क्या है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(A), जिसका उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में दिया हवाला
भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं. धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेज दिया, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का जिक्र किया है. आइए जानते हैं कि क्या है आर्टिकल 67(ए)?

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की बात कही. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 67(a) का हवाला दिया. इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तीफा दे सकते हैं.
अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा, 'स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं. यह संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार है. मैं भारत की माननीय राष्ट्रपति को उनके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच रहे गर्मजोशी भरे संबंधों के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं.'
क्या है आर्टिकल 67(ए)?
भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं. अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेज दिया, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का जिक्र किया है. आइए जानते हैं कि क्या है आर्टिकल 67(ए)?
संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपने हाथ से लिखे पत्र द्वारा अपने पद से इस्तीफा दे सकता है. यह इस्तीफा तुरंत माना जाएगा. उपराष्ट्रपति की ओर से राष्ट्रपति को ही अपना इस्तीफा देना होता है.
अपने पांच साल के कार्यकाल से पहले कभी भी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, बस उन्हें राष्ट्रपति को एक लिखित त्यागपत्र सौंपना होगा. यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67 के अंतर्गत आती है, जो उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की रूपरेखा तय करता है.
विशेषज्ञों ने क्या कहा?
विशेषज्ञों का कहना है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से अब भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. विशेषज्ञों का कहना है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए यह पद लंबे समय तक खाली नहीं रह सकता.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इस बात की प्रबल संभावना है कि धनखड़ के उत्तराधिकारी का चुनाव जल्द ही होगा, जैसा कि संसद के ऊपरी सदन के कामकाज में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा अनिवार्य किया गया है.
बता दें आपको कि पिछले एक साल में धनखड़ को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, हाल ही में उन्हें नैनीताल में भर्ती होना पड़ा था. उनकी बीमारी की सटीक प्रकृति का खुलासा नहीं किया गया है.
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