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इजरायली कमांडो का समुद्री ऑपरेशन, गाजा रवाना जहाज़ को रोका, ग्रेटा थनबर्ग हिरासत में

इज़रायली सेना ने रविवार को भूमध्य सागर में एक बड़ा ऑपरेशन अंजाम देते हुए गाज़ा के लिए रवाना हुए एक राहत जहाज़ को अपने कब्जे में ले लिया. यह कार्रवाई उस समय हुई जब जहाज़ अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में था. इस जहाज़ पर सवार यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन ने जानकारी दी कि, “इज़रायली कमांडो ने समुद्र के बीचोंबीच पूरे क्रू को हिरासत में ले लिया और जहाज़ को जब्त कर लिया गया.”

इज़रायली सेना ने रविवार को भूमध्य सागर में एक बड़ा ऑपरेशन अंजाम देते हुए गाज़ा के लिए रवाना हुए एक राहत जहाज़ को अपने कब्जे में ले लिया. इस जहाज़ पर एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता सवार थे. बताया जा रहा है कि जहाज़ पर खाद्य और मानवीय सहायता सामग्री लदी हुई थी और इसका उद्देश्य गाज़ा के लोगों तक राहत पहुंचाना था.

यह कार्रवाई उस समय हुई जब जहाज़ अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में था. इस जहाज़ पर सवार यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन ने जानकारी दी कि, “इज़रायली कमांडो ने समुद्र के बीचोंबीच पूरे क्रू को हिरासत में ले लिया और जहाज़ को जब्त कर लिया गया.” सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में जहाज़ के क्रू सदस्य हाथ ऊपर किए हुए दिखाई दे रहे हैं. एक अन्य तस्वीर में ग्रेटा थनबर्ग भी स्पष्ट रूप से नजर आ रही हैं. अभी तक इज़रायल की ओर से इस ऑपरेशन पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. 

FFC ने इज़रायली कार्रवाई को बताया "आक्रामक"
बता दें कि 22 वर्षीय स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग 1 जून 2025 को गाज़ा की ओर रवाना हुई थीं. वह फिलीस्तीन के पक्ष में कार्यरत संगठन फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन (FFC) के जहाज़ मैडलीन पर सवार थीं. यह जहाज़ इटली के सिसिली स्थित कटानिया बंदरगाह से रवाना हुआ था और इसमें खाद्य सामग्री व अन्य मानवीय सहायता लदी थी, जिसका उद्देश्य गाज़ा में फंसे नागरिकों तक राहत पहुंचाना था. इस अभियान को उस समय बड़ा झटका लगा जब इज़रायली कमांडो ने समुद्र में जहाज़ को घेर लिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया. इस पूरी कार्रवाई को लेकर FFC ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.एफएफसी की ओर से जारी बयान में कहा गया, “क्वाडकॉप्टर ड्रोन हमारे जहाज़ को घेर रहे हैं और उस पर सफेद रंग जैसा कोई अज्ञात पदार्थ छिड़का जा रहा है. संचार पूरी तरह बाधित है और रेडियो पर लगातार परेशान करने वाली आवाजें सुनाई दे रही हैं.”इस बयान के अनुसार, संचार तंत्र को जानबूझकर बाधित किया गया, जिससे जहाज़ पर सवार लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है.

इजरायल के विदेश मंत्रालय ने किया पोस्ट  
इजरायल के विदेश मंत्रालय की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें इजरायली नौसेना का एक अधिकारी रेडियो पर जहाज़ को यह संदेश देता दिखाई देता है कि, "गाज़ा के तट से सटे समुद्री क्षेत्र को बंद कर दिया गया है. कृपया तुरंत इस क्षेत्र को छोड़ दें.” वहीं, जहाज़ से लाइवस्ट्रीम किए गए वीडियो में एक कार्यकर्ता यास्मीन अकार ने दावा किया कि जहाज़ पर एक सफेद रंग का अज्ञात पदार्थ गिराया गया है. वीडियो में वह जहाज़ के डेक पर उस पदार्थ को दिखाते हुए कहती हैं कि यह आंखों में जलन पैदा कर रहा है. बाद में यास्मीन अकार को यह कहते हुए सुना गया कि, "इससे मेरी आंखों पर असर पड़ रहा है, जलन और धुंधलापन हो रहा है.”

इज़रायली कार्रवाई के बीच FFC ने जारी किया वीडियो
इज़रायली नौसेना द्वारा रोके गए मानवीय सहायता जहाज मैडलीन को लेकर अब फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन (FFC) ने टेलीग्राम पर एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में जहाज़ के चालक दल के सदस्य हाथ ऊपर करके नाव के अंदर बैठे नजर आ रहे हैं, जो हालात की गंभीरता को दर्शाता है. इजरायली कार्रवाई के बाद जहाज़ से संपर्क पूरी तरह टूट गया, जिसके बाद FFC ने जहाज़ पर सवार लोगों के पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश सोशल मीडिया पर साझा करने शुरू किए. इन वीडियो में सबसे अहम संदेश स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का है. ग्रेटा थनबर्ग अपने वीडियो में कहते हुए दिख रही हैं कि, "अगर आप यह वीडियो देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हमें इज़रायली कब्जे वाले बलों या इज़रायल का समर्थन करने वाले बलों द्वारा अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में रोका गया और अगवा कर लिया गया है.” थनबर्ग के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में चिंता बढ़ा दी है. FFC के अनुसार, जहाज़ पर कई देशों के मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार और यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन भी सवार थीं.

इजरायल ने 'सेलिब्रिटी सेल्फी नौका' बताया मैडलीन को
स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित राहत जहाज़ मैडलीन को लेकर इजरायल और फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन (FFC) के बीच तनाव और बढ़ गया है.  इजरायली विदेश मंत्रालय ने जहाज़ को "सेलिब्रिटी सेल्फी नौका" करार देते हुए इस मिशन को महज़ एक प्रचार स्टंट बताया है. इजरायली सरकार का दावा है कि 7 जून को जब मैडलीन मिस्र के तट के पास पहुंचा, तभी से इजरायली सेना इसे गाजा पहुंचने से रोकने की पूर्व नियोजित योजना बना चुकी थी. सरकार का आरोप है कि जहाज़ पर सवार कार्यकर्ता, जिनमें ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल हैं, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरने की रणनीति के तहत यह यात्रा कर रहे हैं.इजरायली विदेश मंत्रालय ने कहा, “गाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के कई वैध रास्ते हैं. इसमें इंस्टाग्राम पर सेल्फी खींचना शामिल नहीं है.” इजरायल ने यह भी बताया कि पिछले दो हफ्तों में 1,200 से अधिक सहायता ट्रक गाज़ा में प्रवेश कर चुके हैं, और 11 मिलियन से अधिक भोजन पैकेट गाज़ा के नागरिकों को सीधे वितरित किए जा चुके हैं. इजरायली अधिकारियों का कहना है कि, "ग्रेटा और अन्य कार्यकर्ताओं का असली मकसद सहायता पहुंचाना नहीं बल्कि राजनीतिक मंच बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल को बदनाम करना है.”

घटना के बाद मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है. वहीं, इज़रायल का यह भी दावा रहा है कि वह गाज़ा तक जाने वाली हर खेप की निगरानी इसलिए करता है ताकि उसमें कोई संदिग्ध सामग्री न हो. इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है, और अब इस पर कई देश और संस्थाएं प्रतिक्रिया देने की तैयारी कर रहे हैं.

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