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जो भारत का नहीं, भारत उसका नहीं... ट्रंप की धमकियों के बीच रूस पहुंच गए NSA अजित डोभाल, पूरा खेल पलटने की तैयारी!

अमेरिका की धमकियों के बीच भारत ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है. ट्रंप के 'तेल टैक्स' अल्टीमेटम के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस पहुंच चुके हैं. यह दौरा न सिर्फ भारत और रूस की पार्टनरशिप की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताता है कि बदलते जियो पॉलिटिकल सिचुएशन में भी अटूट नई दिल्ली और मॉस्को के रिश्ते हैं.

Created By: केशव झा
06 Aug, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
08:39 AM )
जो भारत का नहीं, भारत उसका नहीं... ट्रंप की धमकियों के बीच रूस पहुंच गए NSA अजित डोभाल, पूरा खेल पलटने की तैयारी!
Image: Vladimir Putin / Ajit Dobhal (File Photo)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर भारी टैरिफ और जुर्माना लगाने की लगातार दी जा रही धमकियों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे हैं. वो इस दौरान क्रेमलिन में रूसी सरकार के शीर्ष रणनीतिकारों के साथ वार्ता करेंगे. उनकी यहां राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से भी वार्ता होगी.

अभी क्यों अहम है अजित डोभाल का रूस दौरा?

रूसी समाचार एजेंसी TASS की रिपोर्ट के मुताबिक, अजित डोभाल की यात्रा के दौरान भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान रहेगा. डोभाल का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत पर रूस के साथ संबंध तोड़ने का दबाव आ रहा है. 

दूसरी तरफ ट्रेड वार के कारण अंतरराष्ट्रीय राजनीति बेहद संवेदनशील मोड़ पर खड़ी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर नाराज़गी जताते हुए दो बड़ी चेतावनियां जारी की हैं. उनका कहना है कि भारत की रूस से तेल खरीद यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से मास्को को आर्थिक मदद पहुंचा रही है. 

ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर भारत ने यह खरीदारी जारी रखी तो अमेरिका उसे आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाएगा और हैवी टैरिफ लगाएगा. हालांकि भारत ने भी ट्रंप की धमकियों पर झुकने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह नीतियां अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर बनाता है. किसी देश से तेल खरीदना है, किस से व्यापार करना है ये बाजार, सामान की गुणवत्ता, सप्लाई चेन आदि को ध्यान में रखकर फैसला होता है.

ट्रंप ने रूस को भी चेतावनी दी है कि अगर वह जल्द ही यूक्रेन युद्धविराम की घोषणा नहीं करता, तो उस पर अमेरिका और कठोर प्रतिबंध थोपेगा. ऐसे माहौल में अजित डोभाल की यह यात्रा और अधिक महत्वपूर्ण बन गई है, हालांकि यह दौरा पहले से तय था.

डोभाल के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर का इसी महीने होगा रूस दौरा

रूसी एजेंसी तास के अनुसार, यह एक पूर्व निर्धारित यात्रा है, जिसका मुख्य फोकस रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है. सूत्रों के अनुसार मौजूदा वैश्विक तनाव और कच्चे तेल की भारत को आपूर्ति जैसे अहम मुद्दे भी एजेंडे का हिस्सा हैं. मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर भी इसी महीने रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं.

ट्रंप ने भारत पर यह आरोप लगाया है कि वह रूस से तेल खरीदकर उसकी 'वॉर मशीन' को ताकत दे रहा है, जिससे यूक्रेन में निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं. उन्होंने पहले ही भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात कही थी और अब उनका कहना है कि अगले 24 घंटों में वह इस दर से भी ज्यादा शुल्क लगाने की योजना बना रहे हैं. ट्रंप ने यहां तक कहा कि भारत व्यापार के लिए अच्छा साझेदार नहीं है, इसलिए अमेरिका ने उसके साथ व्यापार सीमित कर दिया है.

