परिवारवाद है कि छूटता ही नहीं….बिहार 2025 के लिए तैयार इन बड़े नेताओं के ‘युवराज’, चुनाव में कैसे बढ़ा घरानों का बोलबाला?
बिहार की राजनीति में कई नेता नेक्स्ट जनरेशन को सियासी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ही ख़ेमे शामिल है. बिहार की राजनीति में पहले से ही कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पीढ़िया राजनीति में हैं. आख़िर क्या वजह है जो बिहार फ़ैमिली पॉलिटिक्स से आगे नहीं बढ़ पाता और कौनसे हैं वो राजनीतिक घराने जो कर रहे हैं इस बार अपने बेटों को लॉन्च करने की तैयारी ? चलिए जानते हैं
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मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह का हाल ही में एक वीडियो काफ़ी सुर्खियों में छाया रहा. जिसमें वह अपने बेटे को घुड़सवारी सिखाते हुए नज़र आए. अनंत सिंह का बेटे को घुड़सवारी सिखाने का वीडियो चर्चा का विषय बन गया. इसे बेटे की लॉन्चिंग से जोड़कर देखा जा रहा है. अनंत सिंह बिहार विधानसभा चुनाव में अपने बेटों को टिकट दिलाने की जुगत में हैं. अनंत सिंह ही नहीं बिहार की राजनीति में कई नेता नेक्स्ट जनरेशन को सियासी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ही ख़ेमे शामिल है. बिहार की राजनीति में पहले से ही कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पीढ़िया राजनीति में हैं. आख़िर क्या वजह है जो बिहार फ़ैमिली पॉलिटिक्स से आगे नहीं बढ़ पाता और कौनसे हैं वो राजनीतिक घराने जो कर रहे हैं इस बार अपने बेटों को लॉन्च करने की तैयारी ? चलिए जानते हैं
जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार में परिवारवाद की राजनीति को लेकर एक बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा,
पिछले 30 सालों से बिहार की राजनीति सिर्फ 1,200 से 1,250 परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। विधायक और सांसद बार-बार इन्हीं परिवारों के लोग बनते रहे हैं। ये सभी परिवार भाजपा, JDU, राजद और कांग्रेस से जुड़े हैं.
प्रशांत किशोर के इस दावे ने राजनीतिक हलको में फिर एक बार परिवारवाद पर नई बहस को जन्म दे दिया. क्योंकि उनका दावा हक़ीक़त से काफी क़रीब है. RJD, कांग्रेस, BJP, JDU तमाम पार्टियों के नेता बिहार चुनाव में नई पीढ़ियों को टिकट दिलाने के लिए पार्टी संगठन के शीर्ष नेताओं से करीबी बढ़ाने लगे हैं.
निशांत कुमार संभालेंगे पिता की विरासत!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे की लॉन्चिंग के लिए पार्टी में लंबे समय से मांग की जा रही है. हालांकि निशांत कुमार के राजनीति में एंट्री को लेकर सस्पेंस भी बना हुआ है. कई महीनों से कयासों का बाजार गर्म है. हालांकि JDU की ओर से कई बार उनकी राजनीतिक एंट्री को लेकर पोस्टर लगे हैं. इन पोस्टर में निशांत कुमार को बिहार का भविष्य बताया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि 2025 चुनाव में निशांत कुमार का राजनीतिक डेब्यू हो सकता है.
JDU नेता आनंद मोहन के बेटे की लॉन्चिंग तय!
JDU नेता आनंद मोहन के छोटे बेटे अंशुमान की हाल ही में PM मोदी के साथ एक फ़ोटो सामने आई थी. माना जा रहा है अंशुमान को टिकट दिलाने के लिए आनंद मोहन दिल्ली से नज़दीकी बढ़ा रहे हैं. ग़ौरतलब है कि अंशुमान अपने पिता आनंद मोहन के साथ 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले शामिल हुए थे. आनंद मोहन ख़ुद सांसद रहे. पत्नी लवली आनंद शिवहर से सांसद हैं. 2020 में बड़े बेटा चेतन आनंद शिवहर से RJD के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2024 में JDU ज्वॉइन कर ली.
सियासी पिच पर बैटिंग करेंगे पप्पू यादव के बेटे
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी अपने बेटे को कांग्रेस टिकट दिलाने की तैयारी में हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान जब पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए थे बेटे सार्थक रंजन भी उनके साथ मौजूद थे. सार्थक क्रिकेटर हैं और मां रंजीत रंजन कांग्रेस की सांसद जबकि पिता पप्पू यादव निर्दलीय सांसद हैं, लेकिन वह ख़ुदको कांग्रेस का दामाद बताते हैं. ऐसे में माना जा रहा है सार्थक रंजन इस बार पूर्णिया की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ख़ुद हारे बेटे को जिता पाएंगे ?
परिवारवाद की फ़ेहरिस्त में पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP के वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव के बेटे का नाम भी है. रामकृपाल के बेटे अभिमन्यु फतुहा क्षेत्र में काफ़ी एक्टिव रहते हैं यहीं से रामकृपाल बेटे को टिकट दिलाने की जुगत में हैं.
बेटे को विरासत सौंपेंगे मदन मोहन झा
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा के बेटे माधव झा दरभंगा और मधुबनी में राजनीतिक तौर पर काफ़ी एक्टिव रहते हैं. मदन मोहन झा इन्हीं क्षेत्रों से कोई सीट बेटे के लिए चाहते हैं.
जगदानंद सिंह के दूसरे बेटे फिर मैदान में उतरेंगे!
