‘घर में शादी है मां की डेडबॉडी आई तो अपशगुन होगा’ वृद्धाश्रम में मां की मौत, बेटे का शव लेने से इंकार, झकझोर देगी कहानी
जिस बेटे को घर की शादी छोड़कर मां का शव लेने के लिए जाना चाहिए था, वो कहता है- मां की लाश को चार दिन डीप फ्रीजर में रख दो, अभी घर में शादी है, बॉडी घर आई तो अपशगुन होगा. शादी के बाद मां के शव को ले जाऊंगा. शोभा देवी की त्रासदी यहीं खत्म नहीं हुई उन्हें अंतिम संस्कार भी नहीं नसीब हुआ.
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UP के गोरखपुर का एक घर, जहां शादी की रौनक थी, मंगलगीत गाए जा रहे थे रिश्तेदारों की मान-मनुहार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही थी. लाइटें चमक रही थीं, पकवान तैयार हो रहे थे. तभी मोबाइल की रिंग बजती है. घर का बेटा कॉल रिसीव करता है, फोन करने वाला शख्स बेटे से कहता है, आपकी मां चल बसीं उनका शव ले जाइए. ये सुनना किसी भी सामान्य बेटे के लिए सामान्य नहीं होगा, लेकिन इस बेटे ने जो कहा, उसे सुनकर हर कोई सन्न रह गया.
जिस बेटे को घर की शादी छोड़कर मां का शव लेने के लिए जाना चाहिए था, वो कहता है- मां की लाश को चार दिन डीप फ्रीजर में रख दो, अभी घर में शादी है, बॉडी घर आई तो अपशगुन होगा. शादी के बाद मां के शव को ले जाऊंगा.
इन लाइन्स को कितनी भी बार पढें, एक बेटे के अपनी मां के लिए शब्द ये ही थे. जौनपुर के वृद्धाश्रम में रहने वाली बुजुर्ग महिला की मौत के बाद जब गोरखपुर में रहने वाले उनके बेटों से कॉन्टेक्ट किया गया तो उनका जवाब कुछ ऐसा था. क्योंकि घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं, ऐसे में मां का दुख मनाना तो दूर उनका अंतिम संस्कार करना, उन्हें मोक्षधाम तक पहुंचाना भी बेटों को गैरजरूरी और अपशगुन लगा. दिल को झकझोर देने वाली इस घटना के बारे में आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं.
बेटों ने दुर्गति से परेशान होकर सुसाइड करने गया था बुजुर्ग दंपत्ति
ये कहानी गोरखपुर के भरोहियां गांव के रहने वाले 68 वर्षीय भुआल गुप्ता की है. जिनके 3 बेटे और 3 बेटियां हैं, यानी कुल 6 बच्चे. तीनों बेटियों की शादी करने के बाद बुजुर्ग दंपत्ति बेटों के साथ गांव में ही रहता था. एक साल पहले बेटों ने उन्हें बोझ समझकर घर से बाहर निकालते हुए कहा, आप लोग बोझ बन गए हैं. बेटों से ये बात सुनकर भुआल गुप्ता का दिल टूट गया और वह पत्नी शोभा को लेकर राजघाट सुसाइड करने पहुंच गए, लेकिन वहां मौजूद कुछ भले लोगों ने उन्हें रोका और वृद्धाश्रम के बारे में बताया. किसी ने उन्हें अयोध्या और मथुरा का पता दिया और कहा, यहां रहने खाने का इंतजाम हो जाएगा. दोनों अयोध्या भी गए और मथुरा भी लेकिन उनके रहने का कोई इंतजाम नहीं हुआ. हालांकि यहां से उन्हें जौनपुर के वृद्धाश्रम का फोन नंबर मिल गया. भुआल गुप्ता ने जौनपुर विकास समिति वृद्धाश्रम के हेड रवि कुमार चौबे से बात की और जौनपुर के इस वृद्धाश्रम में रहने लगे.
