'कहां चले गए जगदीप धनखड़...', पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की गुमनामी पर कपिल सिब्बल का अमित शाह से सवाल
उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद से जगदीप धनखड़ सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं और उनका कोई बयान भी नहीं आया है. इस बीच राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया है कि धनखड़ कहां हैं और क्या वे सुरक्षित हैं.
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देश के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद से जगदीप धनखड़ की सक्रियता लगभग गायब हो गई है. सार्वजनिक मंचों पर उनकी कोई उपस्थिति नहीं दिखी है और न ही उनका कोई बयान सामने आया है. इस बीच राजनीतिक गलियारों में उनकी अनदेखी को लेकर चर्चा गर्म है. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह से सीधे सवाल पूछा है.
गृहमंत्री शाह से पूछा सवाल
कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए पूछा, "क्या हमें बताया जा सकता है कि जगदीप धनखड़ कहां हैं?. साथ ही उन्होंने यह भी पूछा, "क्या वह सुरक्षित हैं? उनसे संपर्क क्यों नहीं हो पा रहा है?" कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि अमित शाह जी को इस बात की जानकारी होना चाहिए कि पूर्व उपराष्ट्रपति का यह अचानक गायब होना देश के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने जो सवाल उठाए हैं वे राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.
Vice President Jagdeep Dhankar
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 9, 2025
Can we be informed :
Where is he ?
Is he safe ?
Why is he incommunicado ?
Amit Shah ji should know !
He was our Vice President ; the country should be worried !
21 जुलाई को दिया था इस्तीफा
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था. इस फैसले के बाद से उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया है और नए उम्मीदवार के नाम को लेकर कयासों का दौर शुरू हो चुका है. निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. चुनाव नौ सितंबर को होने वाले हैं और नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है. दस्तावेजों की जांच 22 अगस्त को होगी और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त निर्धारित की गई है.
नए उपराष्ट्रपति के लिए कई नामों की चर्चा
इस चुनाव में कई संभावित उम्मीदवारों के नाम चर्चा में हैं. राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर भी सबकी नजरें टिकी हैं. उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और देश की राजनीति में इसकी भूमिका हमेशा से अहम रही है. जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे और उनकी गुमनामी ने राजनीतिक माहौल को बेचैन कर दिया है. जनता में भी इस बात को लेकर काफ़ी उत्सुकता है कि क्या कारण हैं जिनकी वजह से वे सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दे रहे और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. इस बीच नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है. सभी की नजरें 21 अगस्त तक नामांकन दाखिल करने वालों पर टिकी हैं. चुनाव में कौन सा चेहरा उभर कर सामने आता है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा.
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बताते चलें कि इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि उपराष्ट्रपति पद की महत्ता और राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए सभी दलों और नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. ऐसे में देश की जनता भी इस चुनाव पर खासा ध्यान दे रही है.
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