पाकिस्तान के नए आतंकी ठिकाने भी हो जाएंगे तहस-नहस! DRDO ने तैयार की ब्रह्मोस से भी खतरनाक 'ध्वनि' मिसाइल
भारत हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ‘ध्वनि’ नामक नई पीढ़ी की मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. यह मिसाइल लगभग 7400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकेगी और इसकी रेंज भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल से अधिक होगी.
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भारत हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ‘ध्वनि’ नामक नई पीढ़ी की मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. यह मिसाइल लगभग 7400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकेगी और इसकी रेंज भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल से अधिक होगी. पहला प्रदर्शन परीक्षण 2025 के अंत तक होने की संभावना है. यह मिसाइल भारत की तेज हमले की क्षमता को और मजबूत करेगी.
ध्वनि मिसाइल के बारे में जानिए?
ध्वनि, DRDO के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) प्रोग्राम पर आधारित है. 2020 में HSTDV ने स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया था. ध्वनि एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) है, जो बैलिस्टिक बूस्टर से ऊंचाई पर पहुंचती है. फिर हवा में ग्लाइड करती है.
रफ्तार और दूरी
आवाज़ की गति का लगभग 6 गुना, इससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय घट जाएगा और लक्ष्यों तक पहुँचते ही हमले की सटीकता बढ़ेगी.
उपयोग
यह सिस्टम सामान्य और रणनीतिक हमलों दोनों के लिए उपयुक्त है और दुश्मन के गहरे क्षेत्रों में सटीक वार करने में सक्षम होगा.
प्रगति
DRDO ने हाल ही में लंबे समय तक चलने वाले स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है, यह हाइपरसोनिक प्रणोदन के विकास में बड़ा कदम माना जाता है.
यह मिसाइल हवा, समुद्र और जमीन से लॉन्च की जा सकती है और इसकी रेंज लगभग 1,500 किलोमीटर है. इसे एयरोनॉटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर (ARDC) और डिफेंस मेटलर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) ने विकसित किया है. मिसाइल में हीट-रेजिस्टेंट सिरेमिक और विशेष कोटिंग्स लगी हैं, जो इसे अत्यधिक गर्मी सहने में सक्षम बनाती हैं.
ब्रह्मोस से ध्वनि क्यों बेहतर?
ब्रह्मोस भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल है, जो मच 3 (3704 km/hr) की रफ्तार से 290-600 किलोमीटर दूर हमला करती है. यह सु-30एमकेआई विमान और आईएनएस विक्रांत जैसे जहाजों पर लगी है. लेकिन ध्वनि मैक 5 से ऊपर उड़ती है, जो 10 मिनट में दूर के लक्ष्य पर पहुंच जाएगी.
- ब्रह्मोस एक 'स्कैल्पल' (सटीक चाकू) है, लेकिन ध्वनि एक 'शैडो' (छाया) – असर तक दिखाई नहीं देती.
- ध्वनि की ग्लाइड पाथ अनियमित होती है, जो रडार से बचाती है. ब्रह्मोस का रैमजेट प्रोफाइल ज्यादा आसानी से ट्रैक हो जाता है.
- एस-400 जैसी एयर डिफेंस के खिलाफ ध्वनि ज्यादा घुसपैठ करेगी.
एक DRDO वैज्ञानिक ने कहा कि ब्रह्मोस सटीक है, लेकिन ध्वनि अदृश्य तक पहुंचती है.
भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल है 'ब्रह्मोस'
ब्रह्मोस भारत-रूस की संयुक्त मिसाइल है, जो मच 3 (लगभग 3,704 किमी/घंटा) की रफ्तार से 290–600 किलोमीटर दूर लक्ष्यों पर हमला कर सकती है. यह सु-30 एमकेआई विमान और आईएनएस विक्रांत जैसे जहाजों पर तैनात है.
इसके विपरीत, ध्वनि मिसाइल मच 5 से अधिक रफ्तार से उड़ती है और 10 मिनट में दूरस्थ लक्ष्य तक पहुँच सकती है.
जहां ब्रह्मोस एक ‘स्कैल्पल’ (सटीक चाकू) की तरह काम करती है, वहीं ध्वनि ‘शैडो’ (छाया) की तरह, लक्ष्य पर पहुँचने तक दिखाई नहीं देती.
ध्वनि की ग्लाइड पाथ अनियमित है, जो इसे रडार से बचाती है, जबकि ब्रह्मोस का रैमजेट प्रोफाइल आसानी से ट्रैक हो जाता है.
एस-400 जैसी एयर डिफेंस सिस्टम के खिलाफ भी ध्वनि की घुसपैठ अधिक प्रभावी मानी जाती है.
एक DRDO वैज्ञानिक के अनुसार, ब्रह्मोस सटीक है, लेकिन ध्वनि अदृश्य और तेजी में आगे है.
वैश्विक ताकत में भारत का स्थान
अगर ध्वनि मिसाइल सफल हो जाती है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिंदा हाइपरसोनिक देशों की सूची में शामिल हो जाएगा. हाइपरसोनिक हथियार दुश्मन की प्रतिक्रिया समय को चुनौतीपूर्ण बना देते हैं और आधुनिक युद्ध में रणनीतिक संतुलन बदल सकते हैं. ध्वनि की रेंज में अफगानिस्तान सीमा के पास पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डे भी शामिल हैं.
चीन की DF-17 और रूस की एवनगार्ड जैसी मिसाइलों के मुकाबले, ध्वनि भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी. LC और हिंद महासागर में बढ़ते तनाव के बीच यह मिसाइल भारत को ‘प्रॉम्प्ट ग्लोबल स्ट्राइक’ क्षमता प्रदान करेगी. इसके एएमसीए फाइटर या अग्नि-वीआई बूस्टर के साथ लंबा फेयरिंग और रेंज बढ़ाई जा सकती है.
परीक्षण और भविष्य की योजना
- 2025: तटीय लॉन्च साइट से पहला परीक्षण, एयरफ्रेम और गाइडेंस सिस्टम का मूल्यांकन.
- 2027: स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के साथ यूजर ट्रायल.
- 2029-30: ऑपरेशनल होने की संभावना.
तकनीकी और वित्तीय विवरण
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- 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री: विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के सॉलिड फ्यूल बूस्टर और इमराट रिसर्च सेंटर के सीकर्स.
- हाइपरसोनिक R&D के लिए ₹25,000 करोड़ का फंड.
- कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने इसे प्राथमिकता दी.
- रक्षा बजट में 12% की बढ़ोतरी शामिल.
- यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत की पहल का हिस्सा है.
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