'संसद में बढ़ने वाला है बीजेपी का संख्याबल...', 7 सांसदों को लेकर मंत्री का चौंकाने वाला दावा
महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने दावा किया है कि शिवसेना (UBT) सहित विपक्षी दलों के सात सांसद भाजपा के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही संसद में भाजपा का संख्याबल बढ़ेगा। साथ ही उन्होंने उद्धव ठाकरे के ‘ठाकरे ब्रांड’ को अप्रासंगिक बताया.
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भारतीय राजनीति में सत्ता के समीकरण अक्सर एक झटके में बदल जाते हैं और महाराष्ट्र की राजनीति तो मानो हर बार इस कहावत को सच कर देती है. रविवार को एक बार फिर इसी तरह की हलचल ने राजनीतिक गलियारों में बवाल मचा दिया, जब महाराष्ट्र सरकार में जल संसाधन मंत्री और बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने संसद में पार्टी का संख्याबल बढ़ने का बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के सात सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या शिवसेना (UBT) गुट की है. यह बयान ऐसे समय आया है जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए ने मजबूत वापसी की है लेकिन महाराष्ट्र में अंदरूनी राजनीतिक तनाव और बिखराव लगातार सामने आ रहा है.
क्या उद्धव ठाकरे की पकड़ कमजोर हो रही है?
गिरीश महाजन के बयान के केंद्र में उद्धव ठाकरे हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 'ठाकरे ब्रांड' अब अपनी प्रासंगिकता खो चुका है. बालासाहेब ठाकरे की विरासत का हवाला देते हुए महाजन ने यह आरोप लगाया कि 2019 में कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर उद्धव ने बालासाहेब की मूल विचारधारा से समझौता किया. यही वजह है कि अब उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं और उनके साथ खड़े रहने वाले सांसद अब खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. महाजन के अनुसार, पहले ही चार सांसद बीजेपी के संपर्क में थे, और अब तीन और सांसद जल्द जुड़ सकते हैं.
क्या सच में बिखर जाएगी शिवसेना (UBT) ?
अगर इन दावों को सही माना जाए तो यह साफ संकेत है कि शिवसेना (UBT) का कुनबा बिखरने की कगार पर है. उद्धव ठाकरे भले ही ‘ठाकरे ब्रांड’ को मराठी मानुस, हिंदुत्व और गौरव से जोड़कर देख रहे हों, लेकिन राजनीतिक वास्तविकता इससे मेल नहीं खा रही. हाल ही में सामना में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ठाकरे सिर्फ एक नाम नहीं, एक पहचान है. लेकिन बीजेपी की ओर से मिल रहे इस तरह के बयान इस पहचान को लगातार चुनौती दे रहे हैं.
एकनाथ शिंदे का तीखा हमला
वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने भी अपने पुराने सहयोगी उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला बोला. उन्होंने रोमन सम्राट नीरो का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे नीरो बांसुरी बजा रहा था जब रोम जल रहा था, वैसे ही कुछ नेता अपनी पार्टी के टूटने के बावजूद जश्न मना रहे हैं. शिंदे ने नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ था. उन्होंने कहा कि पार्टी को मजबूत करने की बजाय विरोधी अब भी आत्ममुग्धता में डूबे हैं और जिम्मेदारी लेने की बजाय चुनाव आयोग को दोष दे रहे हैं.
विपक्ष के सामने आत्ममंथन का समय?
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शिंदे और महाजन के बयानों का लहजा जितना तीखा है, उतनी ही सख्ती अब विपक्ष को लेकर मतदाताओं में भी दिख रही है. विपक्ष अब भी एकजुट नहीं हो सका है और न ही जनता के सामने कोई स्पष्ट नीति या नेतृत्व प्रस्तुत कर सका है. ऐसे में जब सत्ताधारी पार्टी और उसके सहयोगी दल लगातार टूट-फूट का लाभ उठा रहे हैं, विपक्ष का बिखराव और गहराता नजर आ रहा है. इस घटनाक्रम का सबसे बड़ा असर संसद के भीतर नजर आएगा. यदि बीजेपी सात और सांसदों को अपने पाले में लाने में सफल रहती है, तो यह न केवल उसकी संख्या बढ़ाएगा बल्कि आगामी सत्रों में उसकी रणनीतिक पकड़ और मजबूत करेगा. इससे सरकार के विधायी एजेंडे को पारित कराना आसान होगा. दूसरी ओर, महाराष्ट्र में भी यह साफ संकेत होगा कि उद्धव ठाकरे को अपने संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी. नहीं तो वह नेतृत्व धीरे-धीरे अपने ही लोगों से कटता चला जाएगा.
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