शोभा देवी की किडनी फेल होने के बाद मौत
वृद्धाश्रम के हेड रवि चौबे से मिली जानकारी के मुताबिक, शोभा देवी के पैरों में लकवा हो गया था. वह ठीक से चल फिर नहीं पाती थी, अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें थोड़ा आराम मिला. इसके बाद 19 नवंबर को शोभा देवी की तबीयत फिर बिगड़ गई. वृद्धाश्रम वालों ने उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. डॉक्टर्स ने बताया कि शोभा देवी की दोनों किडनी फेल हो चुकी थीं. शरीर में इंफेक्शन भी फैल गया था. पत्नी की मौत के बाद भुआल गुप्ता बुरी तरह टूट गए. उन्होंने पत्नी का अंतिम संस्कार गांव में ही करने का फैसला किया क्योंकि शोभा देवी की भी यहीं इच्छा थी. उन्होंने वृद्धाश्रम वालों से बेटे को गांव में फोन करवाया और मां के निधन की जानकारी दी.
बेटे की बात सुनकर वृद्धाश्रम वाले सन्न रह गए
रवि चौबे ने घर में कॉल किया और बताया आपकी मां का निधन हो गया है, अंतिम संस्कार करना है. आपकी मां की इच्छा थी कि उनका क्रियाकर्म गोरखपुर में ही किया जाए. इस पर बेटे ने कहा, बड़े भाई से पूछकर बताता हूं और कॉल कट कर दिया. 10 मिनट बाद भुआल गुप्ता के बेटे ने कॉल किया और वृद्धाश्रम वालों से कहा, ‘भैया ने कहा है कि डेडबॉडी को फ्रीजर में रखवा दो, शादी हो जाने के बाद अंतिम संस्कार करवा दिया जाएगा. अभी शव घर आया तो अपशगुन हो जाएगा.’ ये बात सुनकर वृद्धाश्रम वाले सन्न थे और पिता के मन में सवाल- क्या ये वही बेटा है जिसे हमने जन्म दिया था, बड़ा किया था, पढ़ाया लिखाया, शादी करवाई और जब खुद का घर बस गया तो मां का शव लेने से भी मना कर दिया. भुआल गुप्ता बुरी तरह टूट गए लेकिन पत्नी का अंतिम संस्कार गांव में ही करने का फैसला किया. वृद्धाश्रम वालों की मदद से शव गांव पहुंचा, लेकिन बेटों ने असली रंग दिखाया बड़े बेटे ने कहा, मेरे बेटे की शादी है शव घर में नहीं आएगा, दफना दीजिए शादी के बाद अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा. फिर रिश्तेदारों और गांव वालों ने नदी किनारे मिट्टी में शोभा देवी के शव को दफन कर दिया. जो कि हिंदू रिति-रिवाज के खिलाफ था. जीते जी भुआल गुप्ता के लिए इससे बड़ी कोई त्रासदी नहीं थी कि वह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार भी न करवा सके. मिट्टी में दबा उनका शव कीड़े नोंचते रहे.
आटे का पुतला बनाकर होगा दाह संस्कार
4 दिन बाद शव को निकाला जाना था लेकिन स्थानीय पंडित ने मना कर दिया. उनका कहना था कि एक बार शव को दफनाने के बाहर निकालकर अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता. अब आटे का पुतला बनाकर उसका विधि विधान से दाह संस्कार किया जा सकता है.
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जिस बेटे को मां का शरीर अपशगुन लगा, मां को मोक्ष धाम तक पहुंचाना अपशगुन लगा, असल में उस बेटे की सोच एक अपशगुन है. इस केस ने हर किसी को हैरान कर दिया. सोशल मीडिया पर भी यह मामला सुर्खियों में है. लोग पूछ रहे हैं, अगर बच्चों की नजरों में मां-बाप की कीमत यही है तो फिर इंसानियत कहां बची है?
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