क्या सचमुच चार महीने बाद गिर जाएगी मोदी सरकार?
हाल ही में अमेरिका की काउंसलेट जनरल जेनिफर ने प्रमुख भारतीय नेताओं से मुलाकात की, जिससे मोदी सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक बयान सामने आए। ओवैसी ने बांग्लादेश नीति की आलोचना की, नायडू ने वक्फ कानून पर असहमति जताई, और जेडीयू के सी त्यागी ने इजरायल को हथियार देने का विरोध किया। अमेरिका के डिप्लोमेट्स ने कश्मीर में उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की, जिनके बयान ने मारे गए आतंकियों के परिवारों को मुआवजा देने और आतंकियों को रिहा करने का आश्वासन दिया। इन घटनाओं के बीच, भारत में अमेरिकी राजनयिकों की बढ़ती गतिविधि और भाजपा की कमजोर स्थिति से यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी किसी दबाव में हैं और पर्दे के पीछे कोई बड़ा खेल चल रहा है।
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अमेरिका की काउंसलेट जनरल जेनिफर ने पिछले दिनों ओवैसी, पवन कल्याण और चंद्रबाबू नायडू से मुलाक़ात की। इसके बाद तीनों नेताओं ने अलग अलग मुद्दों पर मोदी सरकार के खिलाफ़ बयान दिए।ओवैसी ने ANI से बातचीत में कहा कि मोदी सरकार की बांग्लादेश नीति ग़लत है, उन्हें शेख हसीना का नहीं, आंदोलनकारी छात्रों का साथ देना चाहिए था। मोहम्मद युनूस से तुरंत बातचीत करना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने तेलुगू मीडिया से बातचीत के दौरान वक़्फ़ बोर्ड कानून पर कहा कि वे मोदी सरकार के वक़्फ़ कानून से सहमत नहीं हैं।
इसके बाद अमेरिका के डिप्लोमेट JDU नेताओं से मिलते हैं। उस मुलाक़ात के बाद जेडीयू महासिचव के सी त्यागी आम आदमी पार्टी के नेताओं संग मंच साझा करते हैं। उसी कार्यक्रम के दौरान के सी त्यागी ने बयान दिया कि हम मोदी सरकार से गुज़ारिश करते हैं कि इजरायल को हथियार देना तुरंत बंद कर दे, क्योंकि इजराइल मासूम फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है।
अब अमेरिकी डिप्लोमेट्स का एक दल कश्मीर पहुंचा है। उन्होंने उमर अब्दुल्ला से मुलाक़ात की है। इस मुलाक़ात के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता का बयान आया है कि हमारी सरकार बनी तो मारे गए हर आतंकी के परिवार को एक- एक करोड़ रुपए देंगे। सभी आतंकियों को जेल से रिहा किया जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जो बिडेन से बातचीत की है ।
सवाल है कि
1. क्या पर्दे के पीछे कोई खेल चल रहा है?
2. क्या प्रधानमंत्री मोदी किसी दबाव में हैं?
3. अचानक भारत में मौजूद अमेरिका के राजनयिक इतने सक्रिय क्यों हो गए?
याद रखिए, जम्मू - कश्मीर, हरियाणा, और महाराष्ट्र में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। अजीत पवार गुट के 8 विधायकों में से दो ने पाला बदल लिया है, दो और लाइन में हैं। ऐसी चर्चा है कि अजीत पवार कभी भी पलटी मारकर शरद पवार के साथ मिल सकते हैं। विधानसभा चुनावों में भाजपा हारी तो कुछ भी हो सकता है। अखिलेश यादव, राहुल गांधी सहित विपक्ष के कई नेता कह चुके हैं कि चार महीने बाद मोदी सरकार गिर भी सकती है।
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