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जोधपुर की नीली गलियों के पीछे छुपा है एक अनोखा राज, जानिए क्यों है ये शहर ‘Blue City’

जोधपुर को ‘Blue City’ यानी नीला शहर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके पुराने शहर के लगभग सभी घर और गलियां नीले रंग से रंगी हुई हैं. यह परंपरा ब्राह्मणों द्वारा शुरू हुई थी, जो अपने घरों को नीले रंग से पहचान देते थे. इसके अलावा, नीला रंग गर्मी से राहत और कीटों से बचाव का भी काम करता है. आज यह नीला रंग जोधपुर की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य कारण है.

08 Aug, 2025
( Updated: 09 Aug, 2025
06:11 PM )
जोधपुर की नीली गलियों के पीछे छुपा है एक अनोखा राज, जानिए क्यों है ये शहर ‘Blue City’

राजस्थान का जोधपुर शहर अपनी ऐतिहासिक किलों, महलों और खासतौर पर अपने नीले रंग के मकानों के लिए विश्वभर में जाना जाता है. शहर के पुराने हिस्से में लगभग हर घर, दीवार और गलियां नीले रंग से रंगी हुई हैं, जिससे इसे ‘Blue City’ या ‘नीला शहर’ कहा जाता है. यह दृश्य पर्यटकों को मोहित करता है और जोधपुर की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है.

नीले रंग की शुरुआत

जोधपुर में नीले रंग की परंपरा की शुरुआत लगभग 400 साल पहले मानी जाती है. उस समय के सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नीला रंग ब्राह्मणों की विशेष पहचान था. ब्राह्मण परिवार अपने घरों को नीले रंग से रंगते थे ताकि उनके मकान दूसरों से अलग पहचाने जा सकें. समय के साथ यह प्रथा पूरे शहर में फैल गई और धीरे-धीरे सभी वर्गों के लोग अपने घरों को नीला रंग देने लगे.

रंग में छिपा पर्यावरणीय विज्ञान

जोधपुर के शुष्क और गर्म रेगिस्तानी इलाके में नीला रंग मकानों को ठंडा रखने में मदद करता है. नीला रंग सूरज की गर्मी को परावर्तित करता है, जिससे मकान के अंदर तापमान नियंत्रित रहता है. खासकर गर्मी के मौसम में इस रंग की वजह से घरों में ठंडक बनी रहती है, जो स्थानीय लोगों के लिए राहत का कारण है.

कीटों से बचाव का राज

स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, नीले रंग में प्रयुक्त रंगाई में नीलगाय (indigo) का रंग और काकड़ी के रस का इस्तेमाल किया जाता था. यह प्राकृतिक रंग कीटों और मक्खियों को दूर रखने में मदद करता था. इसलिए पुराने समय में यह रंग मकानों को न सिर्फ खूबसूरत बनाता था, बल्कि उन्हें कीटों से भी सुरक्षित रखता था.

वास्तुशास्त्र और धार्मिक मान्यताएं

वास्तुशास्त्र के अनुसार, नीला रंग घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है. जोधपुर में इस रंग के व्यापक उपयोग से लोगों को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की कामना भी जुड़ी हुई है. यह रंग आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तौर पर भी माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और घर में सौभाग्य लाता है.

नीला शहर

जोधपुर का पुराना शहर अपने नीले रंग के कारण एक पर्यटक आकर्षण का केंद्र बन चुका है. यहां की तंग-तंग गलियां, नीले घरों के बीच गुजरना एक अलग ही अनुभव देता है. अनेक फोटोग्राफर, कलाकार और यात्रियों के लिए यह जगह एक स्वर्ग है, जो इसकी अनूठी सुंदरता को कैमरे में कैद करने आते हैं. नीले शहर की ये गलियां राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को जीवित रखती हैं.

आधुनिकता के बीच परंपरा की स्थिरता

आज भी जोधपुर के पुराने हिस्से में नीले रंग की परंपरा जीवित है. लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखते हुए अपने घरों की दीवारों को नीले रंग से सजाते हैं. हालांकि नए समय में आधुनिक रंगों और डिजाइनों ने जगह बनाई है, लेकिन नीले रंग की विशिष्टता अभी भी जोधपुर की पहचान बनी हुई है.

नीला रंग सिर्फ रंग नहीं, बल्कि जोधपुर की आत्मा है

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जोधपुर का ‘Blue City’ बनना एक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय प्रक्रिया का परिणाम है. यह रंग न केवल शहर की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि स्थानीय जीवनशैली, परंपराओं और जलवायु के अनुकूल भी है. नीली गलियां जोधपुर को विशिष्ट बनाती हैं और इसे विश्वभर में एक अनूठा शहर बनाती हैं.

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