‘प्लंबर नहीं, जल इंजीनियर’ फडणवीस का बड़ा फैसला !
महाराष्ट्र में श्रमिकों का सम्मान करने के लिए जल्द ही बड़ा फैसला लिया जा सकता है. खबर है कि प्लंबर को अब जल इंजीनियर बुलाया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार श्रम और श्रमिकों का सम्मान बढ़ाने के लिए ये बड़ा फ़ैसला लेगी.

कहते हैं कोई भी काम छोटा नहीं होता, तो फिर उस काम को करने वाले को हम छोटा कैसे आंक सकते हैं ? कभी आपने आसपास झांककर देखा है कौन पानी की टंकी ठीक कर रहा है, कौन घर बना रहा है ? कौन आपके घर का कूड़ा लेकर जा रहा है ? कितनी अजीब बात है ना हम हमेशा ऐसा काम करने वालों को छोटा आंकते हैं, लेकिन जिस दिन ये लोग ना आए, या काम ना हो पाए उस दिन असल में इनकी महत्वता पता चलती है. ऐसा ही कुछ प्लंबरों का भी हाल हैं, बेचारे सुबह से शाम तक अलग अलग घरों में जाकर काम करते हैं लेकिन फिर भी हम और आप में से कई लोग उनके काम को ध्यान में रखकर उन्हें छोटा आंकते हैं.
‘प्लंबर नहीं, जल इंजीनियर’ फडणवीस का बड़ा फैसला
लेकिन यही प्लंबर अगर दो घंटे भी लेट हो जाए तो आपका बना बनाया काम बिगड़ सकता. ऐसे में क्यों ना इस श्रमिकों का भी वैसे ही सम्मान किया जाए जैसे बाकि लोगों का होता है, बस इसी कड़ी में महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. महाराष्ट्र सरकार की नई पहल हुई है जिसके तहत प्लंबर को श्रम को सम्मान दिलाने के लिए उनके नाम को बदला जाएगा. प्लंबर को अब जल इंजीनियर के नाम से जाना जाएगा. प्लंबर के काम की गरिमा बढ़ाने के उद्देश्य से फडणवीस सरकार ने ये कदम उठाया है.
महाराष्ट्र के कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने नासिक में पत्रकारों से बात करते हुए ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले पर अंतिम मुहर लगाने से पहले सीएम फडणवीस से चर्चा की जाएगी और तब ये फैसला आदेश के तौर पर जारी कर दिया जाएगा. मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि हम समाज में प्लंबरों के महत्वपूर्ण कामों को देखते हुए उन्हें जल इंजीनियर का दर्जा देने पर विचार कर रहे हैं. ये सिर्फ़ नाम का बदलाव नहीं बल्कि समाज में उनके सम्मान की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
बहरहाल, इस बात में तो क़तई गुरेज़ नहीं शब्दों में बदलाव करना मानसिकता में भी बदलाव लाता है, देखने वाली बात होगी कि जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार श्रमिकों और श्रम को सम्मान देने के लिए ये कदम उठा रही है ये कितना कारगर साबित होता है ?