Advertisement

पितृपक्ष का महाभारत से कनेक्शन! कैसे शुरु हुए श्राद्ध और तर्पण? जानें पौराणिक कथा

सनातन धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व होता है. इस दौरान पितर पितृलोक से धरती पर अपने पूर्वजों से मिलने के लिए आते हैं. इसलिए परिजन इनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने की शुरुआत कैसे हुई? इसका महाभारत से क्या कनेक्शन है? जानने के लिए आगे पढ़ें...

15 Sep, 2025
( Updated: 10 Dec, 2025
06:20 AM )
पितृपक्ष का महाभारत से कनेक्शन! कैसे शुरु हुए श्राद्ध और तर्पण? जानें पौराणिक कथा
AI Image

सनातन धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व होता है. ये समय पितरों को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद सदैव परिजनों पर बना रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण की शुरुआत कैसे हुई? चलिए इसके बारे में भी आपको बताते हैं…

पितृपक्ष में श्राद्ध का महाभारत से क्या है संबंध?
पौराणिक कथा के अनुसार, दानवीर कर्ण जब अपनी मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक पहुंचे तो उन्हें खाने के लिए सिर्फ सोना ही दिया जा रहा था. जिसके बाद वो ये सब देखकर हैरान हो गए और सोच में पड़ गए कि उन्हें खाने के लिए खाना क्यों नहीं दिया जा रहा? दानवीर कर्ण ने जब ये बात देवराज इंद्र से पूछी तो उन्हें इंद्र से ऐसा उत्तर मिला जिसे सुनकर कर्ण हैरान हो गए. देवराज ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में अपने पितरों का श्राद्ध या फिर तर्पण किया ही नहीं था. तर्पण बेहद ही जरूरी होता है.

कर्ण ने स्वर्गलोक से वापस आकर किया पितरों का तर्पण
कर्ण ने देवराज इंद्र का उत्तर सुनकर उनसे माफी मांगी और कहा कि उन्हें पता नहीं था कि उनके पूर्वज कौन हैं इसलिए वे उनके नाम से कभी दान नहीं कर पाए. इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ समय पहले ही पता चला कि वे वास्तव में कुंती के पुत्र हैं. जब ये बात देवराज इंद्र ने सुनी तो इस बात को सच माना और वापस स्वर्गलोक से धरती पर अपनी गलती सुधारने 16 दिनों के लिए भेजा. इन 16 दिनों में कर्ण ने धरती पर आकर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध और तर्पण किया. तब से इन्हीं 16 दिनों को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है.

यह भी पढ़ें

पितरों की शांति के लिए जरूर करें ये उपाय
पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने के अलावा भी आप इन उपायों को जरूर करें.
पितृपक्ष के दौरान दक्षिण दिशा में दिया जरूर जलाएं.
मान्यता है कि इस दौरान पितर अपने परिजनों से मिलने के लिए धरती पर जीवों का रूप लेकर आते हैं. इसलिए गाय, कुत्ते, कौओं को भोजन भी जरूर कराएं.
पितृपक्ष के दौरान आप अपने पितरों के नाम से वस्त्र, चप्पल और खाने का सामान भी दान कर सकते हैं.
इसके अलावा अगर आप पीपल के पेड़ के नीचे रोजाना जल भी अर्पित करें.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें