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हिंदुओं के गुस्से से दहशत में आईं ममता! बाबरी की कसम खाने वाले मुस्लिम MLA को किया TMC से बाहर, क्या है वजह?

पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले टीएमसी ने बड़ा कदम उठाते हुए बाबरी जैसी मस्जिद बनाने का ऐलान करने वाले विधायक हुमायूं कबीर को निलंबित कर दिया. बताया जा रहा है कि यह फैसला हिंदू-मुस्लिम दोनों वोट बैंक की नाराजगी से बचने और चुनावी माहौल संभालने के लिए लिया गया है.

04 Dec, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
02:59 PM )
हिंदुओं के गुस्से से दहशत में आईं ममता! बाबरी की कसम खाने वाले मुस्लिम MLA को किया TMC से बाहर, क्या है वजह?
Mamata Banerjee/ Humanyu Kabir (File Photo)

नए साल के शुरुआती महीनों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह सक्रिय हो चुकी हैं. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बंगाल के सांसदों से मुलाकात कर उन्हें चुनावी तैयारी का एजेंडा बताया. वहीं, राज्य की सत्ता संभाल रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई हैं. इसी बीच, सीएम ममता ने अपने ही पार्टी के एक विधायक को निलंबित कर सभी को चौंका दिया है.

हिंदुओं की नाराजगी का CM ममता को डर 

दरअसल, ममता बनर्जी पिछले काफी समय से पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए कई कदम उठाती रही हैं. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में आए कुछ फैसलों के बाद अब ममता बनर्जी हिंदू वोटरों की एकता को लेकर सतर्क हो गई हैं. उन्होंने बाबरी मस्जिद से मिलती-जुलती मस्जिद बनाने की घोषणा करने वाले पार्टी के विधायक हुमायूं कबीर को तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी ने चुनावी माहौल को भांपते हुए यह कदम उठाया है. ऐसा करके उन्होंने न केवल मुस्लिम वोटरों की, बल्कि हिंदू वोटरों की नाराजगी से भी बचने की कोशिश की है.

मस्जिद की नींव रखने का विधायक ने किया थे ऐलान 

मुर्शिदाबाद जिले में 6 दिसंबर को मस्जिद की नींव रखने की घोषणा के बाद से प्रशासन सतर्क हो गया था. बताया जा रहा है कि टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के इस कदम से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असंतुष्ट थीं. हालांकि, इस पर पार्टी या मुख्यमंत्री की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया. कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए कहा कि 'हमने देखा कि हमारे मुर्शिदाबाद के एक विधायक ने अचानक बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान कर दिया। ऐसे अचानक कदम क्यों? हम उन्हें पहले ही चेतावनी दे चुके थे. पार्टी के निर्णय के अनुसार हम हुमायूं कबीर को निलंबित कर रहे हैं.'

क्या सच में विधायक से नाराज थीं ममता?

एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि विधायक हुमायूं कबीर के फैसले से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि सीएम और उनकी पार्टी इस कदम के पक्ष में नहीं हैं और यह संदेश विधायक तक पहुंचा दिया गया है. इससे पहले, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी भी इस फैसले से दूरी बनाते हुए नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि 'पश्चिम बंगाल के लोग ममता बनर्जी पर भरोसा करते हैं. किसी की कही बात का कोई असर नहीं पड़ता और उसका कोई महत्व नहीं है.' सूत्रों के अनुसार, विधायक हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली में शामिल होने वाले थे और उन्हें टीएमसी की तरफ से न्योता भी मिला था. लेकिन एनडीटीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अब उन्हें रैली से हटा दिया गया है. वहीं, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी विधायक की घोषणा के मद्देनज़र सुरक्षा संबंधी चिंता जताई थी.

विधायक को प्रशासन ने दी थी चेतावनी 

विधायक हुमायूं कबीर ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान मुर्शिदाबाद प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि अधिकारी ‘आरएसएस एजेंट’ की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि उनके कार्यक्रम में बाधा डालना आग से खेलने जैसा होगा. कबीर ने दावा किया कि वह पहले ही घोषणा कर चुके थे कि बेलडांगा में बाबरी मस्जिद जैसी संरचना की नींव रखेंगे, और अब प्रशासन की आपत्ति पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा, 'मेरी योजना से समस्या क्यों हो रही है? क्या अधिकारी बीजेपी के दबाव में काम कर रहे हैं?' टीएमसी विधायक ने आगे कहा कि यदि उन्हें मस्जिद की नींव रखने से रोका गया, तो एनएच‑34 पर मुसलमानों का नियंत्रण होगा. इतना ही नहीं, उन्होंने राज्य की अपनी ही सरकार पर भी ‘आरएसएस के एजेंट’ की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. कबीर ने कहा कि उनका उद्देश्य शांति भंग करना नहीं है, लेकिन यदि कोई शांतिपूर्ण कार्यक्रम में बाधा डालेगा, तो वह जवाब देने को तैयार हैं.

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बताते चलें कि यह पूरा विवाद पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मियों के बीच राजनीतिक तापमान को और बढ़ा रहा है. ममता बनर्जी का यह कड़ा कदम दिखाता है कि टीएमसी किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहती है. अब चुनावी मौसम में यह देखना दिलचस्प होगा कि कबीर के निलंबन का असर राजनीतिक समीकरणों पर कैसा पड़ता है और दोनों प्रमुख वोट बैंक हिंदू और मुस्लिम इस घटनाक्रम को किस तरह देखते हैं.

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