Advertisement

'कब और किस पार्टी की सरकार थी हमें इससे मतलब नहीं... गवर्नर केस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

राष्ट्रपति द्वारा विधानसभा से पारित विधायकों को मंजूर करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि हमें इससे मतलब नहीं कब और किसकी सरकार थी और कौन सत्ता पक्ष में बैठा था.

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा से पारित विधायकों को मंजूर करने पर राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए 90 दिनों के टाइमलाइन तय करने के मामले में खास टिप्पणी की है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई को लेकर कहा कि राज्यपाल की पावर को लेकर हमारा फैसला यह नहीं तय करता कि सत्ता में कौन सी पार्टी थी या किस दल की सरकार थी? यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ समेत 5 जजों की बेंच की तरफ से की गई है. 

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच द्वारा यह टिप्पणी उस दौरान की गई है, जब तमिलनाडु और केरल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी और सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता के बीच तीखी बहस होने लगी. इस दौरान दोनों लोग यह बता रहे थे कि आखिर कब-कब किस राज्यपाल ने विधेयकों को रोका था. सिंघवी ने बहस के दौरान कहा कि 'मेरे पास वह चार्ट उपलब्ध है, जिसमें यह जानकारी है कि कब-कब तमिलनाडु और केरल के राज्यपालों ने विधेयक रोके थे.' वहीं सिंघवी के दावे पर तुषार मेहता ने कहा कि 'इन विधेयकों पर पूरा मंथन किया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे यह विधेयक रोके गए थे.'

यह राष्ट्रपति के रेफरेंस का मामला है - तुषार मेहता 

तुषार मेहता ने बहस के दौरान कहा कि 'यदि आप गलत रास्ते पर ही चलना चाहते हैं, तो मुझे इसमें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है. मैं भी उस रास्ते पर चल सकता हूं, लेकिन इसकी जरूरत नहीं है. यह राष्ट्रपति के रेफरेंस से जुड़ा मामला है.' तुषार मेहता के इस बयान पर अभिषेक मनु सिंह ने कहा कि 'मिस्टर मेहता ऐसी धमकियां यहां काम नहीं करेंगी. आपके पास भी ऐसी लिस्ट हो सकती है, जिनमें देरी की गई हो.' सिंघवी के जवाब पर तुषार ने कहा कि 'मेरे पास 1947 से लेकर अब तक जब-जब संविधान का उल्लंघन किया गया है, ऐसे में वह सारी चीजें  मौजूद हैं.'

बहस पर चीफ जस्टिस बी आर गवई की टिप्पणी

अभिषेक मनु सिंघवी और तुषार मेहता के बीच चल रही बहस के बीच चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि '1947 में तो आर्टिकल 200 और 201 नहीं था. इस पर तुषार ने कहा कि 'मेरा मतलब संविधान लागू होने के बाद अब तक को लेकर था.' तुषार ने जज से कहा कि 'मीलॉर्ड शायद आप मेरी बात को समझ गए होंगे.' तुषार के जवाब पर सिंघवी ने भी कहा कि 'मैं समझ गया हूं कि आप कैसे धमकी देना चाहते हैं और कब-कब क्या कुछ हुआ?' तुषार और मनु सिंघवी की बहस के बीच चीफ जस्टिस गवई ने दखल देते हुए कहा कि मैं कोर्ट को राजनीतिक मंच नहीं बनने देना चाहता हूं.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE