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'बोर हो रहा था इसलिए मां को मार डाल...', हत्यारे बेटे ने थाने पहुंच दी अजब दलील, नासिक पुलिस भी रह गई हैरान

इस सनसनीखेज मामले ने सभी को झकझोर दिया है. एक बेटे ने महज़ “बोरियत” के चलते अपनी ही मां की हत्या कर दी. घटना ने समाज में बढ़ते मानसिक असंतुलन और भावनात्मक दूरी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे केस मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का नतीजा हैं और समय पर काउंसलिंग से इन्हें रोका जा सकता है.

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11 Oct 2025
( Updated: 11 Dec 2025
12:43 PM )
'बोर हो रहा था इसलिए मां को मार डाल...', हत्यारे बेटे ने थाने पहुंच दी अजब दलील, नासिक पुलिस भी रह गई हैरान

एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना जो मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी के खतरों को उजागर करती है. महाराष्ट्र के नासिक जिले के शिवाजीनगर इलाके, जेल रोड पर रहने वाले 58 वर्षीय अरविंद मुरलीधर पाटिल ने 8 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) रात अपनी 80 वर्षीय बुजुर्ग मां यशोदाबाई मुरलीधर पाटिल की गला दबाकर हत्या कर दी. 

पुलिस पूछताछ में आरोपी ने सनसनीखेज कबूलनामा दिया – "मैं बोर हो रहा था, इसलिए मां को मार डाला." हत्या के बाद वह खुद थाने पहुंचा और सरेंडर कर दिया.

घटना की पूरी कहानी

घटना मंगलवार रात करीब 10 बजे हुई, जब यशोदाबाई घर पर अकेली थीं. अरविंद, जो लंबे समय से बेरोजगार और घर पर ही रहता था, अचानक गुस्से में आ गया. उसने अपनी मां का गला दबाकर हत्या की और शव को घर में ही छोड़ दिया. सुबह पड़ोसियों को संदेह हुआ, लेकिन आरोपी ने खुद नासिक रोड पुलिस स्टेशन जाकर कबूल लिया. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव बरामद किया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया.पुलिस जांच में पता चला कि अरविंद को बचपन से ही मानसिक अस्थिरता के लक्षण थे – अकेलापन, अचानक गुस्सा और सामाजिक अलगाव.

वह मोबाइल और टीवी में डूबा रहता, जिससे 'बोरियत' बढ़ती गई. परिवार के अन्य सदस्य काम के सिलसिले में बाहर थे. नासिक रोड पुलिस ने IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है. आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

डॉक्टर की चेतावनी 

मनोचिकित्सक डॉ. अनुराग तिवारी (AIIMS, दिल्ली से संबद्ध) ने इस घटना पर गंभीर चेतावनी जारी की "आजकल 'बोरियत' केवल ऊब नहीं, बल्कि डिप्रेशन, एंटी-सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर या साइकोपैथी का शुरुआती संकेत हो सकती है. लॉकडाउन के बाद भारत में ऐसे मामलों में 30% वृद्धि हुई है. लक्षण जैसे अचानक अलगाव, हिंसक कल्पनाएं या बिना वजह चिड़चिड़ापन दिखे तो तुरंत काउंसलिंग लें. NCRB डेटा के अनुसार, हर साल 1 लाख से अधिक युवा/मध्यम आयु वर्ग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित होते हैं, लेकिन केवल 10% ही मदद लेते हैं."

डॉ. तिवारी ने सलाह दी: रोजाना 30 मिनट व्यायाम, परिवार से खुली बातचीत और हेल्पलाइन (जैसे 104 या Vandrevala Foundation: 9999666555) का सहारा लें.

आधुनिक जीवन का दर्द

यह घटना हमारी तेज लाइफस्टाइल का आईना है. बेरोजगारी, डिजिटल लत और सामाजिक दूरी ने कईयों को मानसिक जाल में फंसा दिया है. एक्सपर्ट्स कहते हैं, "हॉबीज अपनाएं, प्रकृति से जुड़ें और रिश्तों को प्राथमिकता दें." परिवारों से अपील, बुजुर्गों और बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें, छोटी समस्याओं को नजरअंदाज न करें. नासिक में अपराध दर बढ़ रही है – जनवरी से सितंबर 2025 तक 45 हत्याएं दर्ज, जो चिंता का विषय है.यह दर्दनाक वारदात हमें याद दिलाती है कि मानसिक स्वास्थ्य को लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं, वरना 'बोरियत' जानलेवा साबित हो सकती है. अधिक सहायता के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट या नजदीकी काउंसलर से संपर्क करें.

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