चीन पर बंध जाती है US की घिग्घी... एस जयशंकर ने ट्रंप की 'धमकियों' की निकाल दी हवा, कहा- किसान हमारी रेड लाइन, बता दी लक्ष्मण रेखा
अपने जोरदार अंदाज के लिए पहचाने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप, अमेरिका और पश्चिमी देशों को दो टूक संदेश देते हुए कह दिया है कि भारत न सिर्फ राष्ट्रहित, बल्कि वैश्विक हित को भी प्राथमिकता देता है. उन्होंने अमेरिका से बातचीत के मुद्दे पर कहा कि वार्ता हो रही हैं लेकिन भारत अपनी 'रेड लाइन', किसान और छोटे उत्पाद से कोई समझौता नहीं करेगा. जयशंकर मे पूछा कि जो लोग भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ लगा रहे हैं, वो चीन पर क्यों चुप्पी साध लेते हैं.
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भारत तेल व्यापार हों, किसानों के हित हों, देश की रणनीतिक स्वायत्तता या फिर हो भारत-पाक संबंध, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत का रुख साफ कर दिया है कि नई सदी का भारत अब न तो दबाव में आता है और न ही किसी के कहने पर अपने फैसले बदलता है.
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के संदर्भ में कहा कि भारत जो भी निर्णय लेता है, वह पूरी तरह से देश के नागरिकों के हितों और वैश्विक स्थिरता को ध्यान में रखकर करता है. उनका कहना था कि तेल की खरीद केवल आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता और वैश्विक जिम्मेदारी भी है. रूस-यूक्रेन युद्ध के वक्त जब 2022 में दुनिया भर में तेल की कीमतें बेकाबू थीं, तब इन्हीं देशों ने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीद सकता है ताकि कीमतों में स्थिरता लाई जा सके. अब जब भारत वही कर रहा है, तो उस पर उंगली उठाई जा रही है.
'भारत के तेल से दिक्कत है तो मत खरीदें'
जयशंकर ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के व्यवहार पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “अगर आपको रूसी तेल से परहेज़ है, तो मत खरीदिए. लेकिन तथ्य यह है कि यूरोप खरीदता है, अमेरिका खुद भी खरीदता है. अगर आपको भारत का रूसी तेल खरीदना पसंद नहीं है, तो मत खरीदिए, हम किसी को मजबूर नहीं कर रहे.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा संबंधी नीतियां पूरी तरह से अपने राष्ट्रीय हितों और रणनीतिक स्वतंत्रता के आधार पर तय की जाती हैं. कोई भी बाहरी दबाव भारत की इन नीतियों को प्रभावित नहीं कर सकता. जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने उपस्थित लोगों से कहा, "यह हास्यास्पद है कि जो लोग व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करते हैं, वे दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं. अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें." विदेश मंत्री ने कहा, "कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता. यूरोप और अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको यह पसंद नहीं है तो इसे न खरीदें."
#WATCH | Delhi: At The Economic Times World Leaders Forum 2025, EAM Dr S Jaishankar says, "It's funny to have people who work for a pro-business American administration accusing other people of doing business. If you have a problem buying oil or refined products from India, don't… pic.twitter.com/rXW9kCcVuv
— ANI (@ANI) August 23, 2025
'चीन पर टैरिफ क्यों नहीं लगाता अमेरिका'
उन्होंने चीन और यूरोप का उदाहरण देते हुए अमेरिका की दोहरी नीति पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि रूस से सबसे ज़्यादा तेल खरीदने वाला देश चीन है, लेकिन उस पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया. यूरोप भी आज रूस से तेल और गैस ले रहा है, मगर सवाल भारत पर उठाए जा रहे हैं. जयशंकर ने कहा कि यह रवैया न सिर्फ पक्षपाती है, बल्कि यह दिखाता है कि कुछ देशों की वैश्विक नीति अब भी चयनात्मक और राजनीतिक स्वार्थों से प्रेरित है.
#WATCH | Delhi: "They have a history with each other, and they have a history of overlooking their history... It is the same military that went into Abbottabad (in Pakistan) and found who there?..." says EAM Dr S Jaishankar on relations between US and Pakistan, at The Economic… pic.twitter.com/wpYGfdLpbc
— ANI (@ANI) August 23, 2025
'अमेरिका से वार्ता जारी लेकिन अपनी रेड लाइन से पीछे नहीं हटेगा भारत'
उन्होंने कहा, “अभी अमेरिका के साथ वार्ताएं जारी हैं, लेकिन हमारी कुछ स्पष्ट सीमाएं हैं जिनसे हम पीछे नहीं हट सकते. सबसे प्रमुख है हमारे किसानों और लघु उत्पादकों के अधिकारों की रक्षा. यह कोई ऐसा विषय नहीं है, जिस पर समझौता किया जा सके.” विपक्षी दलों और आलोचकों की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई इस नीति से असहमति रखता है, तो उन्हें जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि वे किसानों की भलाई और राष्ट्रीय स्वायत्तता को प्राथमिकता देने के पक्षधर नहीं हैं.
#WATCH | Delhi: At The Economic Times World Leaders Forum 2025, EAM Dr S Jaishankar says, "Negotiations (India-US trade negotiations) are still going on. But the bottom line is we have some red lines. Negotiations are still going on in the sense that nobody said the negotiations… pic.twitter.com/deCHoeDSrx
— ANI (@ANI) August 23, 2025
'जयशंकर ने विपक्ष पर बोला तीखा हमला'
जयशंकर ने विपक्ष और आलोचकों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि यदि कोई इस नीति से असहमत है, तो उन्हें देश की जनता से जाकर कहना चाहिए कि वे किसानों के हितों और राष्ट्रीय स्वायत्तता को प्राथमिकता नहीं देते. भारत सरकार ऐसा सोचने वालों में से नहीं है. उसने हर बार यह दिखाया है कि वह देश के आम नागरिक, विशेषकर ग्रामीण और कमजोर वर्ग के हक की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
'पाकिस्तान के साथ बात में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं'
भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर उन्होंने देश की पुरानी और सुदृढ़ नीति की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि 1970 के दशक से भारत की राष्ट्रीय सहमति यही रही है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी विवाद में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा. बातचीत हो सकती है, लेकिन वह केवल भारत और पाकिस्तान के बीच होगी और भारत की संप्रभुता, गरिमा और रणनीतिक हितों के दायरे में ही होगी.
#WATCH | Delhi: At The Economic Times World Leaders Forum 2025, EAM Dr S Jaishankar says, "On the issue of mediating (India-Pak conflict), since 1970s, for more than 50 years now, there's a national consensus in this country that we do not accept mediation in our relations with… pic.twitter.com/YtqEE6q2M1
— ANI (@ANI) August 23, 2025
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो अमेरिका से भी तेल खरीदता है और रूस से भी. हम वह देश हैं जिसने संकट के समय न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लिए वैक्सीन, अनाज और ऊर्जा संसाधनों की व्यवस्था की. भारत अब केवल भागीदार नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक स्थिरता का निर्णायक स्तंभ बन गया है.
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उन्होंने अंत में कहा कि भारत अब किसी की स्वीकृति से नीति नहीं बनाता. हम खुद तय करते हैं कि हमें क्या करना है, कब करना है और क्यों करना है. यह नया भारत है—निर्भीक, आत्मनिर्भर और अपनी प्राथमिकताओं को लेकर अडिग.
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