टेस्ला की ड्राइवरलेस कार ने किया कमाल, पहली बार बिना ड्राइवर के पहुंची ग्राहक तक
Tesla की यह उपलब्धि यह दिखाती है कि भविष्य अब दरवाज़े पर नहीं सीधे दरवाज़ा खोल कर अंदर आ चुका है.एक ऐसी कार जो खुद चलकर फैक्ट्री से ग्राहक के घर पहुंच जाए, यह किसी समय विज्ञान-फंतासी (science fiction) लगता था. लेकिन अब यह हमारी आंखों के सामने हकीकत बन चुका है.

दुनिया में ऑटोमोबाइल सेक्टर ने एक नया अध्याय लिख दिया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि एक कार बिना किसी ड्राइवर, रिमोट कंट्रोल या ऑपरेटर के खुद चलकर सीधे फैक्ट्री से ग्राहक के घर तक पहुंची है। यह चमत्कार किया है Tesla की पूरी तरह ऑटोनॉमस इलेक्ट्रिक कार ने. और यह ऐतिहासिक डिलीवरी Elon Musk के जन्मदिन के दिन अमेरिका के टेक्सास (Texas) राज्य में हुई, जिसने इस उपलब्धि को और भी खास बना दिया.
कैसे काम करती है यह बिना ड्राइवर वाली Tesla कार?
Tesla की यह कार एक अत्याधुनिक Full Self Driving (FSD) तकनीक पर काम करती है, जो पूरी तरह AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित है। यह सिस्टम कार को इंसान की तरह सोचने और निर्णय लेने की क्षमता देता है. कार सड़कों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल्स को पढ़ सकती है, पैदल चलने वालों को पहचान सकती है, और सामने आने वाले अन्य वाहनों के अनुसार अपनी स्पीड को अपने आप घटा-बढ़ा सकती है.
यह न केवल हाईवे पर बल्कि शहर की संकरी गलियों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के खुद को नेविगेट कर सकती है। इसमें लेन चेंजिंग, ऑटो ब्रेकिंग, सेल्फ पार्किंग जैसी उन्नत सुविधाएं भी शामिल हैं. यानी इस कार के भीतर बैठकर आप एक यात्री की तरह सफर कर सकते हैं, बिना स्टीयरिंग को छुए.
कीमत
इस समय भारत में Tesla की यह ड्राइवरलेस टेक्नोलॉजी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यदि कोई ग्राहक इसे इंपोर्ट करना चाहता है, तो इसकी कीमत करीब 34 लाख रुपये (रियर-व्हील वेरिएंट) से शुरू होती है. वहीं इसके परफॉर्मेंस वर्जन की कीमत लगभग 51 लाख रुपये हो सकती है.इस कीमत पर बाजार में आपको Toyota Fortuner या Audi Q3 जैसी प्रीमियम SUVs मिलती हैं, लेकिन Tesla की यह कार तकनीक, एफिशिएंसी और इनोवेशन के मामले में इन सभी से कहीं आगे निकल जाती है. खासकर ऑटोनॉमस ड्राइविंग जैसी तकनीक किसी और गाड़ी में फिलहाल उपलब्ध नहीं है.
दमदार टेक्निकल फीचर्स जो हर ड्राइव को बना दें खास
Tesla की इस कार में 534 हॉर्सपावर वाला इलेक्ट्रिक मोटर दिया गया है, जो इसे सिर्फ 3.5 सेकंड में 0 से 100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ने की ताकत देता है. इसकी टॉप स्पीड 250 किमी/घंटा है, जो इसे परफॉर्मेंस के मामले में सुपरकार्स की कतार में खड़ा करती है.एक बार फुल चार्ज करने पर यह कार 455 किलोमीटर तक चल सकती है, जो एक लॉन्ग-ड्राइव के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा, इसका 4.79 मीटर का व्हीलबेस, 1.92 मीटर की चौड़ाई, और 854 लीटर का बूट स्पेस इसे न केवल फास्ट बल्कि बेहद प्रैक्टिकल भी बनाते हैं .एक परफॉर्मेंस और पारिवारिक कार का बेहतरीन मेल.
सेफ्टी और कंफर्ट दोनों में नंबर वन
Tesla ने इस कार में सिर्फ टेक्नोलॉजी ही नहीं, बल्कि सेफ्टी और कंफर्ट का भी पूरा ध्यान रखा है. कार का केबिन डिजाइन पूरी तरह प्रीमियम है जिसमें ऑल-डिजिटल डैशबोर्ड, ग्लास रूफ, बड़े टचस्क्रीन कंट्रोल्स और ऑटोपायलट सिस्टम शामिल हैं.इसके अलावा, यह कार क्रैश टेस्ट में हाई सेफ्टी रेटिंग हासिल कर चुकी है, जिससे यात्रियों को सफर के दौरान बेहतर सुरक्षा मिलती है. Tesla ने अपने स्टैंडर्ड से एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह सिर्फ भविष्य की कारें नहीं, बल्कि स्मार्ट और सुरक्षित वाहन भी बना रही है.
क्या भारत में भी जल्द दिखेगी Tesla की Driverless Car?
भारत में Tesla की इस क्रांतिकारी तकनीक को आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. इसकी वजह है देश का मौजूदा ट्रैफिक सिस्टम, सड़कों की स्थिति और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव. लेकिन Elon Musk ने पहले ही यह संकेत दिया है कि Tesla भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर विचार कर रही है.ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले 3–5 वर्षों में भारत में भी Tesla की ड्राइवरलेस कारें दौड़ती नजर आएंगी. और जब यह तकनीक भारत आएगी, तो न केवल कार का चलाना आसान होगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाएं और थकान से भी राहत मिलेगी.
Tesla की यह उपलब्धि यह दिखाती है कि भविष्य अब दरवाज़े पर नहीं सीधे दरवाज़ा खोल कर अंदर आ चुका है.एक ऐसी कार जो खुद चलकर फैक्ट्री से ग्राहक के घर पहुंच जाए, यह किसी समय विज्ञान-फंतासी (science fiction) लगता था. लेकिन अब यह हमारी आंखों के सामने हकीकत बन चुका है.