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ड्रोन मॉडिफिकेशन और रॉकेट साजिश का खुलासा... दिल्ली कार ब्लास्ट केस के आरोपी जसीर बिलाल की NIA हिरासत 7 दिन बढ़ी

दिल्ली कार ब्लास्ट केस के आरोपी जसीर बिलाल वानी की हिरासत पटियाला हाउस कोर्ट ने सात दिन और बढ़ाई है. उस पर आरोप है कि उसने ड्रोन मॉडिफिकेशन और रॉकेट लॉन्चर बनाने की कोशिश कर आतंकियों की मदद की. एनआईए अब तक सात गिरफ्तारियां कर चुकी है और डिजिटल सबूतों की जांच जारी है.

04 Dec, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
02:59 PM )
ड्रोन मॉडिफिकेशन और रॉकेट साजिश का खुलासा... दिल्ली कार ब्लास्ट केस के आरोपी जसीर बिलाल की NIA हिरासत 7 दिन बढ़ी
Delhi Car Blast Case

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) द्वारा दिल्ली कार ब्लास्ट मामले की जांच तेज होती जा रही है. हर नए दिन दहशतगर्दों की नई साज़िशें सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस केस के अहम आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश की NIA हिरासत सात दिन और बढ़ा दी है. पिछली बार 27 नवंबर को मिली सात दिन की हिरासत खत्म होने पर एजेंसी उसे कोर्ट में पेश करने पहुंची थी. फाइलों और डिजिटल सबूतों की जांच के बाद एजेंसी ने कोर्ट से और समय की मांग की थी.

कब हुई थी बिलाल वानी गिरफ्तारी?

जसीर बिलाल वानी जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड का रहने वाला है. एनआईए ने उसे 17 नवंबर को श्रीनगर से गिरफ्तार किया था. एजेंसी का दावा है कि वानी ने आतंकी नेटवर्क को हाई-टेक सपोर्ट दिया था. आरोप है कि उसने ड्रोन में तकनीकी बदलाव कर उन्हें हमलों के लिए तैयार करने में मदद की. यही नहीं, जांच में यह बात भी सामने आई कि वह रॉकेट लॉन्चर बनाने की कोशिश कर रहा था. एनआईए की अब तक की जांच में सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और एजेंसी का कहना है कि यह नेटवर्क कहीं बड़ा हो सकता है. सील बंद लैपटॉप, फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से मिली जानकारी की जांच अभी जारी है. एजेंसी का मानना है कि आरोपी कई बाहरी संपर्कों से निरंतर जुड़ा हुआ था. इसी वजह से एनआईए को उसकी गतिविधियों की गहराई से जांच के लिए और समय चाहिए.

पूरी प्रक्रिया पर कोर्ट की नजर 

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की निगरानी के लिए एक पैनल बनाने की मांग वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता का मानना था कि इस संवेदनशील मामले की निगरानी उच्च स्तर पर होनी चाहिए. लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मामला अभी मुकदमे के चरण में नहीं पहुंचा है. सुनवाई में देरी की आशंका के आधार पर इस तरह की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती. कोर्ट ने साफ किया कि एजेंसियां अपने स्तर पर मामले की जांच कर रही हैं और न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक दखल की जरूरत नहीं है.

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बताते चलें कि दिल्ली कार ब्लास्ट केस अब एक ऐसे मोड़ पर है जहां सुरक्षा एजेंसियों के जांच में हर दिन नए खुलासों की उम्मीद है. एजेंसियां इसे देश की सुरक्षा से जुड़ा बेहद गंभीर मामला मानकर आगे बढ़ रही हैं. 

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