'ट्रंप सुर्खियों में आने...', सीजफायर पर ट्रंप के दावे, ऑपरेशन सिंदूर और PAK को चीन-तुर्की का साथ...संसदीय समिति को विदेश सचिव ने क्या बताया?
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ बीते दिनों हुए सैन्य तनाव के बाद पहली बार संसद की विदेश मामलों की समिति की बैठक हुई. इसमें विदेश सचिव ने ऑपरेशन, पाक के साथ तनाव, पहलगाम हमला और सीजफायर पर ट्रंप के दावों सहित तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी और घटनाक्रम की पूरी जानकारी दी.

ऑपरेशन सिंदूर, भारत की अद्भुत सैन्य कार्रवाई और पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव पर विराम के मद्देनज़र विदेश मामलों की संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई. 10 मई को हुए युद्ध विराम के बाद पहली बार बैठी समिति को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पूरे मामले से अवगत कराया. उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर अपनी बात रखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर को लेकर किए जा रहे दावों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने साफ कर दिया कि भारत-पाक के बीच मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के दावे सही नहीं हैं.
वहीं अपना पूरा जीवन विदेश सेवा, देश और डिप्लोमेसी को देने वाले विदेश सचिव को पिछले दिनों सीजफायर के बाद ट्रोल्स का सामना करना पड़ा, जहां उनके परिवार को साइबर हमले का निशाना बनाया गया. समिति ने इस पर भी संज्ञान लिया एक स्वर में मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया.
भारत-पाक के बीच मध्यस्थता कराने का ट्रंप का दावा खारिज
संसदीय समीति में विदेश सचिव से सीजफायर और कश्मीर मुद्दे को लेकर भी कई तीखे सवाल हुए. विदेश सचिव ने अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि 'भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पूरी तरह द्विपक्षीय स्तर पर हुआ, और ट्रंप के दावों में कोई सच्चाई नहीं है.' मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिस्त्री ने ट्रंप के सवाल पर कहा कि 'ट्रंप ने सीजफायर के बीच में आने के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं ली थी, वो आना चाहते थे, इसलिए आ गए.' इस दौरान विदेश सचिव से कश्मीर मुद्दे पर भी सवाल हुआ कि ट्रंप बार-बार कश्मीर का जिक्र क्यों कर रहे थे और सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी गई. सदस्यों ने ये भी कहा कि भारत सरकार ट्रंप को मंच पर आने ही क्यों दे रही थी, उनके दावों को वहीं खारिज कर दिया जाना चाहिए था. इसी के जवाब में मिस्त्री ने कहा कि 'न हमने उनसे इस मुद्दे के बीच में आने को कहा था और न ही हमसे इजाजत ली थी, वो आना चाहते थे, और आ गए.'
विदेश सचिव ने समिति को बताया, "कोई भी विदेशी मध्यस्थता नहीं हुई थी. संघर्ष विराम एक द्विपक्षीय निर्णय था. ट्रंप सिर्फ सुर्खियों में आने के लिए बीच में कूद पड़े थे."
‘पहलगाम हमले के आतंकी पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड्स के संपर्क में थे’
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को विदेश मामलों की संसद की स्थायी समिति के समक्ष पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता को लेकर गंभीर आरोप लगाए. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने समिति को बताया कि पहलगाम आतंकवादी हमले की योजना और संचालन सीमा पार से किया गया था और आतंकवादी सीधे पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड्स के संपर्क में थे.
विदेश सचिव ने जांच के ठोस तथ्यों के आधार पर बताया कि पाकिस्तान आज भी आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी खुलेआम पाकिस्तान की जमीन से काम कर रहे हैं और भारत के खिलाफ हिंसा को भड़का रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों, सैन्य खुफिया एजेंसियों और कुछ नागरिक प्रशासनिक संस्थानों के बीच एक "स्पष्ट और संस्थागत गठजोड़" की बात कही.
सूत्रों ने मिस्री के हवाले से कहा, "यह बातें केवल कहानियों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि पक्के सबूतों से जुड़ी हुई हैं." जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामलों में किसी भी अन्य देश की भूमिका को खारिज करते हुए उन्होंने भारत की संप्रभुता का भी कड़ा समर्थन किया.
‘PAK के परमाणु ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया’
सदस्यों के सवालों के जवाब में विदेश सचिव ने स्पष्ट किया कि भारत की जवाबी कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' पूरी तरह पारंपरिक थी, टकराव पूरी तरह से पारंपरिक हथियारों तक ही सीमित रहा. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के किसी भी परमाणु ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया और न ही पाकिस्तान की ओर से कोई परमाणु धमकी या संकेत दिया गया.
विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर भी सफाई
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पिछले बयान को लेकर उठे विवाद पर भी मिस्री ने स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि जयशंकर की टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया. वह विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण की बात कर रहे थे, जिसमें भारत ने 6-7 मई को 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था और उसके बाद पाकिस्तान को जानकारी दी गई थी.
क्या पाकिस्तान ने इस्तेमाल किए चीनी हथियार?
समिति के सदस्यों ने विदेश सचिव से पाकिस्तान के खिलाफ हुए सैन्य तनाव में चीनी हथियारों के इस्तेमाल पर भी सवाल पूछा, उन्होंने साफ कहा कि किसने-क्या इस्तेमाल किया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. भारत ने उनके PAK के एयरबेस तबाह किए यही मायने रखता है. विदेश सचिव ने यहां एयरबेस का उल्लेख इसलिए किया क्योंकि पाकिस्तान चीन नीर्मित HQ-9 और अन्य एयर डिफेंस सिस्टम इस्तेमाल करता है और ये भारत की ओर से आने वाली मिसाइलों और ड्रोन्स को डिटेक्ट और न्यूट्रलाइज करने में नाकाम रहीं. विदेश सचिव से भारत को हुए नुकसान मसलन फाइटर जेट्स के गिरने को लेकर भी सवाल किया गया जिसे उन्होंने सुरक्षा से संबंधित मामला कह कर जवाब देने में असमर्थता जताई.
विदेश सचिव से किन मुद्दों पर सवाल हुए?
सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव से पाकिस्तान को IMF की ओर से दिए गए लोन को लेकर भी सवाल हुआ कि कोई देश इस मुद्दे पर भारत के साथ क्यों नहीं खड़ा हुआ? मिस्त्री ने इसके जवाब में कहा कि बाकी देशों के भी पाकिस्तान से संबंध हैं. सदस्यों ने इस दौरान विदेश जा रहे प्रतिनिधिमंडल, टीयर-वन कूटनीति की कथित विफलता और तुर्की के साथ संबंधों को लेकर भी सवाल हुए.
इस समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत सभी सदस्यों ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार के खिलाफ हो रही ऑनलाइन ट्रोलिंग की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारत के शीर्ष राजनयिक के प्रति सर्वदलीय समर्थन दिखा.
वहीं समिति की बैठक के बाद सीजफायर, विदेश मंत्री के बयान, तुर्की के साथ संबंध और अमेरिकी राष्ट्रपति के सोशल मीडिया पर मध्यस्थता के दावों पर स्पष्टता मिली है.