ट्रंप को भारत का जवाब 

भारत ने ट्रंप के इन आरोपों पर सख्त प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि "भारत, एक जिम्मेदार अर्थव्यवस्था होने के नाते, अपने आर्थिक हितों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा." मंत्रालय ने यह भी याद दिलाया कि 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब खुद अमेरिका चाहता था कि भारत रूसी तेल खरीदे ताकि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार स्थिर बना रहे. कुल मिलाकर बाइडन शासन में भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि ऑयल ट्रेड में स्थिरता आ सके, क्योंकि बाकी देशों के सप्लाई यूरोप की ओर शिफ्ट हो गए थे.

डिफेंस डील, S-400 मिसाइल सिस्टम: और क्या है डोभाल के एजेंडे में

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अजित डोभाल इस यात्रा के दौरान रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात कर रक्षा सौदों पर भी चर्चा कर सकते हैं. इसमें भारत द्वारा पहले से खरीदे गए S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी, मेंटेनेंस और संभवत: नए सिस्टम की खरीद पर भी बात हो सकती है.

गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच अक्टूबर 2018 में S-400 की पांच यूनिट खरीदने का करार हुआ था, जिसकी कुल लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपये थी. भारत को अब तक तीन बैटरियां मिल चुकी हैं, जिनकी देश में तैनाती हो चुकी है. शेष दो बैटरियों की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विलंबित हो रही है, लेकिन जानकारी के अनुसार, ये अगस्त 2026 तक भारत को मिल सकती हैं.

S-400 की डिलीवरी से लेकर S500 के भारत में निर्माण पर होगी बात?

आपको बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से हुए मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम करने में स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम और S-400 डिफेंस सिस्टम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसलिए भारत इस प्रणाली के रखरखाव और भविष्य की जरूरतों को लेकर रूस के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है. 

अब देखना होगा कि डोभाल के रूसी दौरे में किन समझौतों पर मुहर लगती है. वहीं पहले से रूस के साथ संबंधों को लेकर भड़के ट्रंप इसको किस तरह लेते हैं. डोभाल के दौरे से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा लिए गए स्टैंड और बयानों की गूंज रूसी मीडिया में सुनाई दे रही है. 

'भारत एक संप्रभु देश, उसे स्वतंत्र फैसले करने का हक'

भारत पर अमेरिकी टैरिफ को पाखंडपूर्ण नीति का तमगा दिया गया है, तो क्रेमलिन ने भी भारत का सपोर्ट किया है. क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को इस पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि किसी भी संप्रभु देश को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है.

उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के वक्तव्य को धमकी भी बताया. बोले, हम कई ऐसे बयान सुनते हैं जो दरअसल धमकियां हैं, देशों को रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने के लिए मजबूर करने की कोशिशें हैं. हम ऐसे बयानों को लीगल नहीं मानते." तो वहीं रूसी मीडिया ने रणधीर जायसवाल के कहे बयान को प्रमुखता से छापा.

भारत ने अमेरिका के दोहरे रवैये की पोल खोली: रशिया टुडे

रशिया टुडे ने शीर्षक दिया- 'रूस के तेल व्यापार पाखंड पर भारत का पश्चिमी देशों पर पलटवार.' इस पूरे आर्टिकल में ट्रंप को भारत की ओर से दिए गए जवाब का जिक्र है. लिखा है- भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के दोहरे रवैये की पोल खोली और आंकड़ों के माध्यम से बताया कि यूरोपियन यूनियन और अमेरिका मास्को के साथ व्यापार करते हैं और दूसरे देशों पर अन्यायपूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं. फिर उन 6 प्वाइंट्स का जिक्र है जिसके आधार पर भारत के स्टैंड को रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया है.

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बता दें कि सोमवार को भारत ने ट्रंप को आईना दिखाने का काम किया. उनकी धमकी को अनुचित और तर्कहीन करार देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'अमेरिका अब भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है.'

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