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डेरा प्रमुख राम रहीम के पैरोल से विपक्ष क्यों परेशान, जानिए कितना है हरियाणा कि राजनीति में डेरा का प्रभाव

अपनी महिला शिष्यों के साथ रेप और एक मर्डर केस में जेल की सलाखों के पीछे सज़ा 20 साल की सज़ा काट रहा डेरा प्रमुख राम रहीम 7 साल में 15 बार पैरोल और फ़रलो पर बाहर आकर 259 दिनों तक खुली हवा में सांस ले चुका है। इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि लोकसभा हो या विधानसभा या फिर हो पंचायत चुनाव इसी समय राम रहीम को पैरोल कैसे मिल जाती है।

03 Oct, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
07:09 PM )
डेरा प्रमुख राम रहीम के पैरोल से विपक्ष क्यों परेशान, जानिए कितना है हरियाणा कि राजनीति में डेरा का प्रभाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए महज़ कुछ ही घंटो का समय बचा है।ऐसे में राज्य की सियासी पार्टियों में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर एक अलग ही क़यास लगाए जाने शुरू हो गए है। दरअसल, रेप और मर्डर केस में सज़ा काट रहा राम रहीम चुनाव से ठीक पहले आकस्मिक कारणों का हवाला देते हुए 20 दिनों के पैरोल पर जेल से बाहर आ चुका है। हरियाणा और पंजाब में बड़ी संख्या में डेरा प्रमुख के अनुयायी है। जिनका विधानसभा हो या लोकसभा दोनों ही चुनाव में अच्छा ख़ास प्रभाव रहता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये खड़ा होता है पहले पंजाब विधानसभा चुनाव और अब हरियाणा विधानसभा चुनाव के पहले राम रहीम को पैरोल कैसे मिली। अगर बात हरियाणा की करें तो राज्य की लगभग 26 ऐसी विधानसभा सीट है जिसपर इनके अनुयायी सबसे ज़्यादा है। हालाँकि पैरोल देते वक़्त राम रहीम को कोर्ट ने साफ़ आदेश दिया था कि वो हरियाणा नहीं जाएगा और किसी भी तरह से चुनावी गतिविधि में शामिल नहीं होगा। 


कब-कब जेल से बाहर आया राम रहीम 

अपनी महिला शिष्यों के साथ रेप और एक मर्डर केस में जेल की सलाखों के पीछे सज़ा 20 साल की सज़ा काट रहा डेरा प्रमुख राम रहीम 7 साल में 15 बार पैरोल और फ़रलो पर बाहर आकर 259 दिनों तक खुली हवा में सांस ले चुका है। इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि लोकसभा हो या विधानसभा या फिर हो पंचायत चुनाव इसी समय राम रहीम को पैरोल कैसे मिल जाती है। राम रहीम के पैरोल पर बहार आने के दिनों पर ग़ौर करे तो यह साफ़ पता चलता है कि चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल पर बहार लाकर उसके अनुयायीयों का वोट को निशाना बनाती है हालाँकि बीजेपी नेताओं ने इन सारी बातों से इंकार किया है कि पंजाब विधानसभा के बाद अब हरियाणा विधानसभा चुनाव के पहले राम रहीम को पैरोल बीजेपी ने दिलवाई है। नेताओं ने यह भी कहा है कि ये सिर्फ़ संयोग की बात है कि राम रहीम को जब पैरोल मिली तो राज्य में विधानसभा का चुनाव है। 


पैरोल पर क्यों उठ रहे है सवाल ?

आइए अब आपको सिलसिलेवार तरीक़े से समझाते है कि आख़िर राम रहीम की पैरोल के समयाविधि को लेकर विपक्षी पार्टियाँ सवाल क्यों उठा रही है। आपको पता ही होगा की डेरा प्रमुख राम रहीम के हरियाणा और पंजाब में बड़ी संख्या में उसको मानने वाले अनुयायी है। जो राज्य के कई विधानसभा सीटों की राजनीति पर सीधा प्रभाव डालते है। अगर हरियाणा के 6 जिले फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार की बात करें तो यहाँ डेरा को मानने वाले लोगों की संख्या बड़ी बड़ी है। यही वजह है की पहले जब राम रहीम तमाम आरोपो में नहीं फ़ंसा था अब तमाम दलों के राजनेता चुनाव के दरम्यान राम रहीम के पास जाकर उसे चुनाव में मदद माँगते थे। ऐसे में अगर डेरा के सूत्रों से मिली जानकारी की बात करें तो गुरमीत राम रहीम के 1.25 करोड़ अनुयायी है। डेरा की 38 शाखाओं में से 21 शाखा सिर्फ़ हरियाणा में ही है। बताते चले कि राम रहीम के डेरा की एक राजनितक शाखा भी है जो उसके निर्देशन में काम करती है। यह पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस में शामिल रहा है। यही वजह है की हरियाणा राज्य से जुड़े राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राम रहीम कई सीटों पर सीधा प्रभाव डाल सकता है। इनके सबसे ज़्यादा अनुयायी अकेले फतेहाबाद जिले में हैं, जहां डेरा अनुयायी टोहाना, रतिया और फतेहाबाद सहित तीन निर्वाचन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं, इसी को लेकर डेरा प्रमुख को पिछले दिनों कई नेताओं से मिलते हुए भी देखा गया है। 

पैरोल का विपक्ष ने किया था विरोध 

राम रहीम भले की चुनाव के पहले पैरोल पर बाहर आकर यूपी के बागपत स्थित अपने आश्रम में ठहरा है। इसी बीच कांग्रेस समेत कई दलों और पीड़ितों ने चुनाव आयोग से उसके पैरोल को रद्द करने की माँग की है। उसके अनुयायीयों की संख्या को देखते हुए तमाम लोगों ने उसके पैरोल को रद्द करने की माँग करते हुए यह आरोप लगाया है की राम रहीम इस चुनाव को प्रभावित कर सकता है। 


गौरतलब है कि हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोट पड़ेंगे जबकि वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होनी है जिसमें यह साफ़ हो जाएगा की जनता ने आपना वोट रूपी आशीर्वाद किस पार्टी को दिया है। वही आपको या भी बताते चले कि  2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में डेरा प्रमुख ने कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था इसके बाद साल 2014 लोकसभा चुनाव से डेरा ने भाजपा का समर्थन करना शुरू कर दिया। यही मुख्य वजह है कि  विपक्षी पार्टी राम रहीम की पैरोल के समय को लेकर सवाल उठा रही है। 

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