गलत है.
खबरों का टाइटल जानबूझ कर मानहानिकारक रखा गया
वकील की ओर से भेजे गए इस नोटिस में वेबसाइट पर यह आरोप भी लगाया गया है कि खबरों का शीर्षक और प्रस्तुति जानबूझकर उकसाने वाले और मानहानिकारक रखे गए, ताकि पाठकों का ध्यान खींचा जा सके. यह पत्रकारिता की बुनियादी आचार संहिता और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों का खुला उल्लंघन है.
नोटिस में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356(1) और 356(2) का हवाला देते हुए कहा गया है कि अधूरी और भ्रामक जानकारी के आधार पर किसी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है. यह भी कहा गया है कि सच्चाई और पूरे तथ्यों को छिपाकर की गई रिपोर्टिंग को 'जनहित' या 'सत्य' का बचाव नहीं मिल सकता.
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