'आयात पर शुल्क लगा सकते हो हमारी संप्रभुता पर नहीं...', महिंद्रा से लेकर गोयनका तक, ट्रंप की दादागिरी के खिलाफ़ एकजुट हुआ व्यापार जगत, कहा-झुकेंगे नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया. इस फैसले पर भारतीय उद्योगपतियों ने कड़ी आपत्ति जताई. हर्ष गोयनका ने कहा कि भारत संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और किसी के आगे नहीं झुकेगा. वहीं आनंद महिंद्रा ने इसे "Law of Unintended Consequences" बताया.
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अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों में 6 अगस्त 2025 को एक बड़ा मोड़ आया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करते हुए भारत से आने वाले निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. इस फैसले के बाद भारत पर कुल आयात शुल्क यानी टैरिफ बढ़कर 50% तक पहुंच गया है. इस खबर ने भारतीय उद्योग जगत में खलबली मचा दी है और देश के प्रमुख उद्योगपतियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
दरअसल, इस फैसले का असर केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह राजनीतिक और रणनीतिक चर्चा का विषय बन गया. भारत के जाने-माने कारोबारी हर्ष गोयनका और आनंद महिंद्रा ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जताते हुए अमेरिका को करारा जवाब दिया. वहीं नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने इस घटनाक्रम को एक “मौका” बताया और सुधारों को गति देने की बात कही.
हर्ष गोयनका ने दी सीधी चेतावनी
आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने एक्स पर लिखा, “आप हमारे निर्यात पर टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन हमारी संप्रभुता पर नहीं.” उन्होंने यह भी कहा कि भारत विकल्प तलाशेगा, आत्मनिर्भर बनेगा और अपने संकल्प को और मजबूत करेगा. गोयनका का यह बयान यह साफ संकेत देता है कि भारतीय उद्योगपति इस टैरिफ को केवल आर्थिक बाधा नहीं बल्कि एक प्रकार की संप्रभुता पर चोट मान रहे हैं. उनके बयान में आत्मनिर्भर भारत की भावना झलकती है. उन्होंने कहा कि भारत न कभी झुका है और न ही झुकेगा.
You can tariff our exports, but not our sovereignty. Raise your tariffs- we’ll raise our resolve, find better alternatives, and build self-reliance. 🇮🇳
— Harsh Goenka (@hvgoenka) August 6, 2025
India bows to none. pic.twitter.com/XjMHCyXwXr
आनंद महिंद्रा का चेतावनी भरा विश्लेषण
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्रंप के इस फैसले को “Law of Unintended Consequences” बताया. इसका अर्थ है. ऐसा फैसला जो लेने वाले के लिए ही उलटा साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को इस फैसले से घबराने की नहीं, बल्कि इससे सीख लेने और एक बड़ा कदम उठाने की ज़रूरत है. आनंद महिंद्रा ने इस मौके को भारत के लिए एक “टर्निंग पॉइंट” यानी निर्णायक मोड़ बताया, जो 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत के बाद अब दोबारा मिल रहा है. उन्होंने सरकार को दो अहम सुझाव दिए जो भारत को न सिर्फ इस संकट से उबार सकते हैं, बल्कि लंबे समय में फायदे में भी डाल सकते हैं.
The ‘law of unintended consequences’ seems to be operating stealthily in the prevailing tariff war unleashed by the U.S.
— anand mahindra (@anandmahindra) August 6, 2025
Two examples:
The EU may appear to have accepted the evolving global tariff regime, responding with its own strategic adjustments. Yet the friction has… pic.twitter.com/D5lRe5OWUa
पहला सुझाव
महिंद्रा का मानना है कि भारत को अब छोटे-छोटे सुधारों से आगे बढ़कर, व्यापार को आसान बनाने के लिए एक सख्त और व्यापक नीति अपनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को एक “सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम” बनाना चाहिए, जिससे निवेशकों को सभी तरह की मंजूरियां एक ही जगह मिल सकें. इससे न सिर्फ देरी घटेगी, बल्कि पारदर्शिता और निवेश का भरोसा भी बढ़ेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि इसकी शुरुआत उन राज्यों से की जाए जो इस नीति को अपनाने के लिए तैयार हैं. अगर भारत निवेश, स्थिरता और पारदर्शिता का प्रदर्शन कर पाए तो वह जल्द ही वैश्विक निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य बन सकता है.
दूसरा सुझाव
आनंद महिंद्रा का दूसरा सुझाव था. भारत में पर्यटन को एक आर्थिक इंजन की तरह इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जिसका पूरी तरह उपयोग नहीं हुआ है. यह न केवल विदेशी मुद्रा कमा सकता है, बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकता है. इसके लिए उन्होंने सरकार को तीन सुझाव दिए है. इसमें वीजा प्रक्रिया को आसान और तेज बनाया जाए, देश भर में पर्यटक सुविधाओं को आधुनिक और सुरक्षित किया जाए और भारत में कुछ “स्पेशल टूरिज्म कॉरिडोर” विकसित किए जाएं, जहां सफाई, सुरक्षा और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया जाए.
क्या यह फैसला भारत के लिए संकट है या अवसर?
ट्रंप के टैरिफ फैसले को लेकर देशभर में बहस जारी है. कुछ लोग इसे अमेरिका की व्यापारिक रणनीति बता रहे हैं तो कुछ इसे एक तरह की दबाव की राजनीति कह रहे हैं. लेकिन भारत के उद्योगपतियों की प्रतिक्रिया यह बताती है कि देश इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता रखता है. नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने भी इस दिशा में अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने हमें एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला मौका दिया है. अब भारत को सुधारों की रफ्तार बढ़ानी चाहिए और इस मौके को गंवाना नहीं चाहिए.
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बताते चलें कि अमेरिका का यह टैरिफ फैसला भारत के लिए निश्चित तौर पर एक झटका है, लेकिन देश के उद्योगपति और नीति निर्माता इसे चुनौती नहीं बल्कि मौका मान रहे हैं. आत्मनिर्भर भारत, व्यापार में पारदर्शिता और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश के जरिए भारत इस संकट को अपने पक्ष में मोड़ सकता है. अब देखना यह है कि भारत इस मौके को कैसे भुनाता है.
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