भारत ने अमेरिका के रूस से व्यापार करने के दिए सबूत तो बगलें झांकने पर मजबूर हुए ट्रंप, कहा- मुझे इसका पता नहीं, मैं चेक करूंगा
भारत ने सबको धमका रहे ट्रंप को US के रूस से व्यापार करने के दिए सबूत तो बगलें झांकने लगे अमेरिकी राष्ट्रपति, कहा- अगर ऐसा है तो मैं चेक करूंगा. भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को सिलसिलेवार रूप से ट्रेड और टैरिफ पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के दोहरे रवैये की पोल खोली थी.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ और अपने मनमाफिक ट्रेड डील पाने को लेकर भारत पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर में मध्यस्थता के लगातार एकतरफा दावे, डेड इकोनॉमी वाला बयान, रूस से ट्रेड को लेकर जुर्माना और कथित तौर पर 25 से 250% तक टैरिफ लगाने की धमकी, ट्रंप हर वो चीज कर रहे हैं जिसे कूटनीति की दुनिया में प्रोटोकॉल के खिलाफ और वर्जित माना जाता है. हालांकि भारत ट्रंप के बयानों और फैसलों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहा है.
इसी कड़ी के तहत विदेश मंत्रालय ने रूस से ट्रेड पर यूरोपीय संघ, विशेषकर अमेरिका के दोहरे रवैये की जमकर पोल खोली और बताया कि एक तरफ तो अमेरिका और यूरोप ने रूस से तेल आयात को लेकर भारत को निशाना बनाया है, जबकि खुद अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, फर्टिलाइजर्स और केमिकल्स का आयात जारी रखे हुए है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने MEA के इसी स्टेटमेंट को कोट कर किए गए सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
समाचार एजेंसी ANI ने MEA के प्रवक्ता के एक बयान का हवाला देते हुए जब सवाल किया कि अमेरिका खुद रूसी यूरेनियम, रासायनिक उर्वरकों का आयात कर रहा है, तो ट्रंप ने इस पर कहा कि मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता. मुझे इसकी जांच करनी होगी..."
#WATCH | Responding to ANI's question on US imports of Russian Uranium, chemical fertilisers while criticising their (Indian) energy imports', US President Donald Trump says, "I don't know anything about it. I have to check..."
— ANI (@ANI) August 5, 2025
(Source: US Network Pool via Reuters) pic.twitter.com/OOejcaGz2t
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को सिलसिलेवार बताया कि भारत रूस से व्यापार क्यों कर रहा है. MEA ने अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा रूस से तेल आयात को लेकर की जा रही आलोचना का कड़ा जवाब दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ कहा कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद नई दिल्ली को मजबूरी में रूस से ऑयल ट्रेड को बढ़ाया क्योंकि उस समय पारंपरिक तेल आपूर्ति (सप्लाई) यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी.
'ग्लोबल ट्रेड की स्थिति को देखकर भारत ने लिया था फैसला'
जायसवाल ने बताया कि यह फैसला वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थितियों के कारण लिया गया ताकि भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
'अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में अमेरिका की नीतियों, सोच और फैसलों में अस्थिरता की भी बोल खोली. जायसवाल ने बताया कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्तियां यूरोप की ओर मोड़ दी गईं, जिससे भारत को रूस से आयात बढ़ाना पड़ा. यही नहीं, उस समय अमेरिका ने खुद भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे.
'भारत की कर रहे आलोचना, खुद कर रहे रूस से ट्रेड'
जायसवाल ने रूस से एनर्जी ट्रेड कर रहे कुछ पश्चिमी देशों की भी पोल खोली और कहा कि भारत के लिए तेल आयात का यह कदम राष्ट्रीय जरूरत यानी राष्ट्र हित के लिए जरूरी था, जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं और वह भी बिना किसी मजबूरी के.
भारत की तुलना में रूस से कई गुना ज्यादा द्विपक्षीय व्यापार कर रहा यूरोपीय संघ
विदेश मंत्रालय ने आंकड़े देते हुए बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो था. इसके अलावा, 2023 में सेवाओं में भी दोनों के बीच 17.2 अरब यूरो का व्यापार हुआ. यह व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं अधिक है. 2024 में यूरोप ने रूस से रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन एलएनजी (एलएनजी) का आयात किया, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड 15.21 मिलियन टन से भी ज्यादा है. रूस और यूरोप के बीच केवल ऊर्जा ही नहीं, बल्कि उर्वरक, खनिज, रसायन, लोहे और इस्पात, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरणों का भी बड़ा व्यापार होता है.
अमेरिका भी कर रहा रूस से एनर्जी और फर्टिलाइजर का आयात
विदेश मंत्रालय ने ट्रंप को आईना दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया था कि अमेरिका खुद रूस से अपने न्यूक्लियर एनर्जी के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड और ईवी सेक्टर के लिए पैलेडियम और कई रसायन आयात करता है. ऐसे में भारत पर निशाना साधना गलत है. भारत अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा, जैसे कि अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना. इन तथ्यों के आधार पर भारत ने कहा कि भारत को निशाना बनाना बिल्कुल अनुचित और दोहरे मापदंड का उदाहरण है. भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा.
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विदेश मंत्रालय के इसी बयान पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा था, "हमें अपने राष्ट्रीय हित में कार्य करना चाहिए, न कि आवेगशील राष्ट्राध्यक्षों के चिड़चिड़ाहट भरे आग्रहों से प्रभावित होना चाहिए." कार्ति के बयानों की भावना के अनुसार भारत पहले से ही अपने नेशनल इंटेरेस्ट को देखते हुए फैसले ले रहा है न कि दबाव में. भारत के सख्त और ईमानदार स्टैंड का ही परिणाम है कि ट्रंप को अब खुद अमेरिका से ही दबाव का सामना करना पड़ रहा है और रूस से व्यापार के मुद्दे पर उनका रियलिटी चेक कराया जा रहा है, वहीं भारत ने यूरोपीय संघ को भी कह दिया है कि उसे भी खुद के गिरेबान में झांकने की जरूरत है.
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