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कौन हैं वो IAS अधिकारी जिन्हें कोर्ट में पड़ी फटकार ? ग़ुस्से में जज ने कहा- बंदर की तरह मत…

झारखंड में कार्यरत IAS अफसर मनोज कुमार पांडेय को कोर्ट ने बड़ी फटकार लगाई है. जज ने IAS अफसर की तुलना बंदर से कर दी. जज ने मनोज कुमार पांडेय पर कमीशन खाने का आरोप लगाते हुए पूछा- कितना कमीशन लिया है अभी तक ?

28 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
06:28 PM )
कौन हैं वो IAS अधिकारी जिन्हें कोर्ट में पड़ी फटकार ? ग़ुस्से में जज ने कहा- बंदर की तरह मत…

झारखंड हाईकोर्ट में उस वक्त सब हैरान रह गए जब जज साहब IAS अधिकारी पर आग बबूला हो गए. सुनवाई के दौरान जज ने IAS ऑफ़िसर को खरी-खरी सुनाई. अब जज साहब की फटकार का वीडियो वायरल हो रहा है, जो काफ़ी चर्चा में बना हुआ है. दरअसल, कोर्ट में ज़मीन अधिग्रहण के मामले में सुनवाई चल रही थी. मामला ज़मीन के मुआवज़े से जुड़ा हुआ था. इस दौरान जज उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर कार्यरत IAS अफ़सर मनोज कुमार पांडेय के मुआवज़े रोके जाने पर नाराज़गी जताई और उन्हें कड़ी फटकार लगाते हुए कहा- आप होते कौन हैं मुआवज़ा रोकने वाले. 

सुनवाई के दौरान मुआवज़ा देने में कोर्ट को कई अनियमितताएं मिलीं. राज्य सरकार ने ज़मीन अधिग्रहण के प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का फैसला किया था, लेकिन IAS अफसर मनोज कुमार पांडेय ने सरकार के इस फ़ैसले पर आपत्ति जता दी. उन्होंने मुवाअजा राशि पर ऐतराज जताया और जिन्हें मुआवज़ा दिया जाना था उन तक राशि नहीं पहुंचाई. जिसके बाद कोर्ट ने IAS अफ़सर के इस रवैये पर हैरानी जताई. जज ने ग़ुस्से में मनोज पांडेय से पूछा- राज्य के निर्धारित मुआवजे पर सवाल उठाने वाले आप कौन होते हैं ? आपको कमीशन चाहिए, कितना कमीशन लिया है अभी तक ? उन्होंने सख्त लहजे में पूछा- पूरे हिंदुस्तान में एक कानून चलता है, या झारखंड में अलग ? यह जनता का पैसा है, इसे ऐसे बर्बाद नहीं किया जा सकता. जज ने IAS अफ़सर को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने प्रक्रिया का पालन नहीं किया तो उन पर FIR भी हो सकती है.

कोर्ट में क्या-क्या हुआ ?

कोर्ट में जब जज ने सबसे पहले अफ़सर का नाम पूछा. अफ़सर ने अपना नाम मनोज कुमार बतया और वह प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर तैनात हैं. इस पर जज ने फिर सवाल किया कि, राज्य की संपत्ति पर आपत्ति जताने वाले आप होते कौन हैं? किस नियम के तहत आपने मुआवजा रोकने की कोशिश की? अफसर की ओर से वकील ने दलील दी कि जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है. इस पर जज ने तुरंत कहा- राज्य ने जिसे ‘रैयत’ माना है, आप कौन होते हैं कहने वाले कि वह रैयत नहीं है? आप तो इस मामले के पक्षकार भी नहीं हैं. सिर्फ कमीशन के लिए आप प्रक्रिया में अड़ंगे डाल रहे हैं.

इस दौरान जज ने कड़ी फटकार लगाते हुए अफ़सर से पूछा कि, कितने दिन हुए हैं नौकरी करते हुए? इस पर IAS अधिकारी मनोज पांडेय ने जवाब में कहा 25 साल. इस पर जज और भड़क गए. उन्होंने कहा- कितनी संपत्ति जमा कर ली. जांच बैठाएं ? आपने कोर्ट का मज़ाक़ बनाकर रख दिया. जज यहीं नहीं रुके, उन्होंने पूछा- पूरे हिंदुस्तान में एक कानून चलता है, या झारखंड में अलग? यह जनता का पैसा है, इसे ऐसे बर्बाद नहीं किया जा सकता. 

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आख़िर में जज ने अफ़सर की तुलना बंदर से कर दी. जज ने सख़्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि, या तो पूरा मामला सही तरीके से कंपाइल कीजिए, नहीं तो FIR दर्ज होगी. सिर्फ एक हफ्ते का वक्त दे रहे हैं. परमीशन का बहाना मत बनाइए. जो आपके अधिकार क्षेत्र में है, वही कीजिए. भाई-भाई के बंटवारे में बंदर की तरह कूदने की जरूरत नहीं है. झारखंड हाईकोर्ट में हुई सुनवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है.

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