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अटैक में घातक, चाल में चपल...अमेरिकी F-16 और Su-30 से भी दमदार, ब्रह्मोस NG से लैस होगी देसी TEJAS MK-1A, बनेगी भारत की फ्रंटलाइन ताकत

भारत का फोकस स्वदेशी आधुनिक फाइटर जेट के विकास पर है, जिसमें ‘तेजस प्रोजेक्ट’ अहम भूमिका निभा रहा है. तेजस के दो वर्ज़न – MK-1A और MK-2A – पर तेज़ी से काम जारी है. इनमें से MK-1A बेहद खास माना जा रहा है. इसकी तकनीकी खूबियां न केवल इसे घातक बनाती हैं, बल्कि दुश्मन के सामने और भी ज्यादा चपल व फुर्तीला बना देती हैं.

17 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
12:52 AM )
अटैक में घातक, चाल में चपल...अमेरिकी F-16 और Su-30 से भी दमदार, ब्रह्मोस NG से लैस होगी देसी TEJAS MK-1A, बनेगी भारत की फ्रंटलाइन ताकत
TEJAS MK-1A

देश और विदेश में बदलते सुरक्षा परिदृश्यों को देखते हुए भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे. मिसाइल विकास के क्षेत्र में भारत पहले ही कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर चुका है. अब फोकस स्वदेशी आधुनिक फाइटर जेट के विकास पर है, जिसमें ‘तेजस प्रोजेक्ट’ अहम भूमिका निभा रहा है.

इसके अलावा, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को स्वदेशी स्तर पर विकसित करने के लिए AMCA प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. भारत इस समय तेजस फाइटर जेट प्रोजेक्ट के तहत कई अपग्रेडेड वैरिएंट्स पर एक साथ काम कर रहा है और आने वाले कुछ महीनों में इसके नतीजे भी सामने आएंगे.

तेजस के दो वर्जन पर हो रहा काम

फिलहाल, तेजस के दो वर्ज़न – MK-1A और MK-2A – पर तेज़ी से काम जारी है. इनमें से MK-1A बेहद खास माना जा रहा है. इसकी तकनीकी खूबियां न केवल इसे घातक बनाती हैं, बल्कि दुश्मन के सामने और भी ज्यादा चपल व फुर्तीला बना देती हैं.

टेक्नोलॉजी और एडवांसमेंट के मामले में यह अमेरिकी F-16 और Su-30 जैसे फाइटर जेट्स को पीछे छोड़ देता है. वहीं, चीन के कई लड़ाकू विमान तो तेजस MK-1A के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते.

तेजस MK-1A में लगा EL/M-2052 AESA रडार 5m² RCS वाले टारगेट को 150–160 किमी और छोटे 1m² RCS वाले टारगेट को 110–120 किमी की दूरी से आसानी से डिटेक्ट कर सकता है. इसके मुकाबले पाकिस्तान का JF-17 ब्लॉक III (3–4m² RCS) रडार पर कहीं ज्यादा आसानी से दिखाई देता है. वहीं चीन का J-10C और रूस के Su-30/J-11/J-16 जैसे फाइटर्स का RCS 10m² से भी ज्यादा है.

यानी साफ है कि तेजस अपने छोटे रडार क्रॉस-सेक्शन (0.5–1.2m²) के कारण दुश्मन की नजरों से बचते हुए ‘पहले देखने और पहले वार करने’ की क्षमता रखता है.

फ्रंटलाइन तैनाती पर भरोसा

भारतीय वायुसेना तेजस स्क्वॉड्रन को राजस्थान के नल, गुजरात के नलिया और लद्दाख के लेह जैसे अहम ठिकानों पर तैनात करने की तैयारी कर रही है. रेगिस्तानी, तटीय और पहाड़ी—तीनों तरह के ऑपरेशनल एनवायरमेंट में इसकी मौजूदगी इस बात का सबूत है कि तेजस हर परिस्थिति में भरोसेमंद प्रदर्शन करने में सक्षम है. स्क्वॉड्रन की यह तैनाती बताती है कि वायुसेना इसे सिर्फ ट्रायल तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि एक सक्रिय फ्रंटलाइन रोल में शामिल कर चुकी है.

हथियारों की ताकत

BVR कॉम्बैट: Astra MK-1 मिसाइल (110 किमी रेंज)
WVR कॉम्बैट: Python-5 और ASRAAM (20–25 किमी रेंज)
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर: Elta EL/M 8222 जामिंग पॉड
SEAD/DEAD मिशन: NGARM (100 किमी से अधिक) और BrahMos-NG
प्रेसिजन स्ट्राइक: Spice-2000 बम और SAAW (100 किमी रेंज), Litening टारगेटिंग पॉड

परफॉर्मेंस और बैटल कैपेबिलिटी

परफॉर्मेंस और बैटल कैपेबिलिटी
से पूरी तरह लोड होने पर तेजस Mach 1.6 की स्पीड तक उड़ान भर सकता है और अपने आठ हार्डपॉइंट्स पर करीब 3,500 किग्रा पेलोड कैरी कर सकता है. इसका डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और तेज़ टर्निंग क्षमता इसे डॉगफाइट जैसे नज़दीकी हवाई युद्ध में बेहद खतरनाक हथियार बनाते हैं. इसमें 40% से ज्यादा कंपोज़िट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है, जो न केवल वजन घटाता है बल्कि स्टील्थ कैपेबिलिटी भी बढ़ाता है.

तेजस की असली ताकत इसकी मल्टी-रोल क्षमता है. यह एक साथ इंटरसेप्शन, डीप स्ट्राइक और रिकॉन (टोही/जासूसी) मिशन अंजाम दे सकता है. यही वह लचीलापन है जो पुराने भारतीय जेट्स जैसे मिग-21 या जगुआर के पास नहीं था. तेजस सिर्फ मिग-21 का रिप्लेसमेंट नहीं है, बल्कि आने वाले तीन दशकों तक भारत का भरोसेमंद लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बने रहने वाला है. इसकी ग्रोथ रोडमैप और भविष्य की कॉन्फ़िगरेशन इसे सीधे वैश्विक मानकों के बराबर खड़ा करती हैं.

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तेजस की अन्य फाइटर जेट्स से तुलना कर जानते हैं कि ये क्यों बेहतर है. 

इस टेबल से साफ दिखता है कि तेजस पुराने MiG-21 या Jaguar का केवल रिप्लेसमेंट नहीं है, बल्कि यह टेक्नोलॉजी और परफॉर्मेंस दोनों में JF-17 जैसे आधुनिक जेट को भी टक्कर देता है.

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