ब्रा नहीं पहनी तो छात्राएं नहीं दे पाएंगी परीक्षा, भद्दे तरीके से हो रही चेकिंग, VIDEO वायरल
सोशल मीडिया पर कथित तौर पर इस यूनिवर्सिटी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें देखने को मिल रहा है कि यहां पर स्टूडेंट्स को एग्जाम हॉल में जाने के लिए क़तार में खड़ा किया हुआ है. इस दौरान कुछ महिला कर्मचारी छात्राओं की छाती के हिस्से को छूती हुई दिखाई दे रही हैं.
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कई यूनिवर्सिटी में परीक्षाओं को लेकर सख्त नियम लागू किए जाते हैं, किसी तरह की कोई चीटिंग ना हो इसके लिए शिक्षण संस्थानों में परीक्षा को ध्यान में रखते हुए कई तरह के निर्देश लागू करते हैं.
नाइजीरिया की यूनिवर्सिटी में नो ब्रा नो एंट्री का रूल
वहीं पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजीरिया में स्थित एक यूनिवर्सिटी ने परीक्षा देने के लिए ऐसा नियम लागू किया है, जो की इस वक्त चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल इस यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने के लिए एक ड्रेस कोड लागू किया है. यूनिवर्सिटी ने इसे लेकर ऐसा फरमान जारी किया है, नो ब्रा नो एंट्री. जिसकी वजह से ये यूनिवर्सिटी विवादों में घिर गई है.
वायरल वीडियो से मचा बवाल
दरअसल, बात कुछ ऐसी है कि इस यूनिवर्सिटी में लड़कियों को बिना ब्रा पहने परीक्षा देने की अनुमति नहीं है. हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस नियम का उल्लंघन ना हो इसके लिए लड़कियों को छू-छू कर उनकी चेकिंग भी की जा रही है. ये मामला एक वीडियो के वायरल होने के बाद सामने आया है.
बता दें कि जिस यूनिवर्सिटी ने इस हैरान वाली ड्रेस कोड को लागू किया है वो ओलाबिसी ओनाबांजो यूनिवर्सिटी है. सोशल मीडिया पर कथित तौर पर इस यूनिवर्सिटी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें देखने को मिल रहा है कि यहां पर स्टूडेंट्स को एग्जाम हॉल में जाने के लिए क़तार में खड़ा किया हुआ है. इस दौरान कुछ महिला कर्मचारी छात्राओं की छाती के हिस्से को छूती हुई दिखाई दे रही हैं. जो वाकेई में ही आपत्तिजनक लग रहा है. इस वायरल वीडियो को देखने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ रहा है, लोग जमकर यूनिवर्सिटी के इस नियम की आलोचना कर रहे हैं.
नो ब्रा, नो एंट्री रूल का किया बचाव
यूनिवर्सिटी ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन छात्र संघ के अध्यक्ष मुइज़ ओलाटुनजी ने इस नीति का बचाव करते हुए कहा कि यह लंबे समय से चले आ रहे ड्रेस कोड का हिस्सा है जिसका उद्देश्य "सम्मानपूर्ण और ध्यान भटकाने वाला वातावरण" बनाए रखना है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि प्रवर्तन के तरीके "सम्मानपूर्ण और गरिमापूर्ण" होने चाहिए. ड्रेस कोड ऐसे कपड़ों पर प्रतिबंध लगाता है जो "समान या विपरीत लिंग के लोगों को छात्र के प्रति अभद्र तरीके से वासना करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.”
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