लालू परिवार के करीबी जगदानंद सिंह के बड़े बेटे सुधाकर सिंह अभी बक्सर से RJD के सांसद हैं. माना जा रहा है उनके बेटे अजीत भी चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि अजीत ने उपचुनाव में RJD के टिकट पर रामगढ़ सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए. 2025 विधानसभा चुनाव में फिर उनके चुनाव लड़ने की चर्चा है.
शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के चुनाव लड़ने की चर्चा
बिहार के बाहुबली नेता रहे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना लगभग लगभग तय है. माना जा रहा है ओसामा रघुनाथपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाक़ात की थी. इस दौरान हिना शहाब ने ओसामा के रघुनाथपुर से ओसामा को लड़ने की बात कही थी. ओसामा RJD के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. कई सालों तक RJD का मुस्लिम चेहरा रहे शहाबुद्दीन का कोरोना काल में निधन हो गया था. ओसामा के रघुनाथपुर से चुनाव लड़ने की ख़बरों को उस वक़्त और बल मिला जब रघुनाथपुर के RJD विधायक हरिशंकर यादव ने कार्यकर्ता सम्मेलन में ओसामा को पगड़ी बांधी.
लोकसभा की कसर विधानसभा में पूरी करेंगे अश्विनी चौबे के बेटे
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत की विधानसभा में चुनाव लड़ने की चर्चा ज़ोरों पर है. अश्विनी चौबे ने लोकसभा चुनाव में अर्जित को टिकट दिलाने की कोशिश की थी लेकिन वह असफल रहे. अब माना जा रहा है विधानसभा में अर्जित को टिकट मिल सकता है.
JDU उपाध्यक्ष करेंगे बेटे को लॉन्च
JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के बेटे सोनू सिंह राजनीति में सक्रिय हैं. माना जा रहा है सोनू इस बार शाहाबाद की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं
बेटे के लिए टिकट की मांग करेंगे BJP विधायक
कुम्हरार से BJP विधायक अरुण सिन्हा भी अपने बेटे आशीष सिन्हा को चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं. आशीष सिन्हा पटना यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति में काफ़ी एक्टिव रहे हैं.
रेस में विधानसभा अध्यक्ष का बेटा भी शामिल
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव पटना साहिब से विधायक हैं उनकी गिनती बिहार के बड़े नेताओं में होती है. उनके बेटे नितिन कुमार उर्फ टिंकू भी राजनीति में एक्टिव रहते हैं. नितिन कुमार बिज़नेसमैन होने के साथ साथ बीजेपी व्यवसायी मंच के सह संयोजक भी हैं. चर्चा है कि नंद किशोर यादव इस बार बेटे के लिए टिकट चाह रहे हैं.
बाग़ी हुए कांग्रेस नेता बेटे को दिलाएंगे JDU का टिकट!
बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके अशोक राम ने JDU का दामन थाम लिया. वह कांग्रेस से नाराज़ बताए जा रहे थे अशोक राम अपने बेटे अतिरेक के लिए JDU में टिकट की मांग कर सकते हैं.
हरिनारायण सिंह का इंकार, बेटे पर दांव!
JDU के सीनियर लीडर हरिनारायण सिंह खुले मंच से ऐलान कर चुके हैं कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनके ऐलान के बाद अनिल कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज़ हो गई. अनिल कुमार राजनीति में काफ़ी एक्टिव हैं.
बिहार विधान परिषद के सभापति भी लगाएंगे बेटे पर दांव!
बिहार विधानसभा के सभापति अवधेश नारायण सिंह अपने बेटे आनंद रमन के लिए टिकट चाहते हैं. आनंद बीजेपी के युवा मोर्चा से जुड़े हुए हैं और राजनीति में काफ़ी समय से एक्टिव हैं.
BJP के वरिष्ठ नेता आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज पटना साहिब में काफ़ी एक्टिव हैं. वह लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से टिकट चाहते थे लेकिन तब टिकट नहीं मिला तो इस बार कोशिश है कि टिकट टू विधायक मिल सके.
बिहार में परिवारवार की राजनीति का चलन क्यों?
बिहार में परिवारवाद नहीं पीढ़ीवाद की राजनीति होती है. दादा-पिता-बेटे परिवार की राजनीतिक साइकिल को आगे बढ़ाते हैं और हैरत की बात ये है कि जनता वंशवाद की राजनीति को चुनकर नेताओं को विधानसभा भेजती भी है. इसलिए इसमें क़ुसूर नेताओं का नहीं है. वहीं, राजनीतिक घराने से जुड़े होने के कारण उम्मीदवारों को जनता की नब्ज पहले से ही पता होती है. इसमें कैंडीडेट के पिता-दादा की राजनीतिक छवि काफ़ी अहम होती है.
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बिहार चुनाव इसी साल के अंत में हैं चुनावी रैलियों में पक्ष और विपक्ष दोनों ख़ेमों के नेता ही परिवारवाद को आधार बनाकर एक दूसरे पर वार करते हैं लेकिन सच्चाई ये ही है कि बिहार में परिवारवाद की राजनीति से न तो विपक्ष अछूता है न ही पक्ष. अब ये जनता के हाथ में है कि वह इसी तरह पुराने ढर्रे पर चलकर परिवारवाद की राजनीति को आगे बढ़ाती है या फिर नए कैंडिडेट को मौक़ा देती है. क्या इस बार बिहार चुनाव में तस्वीर बदलेगी ? इसका जवाब तो नतीजों के बाद ही मिलेगा.
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