शंकराचार्य या मठाधीश, महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाते वक्त हिंदुओं को कौन बचाएगा ?
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अब जब महाकुंभ में शामिल होने का समय है, प्रयागराज जाने का मौक़ा है। शाही स्नान में आस्था की डुबकी लगाने का वक़्त आया है, तो यमराज मौत की नींद सुलाने के लिए महाकुंभ की चौखट पार कर चुके हैं। महाकुंभ की महा तैयारियों के बीच क्या 40 करोड़ हिंदू मौत की शैया पर लेटेंगे ? शंकराचार्य या मठाधीश, हिंदुओं को कौन बचाएगा? देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट।
अबकी बार महाकुंभ का श्रीगणेश 13 जनवरी से हो रहा है, जिसका समापन महाशिवरात्रि के साथ हो जाएगा। महाकुंभ की महत्ता ऐसी है कि साधना, मोक्ष और धर्म की प्राप्ति के लिेए दुनिया के कोने-कोने से साधु सन्यासियों की टोली यहाँ पहुँचेगी। कल्पवासी और आम श्रद्धालुओं के निवास के लिए अखाड़ों की भूमि पूजन भी संपन्न हो चुकी है। एक बार फिर साधु-संतों द्वारा सत्संग, धर्म चर्चा और आध्यात्मिक प्रवचन की धारा बहेगी। लाखों की संख्या में साधु, सन्यासी, अघोरी और नागा साधुओं का ठिकाना प्रयागराज बन जाएगा। महाकुंभ से जुड़ी परंपराओं का निर्वाहन होगा..शाही स्नान से लेकर सनातन ज्ञान का प्रचार प्रसार होगा। इन सबके बीच देश के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने महाकुंभ की जिस तस्वीर को उजागर किया, उसे देख श्रद्धालु टेंशन में है, दरअसल महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए, योगी सरकार की तैयारियाँ जोरों पर हैं। ए वन Structure खड़ा किया जा रहा है। करोड़ों की लागत से महाकुंभ को फूलों की खुशबू से महकाने की प्ल़ॉनिंग हो रही है लेकिन इतना सब कुछ जिस चीज के लिए हो रहा है। क्या वो शुद्ध है, यानी प्रयागराज की धरातल पर बहने वाली माँ गंगा साफ़ है? ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती तो बोल चुके हैं कि गंगा का पानी इस समय आचमन लायक भी नहीं है. बक़ायदा NGT का हवाला देते हुए इतना बड़ा बयान उनका सामने आया है।
बात ये है कि NGT नाम की एक संस्था है। उसने कहा है कि गंगा का पानी इस समय आचमन लायक भी नहीं है. और ये भी कह दिया है कि गंगा के किनारे प्रयाग में और काशी में ये बोर्ड लगाकर ये लिखा जाए कि आचमन योग्य जल नहीं है. तो अब आप समझलो कि क्या हाल है।इसी में 40 करोड़ लोगों को स्नान कराने के लिए सरकार तैयारी कर रही है. गंगा की धारा को सही नहीं कर रही है। गंगा के किनारे 40 करोड़ लोगों को बुलाकर के उस पानी में नहलाने की और उस पानी को पिलाने की तैयार कर रही है, जिसे NGT नाम की संस्था ने आचमन योग्य भी नहीं माना है।शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के इसी बयान के आधार पर यही कहा जा रहा है कि महाकुंभ में 40 करोड़ हिंदू मौत के साये में होंगे। उनके स्थास्थय के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन क्या यही हक़ीक़त है ? क्योंकि मठाधीश से मुख्यमंत्री बने योगी बाबा का कुछ और ही कहना है। योगी बाबा इस बात की गारंटी दे रहे हैं कि आचमन और स्नान के लिए प्रयागराज का गंगाजल शुद्ध है।
गंगाजल आचमन और स्नान के लिए पूर्णता शुद्ध है, वर्ष 2014 में पूर्व गंगा जी में बीओडी स्तर 22000 से अधिक हुआ करता था, जो स्नान योग्य नहीं था। आज गंगाजल में बीओडी की मात्रा घटकर लगभग 250 से 300 के मध्य रह गई है। अब गंगाजल आचमन करने व स्नान योग्य है। गंगाजल अमृत है। प्रयागराज में गंगा की शुद्धता इस वक़्त क्या कहती है, इस पर फ़िलहाल NGT के जवाब का इंतज़ार है…लेकिन अगर सच में महाकुंभ में गंगाजल आचमन और स्नान के लिए योग्य नहीं है, तो ये किसी ख़तरे से कम नहीं है।