उत्तराखंड में 9वीं के स्टूडेंट को थप्पड़ मारना टीचर को पड़ा भारी, लंच बॉक्स में छुपाकर लाया तमंचा, मार दी गोली
किसी टीचर का छात्र को डांटना भी अब भारी पड़ सकता है. हाल ही में उत्तराखंड से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें बताया गया कि गुस्साए छात्र ने अपने ही टीचर को गोली मार दी.
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उत्तराखंड के काशीपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है. एक प्राइवेट स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र ने अपने शिक्षक को क्लासरूम में ही गोली मार दी. यह घटना न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है.
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल में पढ़ने वाले 9वीं के छात्र का अपने टीचर से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था. टीचर ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए छात्र को थप्पड़ मार दिया था. यही बात छात्र को इतनी नागवार गुज़री कि उसने बदले की ठान ली. अगले दिन वह अपने लंच बॉक्स में देसी तमंचा छिपाकर स्कूल ले आया. क्लास के दौरान उसने अचानक अपने शिक्षक पर गोली चला दी, जो उनके कंधे के नीचे जा लगी.
घटना के तुरंत बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई. घायल शिक्षक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है.
पुलिस ने आरोपी छात्र को हिरासत में लिया
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी छात्र को तुरंत हिरासत में ले लिया. पूछताछ में छात्र ने बताया कि वह टीचर से बेहद नाराज़ था और उसने पहले से ही इस हमले की योजना बना ली थी. पुलिस ने उसके पास से हथियार भी बरामद कर लिया है और मामले की गहराई से जांच की जा रही है.
शिक्षकों में गुस्सा, स्कूलों में हड़ताल
इस घटना से गुस्साए शिक्षकों ने विरोध जताते हुए काशीपुर और आस-पास के कई सीबीएसई स्कूलों में हड़ताल की घोषणा कर दी. कई स्कूलों को एहतियातन बंद कर दिया गया है. शिक्षकों की मांग है कि स्कूलों में उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
काशीपुर की यह घटना भले ही चौंकाने वाली हो, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी छात्र ने स्कूल में हिंसक कदम उठाया हो. कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में भी 9वीं के एक छात्र ने 10वीं के छात्र पर चाकू से हमला कर उसकी हत्या कर दी थी. आरोपी छात्र ने चाकू पानी की बोतल में छिपाकर स्कूल लाया था.
लगातार सामने आ रहीं ऐसी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं. यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि बच्चों में इतनी आक्रोश और हिंसा की भावना क्यों पनप रही है? स्कूल, जो हमेशा से संस्कारों और शिक्षा का प्रतीक रहे हैं, अब असुरक्षित होते जा रहे हैं.
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